55 हजार करोड़ का हो सकता है टाटा संस का आईपीओ! कहां तक पहुंची तैयारी

Tata Sons IPO : टाटा समूह की सबसे बड़ी कंपनी और सभी कंपनियों पर होल्‍ड रखने वाली टाटा संस के आईपीओ को लेकर बादल अभी तक पूरी तरह छंटे नहीं हैं. आरबीआई ने सितंबर, 2025 तक लिस्‍ट होने की डेडलाइन रखी है, लेकिन अभी तक इस पर कोई अपडेट नहीं आया है.

55 हजार करोड़ का हो सकता है टाटा संस का आईपीओ! कहां तक पहुंची तैयारी
नई दिल्‍ली. देश की सबसे दिग्‍गज कंपनियों में शुमार टाटा संस के आईपीओ लाने की समय-सीमा नजदीक आ रही है. इसके साथ ही बाजार सहित सभी की निगाहें रिजर्व बैंक पर टिकी हैं कि वह इसे लेकर किस तरह का रुख अपनाएगा. विश्‍लेषकों का कहना है कि टाटा संस इतना बड़ा है कि इसे आईपीओ के लिए डीआरएचपी तैयार करने में काफी समय लगेगा. आरबीआई के नियमों के मुताबिक इसे सितंबर,2025 तक बाजार में लिस्ट होना है. ऐसे में अगर आरबीआई की ओर से अब मंजूरी मिलती है तो भी टाटा संस को आईपीओ लाने की तैयार में काफी समय लगेगा. दरअसल, टाटा संस को आरबीआई के स्केल-बेस्ड रेगुलेशन (एसबीआर) फ्रेमवर्क के तहत एक कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (सीआईसी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है. समय सीमा के नजदीक आते ही, टाटा सन्स कथित तौर पर इस अनिवार्य लिस्टिंग आवश्यकता से बचने के तरीकों की तलाश कर रहा है. इसने अपने आरबीआई पंजीकरण को स्वेच्छा से सौंप भी दिया है. इस कदम ने कंपनी की नियामक रणनीति पर सवाल खड़े किए हैं और वित्तीय समुदाय में चिंताएं भी पैदा की हैं. ये भी पढ़ें – ये तो चमत्‍कार है! बेटे के पैदा होने पर लगाए थे 10 लाख, 22 साल का हुआ तो बन गया 7.26 करोड़ का मालिक कितना समय लगेगा तैयारी में 2022 में आरबीआई ने एसबीआर फ्रेमवर्क के तहत एक नया नियम सेट पेश किया, जिसका उद्देश्य बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए बेहतर गवर्नेंस और पारदर्शिता सुनिश्चित करना था. ‘अपर लेयर’ में वर्गीकृत टाटा सन्स को पब्लिक लिस्टिंग के लिए तीन साल का समय दिया गया था. इस समय सीमा को सितंबर 2025 में पूरा करना है. विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी आईपीओ प्रक्रिया की तैयारी में कम से कम छह से आठ महीने लग सकते हैं. बचने की हर जुगत कर रही कंपनी कुछ रिपोर्टें यह भी बताती हैं कि टाटा सन्स ने अपने बकाया कर्ज को चुका दिया है, जो शायद आरबीआई पंजीकरण छोड़ने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. यदि कंपनी इसमें सफल होती है, तो वह एसबीआर फ्रेमवर्क की लिस्टिंग आवश्यकता से मुक्त हो जाएगी, जिससे सार्वजनिक निगरानी और सूचीबद्ध कंपनियों के लिए आवश्यक पारदर्शिता मानदंडों का पालन करने की जरूरत नहीं रहेगी. इस विवाद में एक अन्य पहलू टाटा ट्रस्‍ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन की भूमिका भी है, जिनका टाटा सन्स में महत्वपूर्ण प्रभाव है. श्रीनिवासन जून 2022 से आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल में कार्यरत हैं. शापूरजी पलोनजी समूह कर रहा आईपीओ का समर्थन मामले से जुड़े एक व्यक्ति कहा कहना है कि कुछ शेयरधारक टाटा सन्स की लिस्टिंग का समर्थन कर रहे हैं. कंपनी की पिछली वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में टाटा संस में 18.37 फीसदी के साथ दूसरे सबसे बड़े शेयरधारक शापूरजी पलोनजी समूह ने टाटा सन्स के आईपीओ को मजबूत समर्थन दिया. विश्लेषकों का अनुमान है कि 5% हिस्सेदारी बिक्री से भी 55,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि इस आईपीओ से जुटाई जा सकती है. छूट मिली तो दूसरी कंपनियां भी करेंगी मांग विश्‍लेषकों का कहना है कि यदि टाटा सन्स को लिस्टिंग से बचने की अनुमति मिलती है, तो इससे एसबीआर फ्रेमवर्क के ‘अपर लेयर’ में शामिल अन्य कंपनियों के लिए भी रास्‍ता खुल जाएगा. ऐसा हुआ तो आरबीआई के नियामक उद्देश्यों पर असर पड़ेगा. इसमें एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, बजाज फाइनेंस और एलएंडटी फाइनेंस सहित अन्य प्रमुख एनबीएफसी ने पहले से ही एसबीआर की लिस्टिंग आवश्यकता का पालन करने के लिए कदम उठा लिए हैं तो यह कंपनियां भी इसका विरोध कर सकती हैं. Tags: Business news, IPO, Ratan tata, Share marketFIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 12:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed