राज्यों को मिलने वाले गेहूं में कटौती और अनाज आवंटन क्यों बदला गया क्या है देश में गेहूं की खपत का ट्रेंड

केंद्र सरकार ने राज्यों के गेहूं कोटे में कटौती की है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए,NFSA), 2013 के तहत मिलने वाले चावल गेहूं के अनुपात को भी बदला है. इस बदलाव में मुख्य रूप से गेहूं की कटौती की गई है. इस पर कई राज्य और ज्यादा गेहूं की मांग कर रहे हैं.

राज्यों को मिलने वाले गेहूं में कटौती और अनाज आवंटन क्यों बदला गया क्या है देश में गेहूं की खपत का ट्रेंड
नई दिल्ली. देश में इस साल गेहूं लगातार खबरों में बना रहा है. चाहें वो निर्यात की बात हो या गेंहू के सरकारी खरीदी का मामला. अब देश के दो बड़े भाजपा शासित राज्य गुजरात और उत्तर प्रदेश ने केंद्र सरकार से चावल की जगह ज्यादा गेहूं की मांग की है. राज्यों ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए,NFSA), 2013 के तहत अनाज का अपना पुराना आवंटन बहाल करने की डिमांड रखी है. या मई में केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा राज्यों को दिए जाने वाले चावल गेहूं के अनुपात को बदलने के लिए कहा है. इसकी समस्या की मूल वजह है राज्यों को दिए जाने वाले गेहूं के कोटे में कटौती और अनाज आवंटन का बदला हुआ अनुपात. केंद्र, राज्यों को जो चावल गेहूं देता है उसने उसके अनुपात को बदल दिया है. गेहू कम करके ज्यादा चावल दिया जा रहा है. इस वजह से कुछ बड़े राज्य गेहूं की और मांग कर रहे हैं. दूसरी तरफ, सरकार कई वजहों से गेहूं आवंटन में कटौती कर रही है. क्या हुआ बदलाव फूड सेक्रेटरी सुधांशु पांडे ने 14 मई को घोषणा की थी कि राज्यों से बातचीत के बाद NFSA के तहत राज्यों को मिलने वाले चावल-गेहूं का अनुपात बदला गया है. उदाहरण के लिए, 60:40 के अनुपात में गेहूं और चावल प्राप्त करने वाले राज्यों को अब यह 40:60 के रेशियो से मिलेगा. 75:25 पर आवंटन प्राप्त करने वालों को अब यह 60:40 पर मिलेगा. यानी राज्यों को अब पहले की तुलना में कम गेहूं मिलेगा. यह भी पढ़ें- मार्का लगे दाल-आटा, दही, बटर, लस्सी GST में लाने से होंगे महंगे, आम लोग होंगे प्रभावित जिन राज्यों में चावल का आवंटन शून्य रहा है, उन्हें गेहूं मिलता रहेगा. छोटे राज्यों, पूर्वोत्तर राज्यों और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए आवंटन में कोई बदलाव नहीं किया गया है. खाद्य मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से चालू वित्त वर्ष के शेष 10 महीनों (जून-मार्च) में लगभग 61 लाख टन गेहूं की बचत होगी. गेहूं में कटौती केंद्र ने 4 मई को प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत सितंबर तक शेष पांच महीनों के लिए गेहूं आवंटन में कटौती की भी घोषणा की थी. उस कटौती से 55 लाख टन गेहूं की बचत होने का अनुमान है. गेहूं की भरपाई के लिए बराबर मात्रा में चावल आवंटित किया गया है. बदलाव से 10 राज्य प्रभावित इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनएफएसए के तहत गेहूं आवंटन मुख्यत: 10 राज्यों के लिए बदला गया है. ये राज्य हैं- बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु. एनएफएसए के तहत लाभ पाने वाले 81.35 करोड़ लोगों में से लगभग 55.14 करोड़ (67%) लाभार्थी इन्हीं राज्यों में हैं. गुजरात और उत्तर प्रदेश, जिन्होंने अपने पुराने आवंटन की बहाली की मांग की है, वे मुख्य रूप से गेहूं की खपत वाले राज्य हैं. इससे पहले, यूपी को एनएफएसए के तहत प्रति व्यक्ति प्रति माह 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल मिलता था, जो अब 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल में बदल गया है. गुजरात को प्रति व्यक्ति प्रति माह 3.5 किलो गेहूं और 1.5 किलो चावल मिल रहा था, जो अब 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल में बदल गया है. यह भी पढ़ें- Indian Wheat Export: कई देशों को रोटी खिला रहा भारत, बैन के बाद भी 16 लाख टन गेहूं निर्यात संशोधन के बाद, इन 10 राज्यों का संयुक्त मासिक गेहूं आवंटन घटकर 9.39 लाख टन रह गया है. पहले यह 15.36 लाख टन था. इन राज्यों को गेहूं आवंटन में कटौती के बराबर अतिरिक्त चावल मुहैया कराया जाएगा. लेकिन ये राज्य पहले के जितना ही गेहूं मांग रहे हैं क्योंकि इन राज्यों में गेहूं की खपत और डिमांड ज्यादा है. अनाज खपत का ट्रेंड भारत में प्रति व्यक्ति अनाज की खपत में धीरे-धीरे गिरावट आई है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने भारत में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की घरेलू खपत को लेकर साल 2011-12 में रिपोर्ट जारी की थी. दरअसल यह आखिरी प्रकाशित रिपोर्ट है. इस रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत में प्रति व्यक्ति चावल की खपत कम हुई है. यह भी पढ़ें- देश में गेहूं की पैदावार 20 साल के न्यूनतम स्तर पर, क्या होगा आने वाले समय में इसका असर? ग्रामीण भारत में साल 2004-05 में प्रति व्यक्ति प्रति मंथ चावल की खपत 6.38 किलो से घटकर साल 2011-12 में 5.98 किलो आ गई. वहीं, शहरी भारत में  यह आंकड़ा 4.71 किग्रा से 4.49 किग्रा रहा. गेहूं की खपत साल 2011-12 के दौरान ग्रामीण इलाके में 4.29 किलो और शहरी इलाके में 4.01 किलो प्रति व्यक्ति प्रति मंथ थी. साल 2004-5 की तुलना में ग्रामीण इलाके में यह खपत प्रति व्यक्ति प्रति मंथ 0.1 किलो बढ़ी है और शहरी इलाके में 0.35 किलो घटी है. गेहूं आवंटन में कटौती क्यों की गई है? राज्यों के कोटे में गेहूं कटौती की मुख्य वजह पिछले साल की तुलना में कम खरीद है. वर्तमान रबी विपणन सत्र (आरएमएस 2022-23) के दौरान 4 जुलाई तक 187.89 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है, जो पूरे आरएमएस 2021-22 में खरीदे गए 433.44 लाख टन गेहूं से 56.65 फीसदी कम है. यह ट्रेंड पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों में है. गेहूं का स्टॉक 14 साल में अपने सबसे निचले स्तर पर  सेंट्रल पूल में गेहूं का स्टॉक 14 साल में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है. जून के पहले दिन यह 311.42 लाख टन था, जो 2008 में 241.23 लाख टन के बाद सबसे कम था. पिछले साल 1 जून को यह 602.91 लाख मीट्रिक टन था. भारतीय खाद्य निगम के खाद्यान्न भंडारण मानदंडों के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को 275.80 लाख टन का स्टॉक रखा जाना है. हालांकि मौजूदा स्टॉक के आधिकारिक आंकड़े अभी तक जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन सूत्रों ने कहा कि स्टॉक में और गिरावट आई है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Central government, Government Policy, Wheat, Wheat cropFIRST PUBLISHED : July 07, 2022, 18:19 IST