सेंगोल की जगह संविधान अखिलेश यादव ने उठाई मांग BJP ने किया पलटवार

सेंगोल की जगह संविधान अखिलेश यादव ने उठाई मांग BJP ने किया पलटवार
18वीं लोकसभा के विशेष सत्र में तमाम मुद्दों के साथ-सथा सेंगोल भी चर्चा में बना हुआ है. आज गुरुवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए संसद पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का स्वागत सेंगोल से किया गया. राष्ट्रपति मुर्मु जैसे ही संसद भवन के द्वार पर पहुंचीं तो उनका स्वागत के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मौजूद थे. अब संसद में विपक्षी सांसदों के बीच यह सेंगोल भी एक मुद्दा बन गया है. दरअसल, समाजवादी पार्टी ने संसद भवन में सेंगोल को हटाकर उसके स्थान पर संविधान की प्रति स्थापित करने की मांग की है. बीजेपी ने भी सपा पर पलटवार करते हुए उन पर भारतीय संस्कृति का अनादर करने की आरोप लगाया है. समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने संसद से सेंगोल को हटाने की मांग करते हुए कहा कि सेंगोल के स्थान पर संविधान की प्रति स्थापित करनी चाहिए क्योंकि, संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि सेंगोल का अर्थ है राजदंड यानी राजा का डंडा. आरके चौधरी ने कहा कि देश संविधान से चलता है राजा के डंडे से नहीं. उन्होंने कहा कि संविधान को बचाने के लिए वे सेंगोल को हटाने की मांग करते हैं. उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से सपा सांसद आरके चौधरी ने इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र भी लिखा, जिसमें उन्होंने मांग की कि ‘सेंगोल’ को संविधान की प्रति से बदला जाना चाहिए. मीडिया से बात करते हुए आरके चौधरी ने कहा कि संविधान को अपनाने से देश में लोकतंत्र की शुरुआत हुई और संविधान इसका प्रतीक है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में ‘सेंगोल’ स्थापित किया था. उन्होंने कहा कि सेंगोल तमिल शब्द है जिसका अर्थ राजदंड होता है. राजदंड का अर्थ राजा की छड़ी भी होता है. आरके चौधरी ने कहा, “राजाओं के युग के बाद हम आजाद हो गए हैं. अब, हर पुरुष और महिला जो एक योग्य मतदाता है, इस देश को चलाने के लिए सरकार चुनता है. तो क्या देश संविधान से चलेगा या राजा की छड़ी से?” उधर, आरके चौधरी की टिप्पणी की भाजपा ने कड़ी आलोचना की है. बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि समाजवादी पार्टी भारतीय और तमिल संस्कृति के अभिन्न अंग का अपमान करने पर तुली हुई है. उन्होंने सवाल किया कि “अगर सेंगोल राजशाही का प्रतीक था, तो पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे क्यों स्वीकार किया? क्या वह उस प्रतीक और राजशाही को स्वीकार कर रहे थे.” लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सांसद चिराग पासवान ने भी पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस और कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों ने हमेशा ऐतिहासिक प्रतीकों को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा, “ये लोग सकारात्मक राजनीति नहीं कर सकते… ये लोग केवल विभाजन की राजनीति करते हैं.” इस विवाद के बीच समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि आरके चौधरी केवल यह बताना चाह रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में शपथ लेने के बाद सेंगोल के सामने नहीं झुके. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमारे सांसद शायद ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब सेंगोल स्थापित किया गया था, तो प्रधानमंत्री इसके सामने झुके थे. शायद वह शपथ लेते समय इसे भूल गए… जब प्रधानमंत्री इसके सामने झुकना भूल गए, तो शायद वह भी कुछ और चाहते थे.” Tags: Parliament news, Parliament session, Samajwadi partyFIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 13:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed