ऐसी दरियादिली और कहां! रतन टाटा ने पैसे देकर बचा ली 115 कर्मचारियों की नौकरी

Great Ratan Tata : एक तरफ जहां गूगल, ऐपल, अमेजन जैसी दिग्‍गज कंपनियां फंड बचाने के लिए कर्मचारियों की धड़ाधड़ छंटनी कर रही हैं, वहीं भारतीय उद्योग समूह टाटा ने अपने 115 कर्मचारियों की नौकरी बचाने के लिए 2 दिन के भीतर फंड जारी कर दिया.

ऐसी दरियादिली और कहां! रतन टाटा ने पैसे देकर बचा ली 115 कर्मचारियों की नौकरी
हाइलाइट्स यह मामला टाटा इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेज का है. 28 जून को 115 कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान हो गया था. 30 जून को इन कर्मचारियों की छंटनी रोक दी गई है. नई दिल्‍ली. गूगल, अमेजन जैसी दिग्‍गज कंपनियां जहां पैसे बचाने के लिए बिना कुछ सोचे-समझे कर्मचारियों की बलि चढ़ा देती हैं, वहीं टाटा ने दुनिया के लिए एक नजीर पेश की है. वह तब जबकि कंपनी ने इन कर्मचारियों को बाहर का रास्‍ता दिखा दिया था. लेकिन, ऐन वक्‍त पर रतन टाटा ने पैसे देकर इन कर्मचारियों की नौकरी बचा ली और टर्मिनेशनल वापस हो गया. आपको बता दें कि टीसीएस ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं करने वाली है. यह मामला टाटा इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेज का है, जहां 28 जून को 115 कर्मचारियों की छंटनी करने का ऐलान कर दिया गया था. इसके बाद रविवार 30 जून को कहा गया कि इन कर्मचारियों की छंटनी फिलहाल रोक दी गई है. इसमें 55 फैकल्‍टी मेंबर्स और 60 नॉन टीचिंग स्‍टाफ था. छंटनी रोकने का ऐलान रतन टाटा की अगुवाई वाले टाटा एजुकेशन ट्रस्‍ट (TET) के उस फैसले के बाद किया गया, जिसमें ट्रस्‍ट ने आर्थिक अनुदान बढ़ाने का फैसला किया है. ये भी पढ़ें – Exclusive: हादसे को दावत दे रहा था T-1! 2016 में होना था डिमोलिश, 2024 तक उड़ते रहे विमान, मास्‍टर प्‍लान में भी बड़ा खेल किस काम के लिए आया फंड ट्रस्‍ट ने प्रोजेक्‍ट, प्रोग्राम और नॉन टीचिंग स्‍टॉक की सैलरी व अन्‍य खर्चों को लेकर नया फंड जारी कर दिया, जिससे 115 कर्मचारियों की नौकरी बच गई. इससे पहले टाटा इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने सैलरी के लिए पर्याप्‍त फंड नहीं होने की वजह से छंटनी का मन बना लिया था. संस्‍थान ने कहा कि बीते 6 महीने से फंड की कमी का सामना कर रहे हैं और अब समय पर वेतन देना मुश्किल हो रहा है. 88 साल से चल रहा संस्‍थान सर दोराबजी टाटा ग्रेजुएट स्‍कूल ऑफ सोशल वर्क की स्‍थापना साल 1936 में की गई थी. साल 1944 में इसका नाम बदलकर टाटा इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज कर दिया. इस संस्‍थान को तब बड़ी सफलता मिली जब साल 1964 में इसे डीम्‍ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिल गया. यह संस्‍थान ह्यूमन राइट्स, सोशल जस्टिस और डेवलपमेंट स्‍टडीज की फील्‍ड में पूरी दुनिया में अपना नाम रखता है. Tags: Business news, Job loss, Ratan tata, Tata MotorsFIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 17:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed