पटरी से उतरने के बाद क्या करना होता है लोकोपायलट को 999% को नहीं पता

ट्रेन के पटरी से उतरने के बाद सबसे लोको पायलट को सबसे पहले क्‍या करना होता है, 99.9 फीसदी को नहीं पता होगा, आइए जानें-

पटरी से उतरने के बाद क्या करना होता है लोकोपायलट को 999% को नहीं पता
नई दिल्‍ली. झारखंड के चक्रधरपुर रेल हादसे हादसे में शुरुआती जांच के अनुसार संभावना है कि मालगाड़ी और सवारी गाड़ी समानान्‍तर अलग-अलग ट्रैक पर चल रही होंगी, सवारी गाड़ी मालगाड़ी से थोड़ा आगे चल रही होगी. मालगाड़ी के डिब्‍बे पटरी उतर कर बगल के ट्रैक पर जा गिरे. हावड़ा-मुंबई मेल आगे होने की वजह से इंजन आगे निकल गया और इसके कोच से मालगाड़ी के डिब्‍बे टकरा गए. क्‍योंकि हावड़ा मुंबई मेल का इंजन पटरी से नहीं उतरा है. किसी भी ट्रेन के पटरी से उतरने के बाद सबसे लोको पायलट को सबसे पहले क्‍या करना होता है, 99.9 फीसदी को नहीं पता होगा, आइए जानें जब कोई सवारी गाड़ी या मालगाड़ी पटरी से उतरती है और उसके डिब्‍बे आसपास के ट्रैक पर जाकर गिरते हैं. इन स्थितियों में उस ट्रेन के लोकोपायलट और गार्ड अगर सुरक्षित हैं और हादसा रात में होता है, तो अपनी ट्रेन को देखने के बजाए सबसे पहले इंजन की हेड लाइट ऑफ करनी होती है और फ्लैशर लाइट को ऑन करना होता है. यह हल्‍के पीले रंग की होती है. जो सामने से आ रही ट्रेन के लिए संकेत होता है कि वो ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक लगा दे. भागकर दूसरे ट्रैक पर पटाखे लगाने होते हैं इसके बाद लोको पायलट और असिस्‍टेंट लोको पायलट में कोई एक दूसरे ट्रैक पर 800 या 1000 मीटर दूर (करीब 12-14 पिलर) आगे भागकर ट्रैक पर पटाखे ( डेटोनेटर) लगाएगा. यह साउंड सिग्‍लन होता है. पटाखे की आवाज का मतलब कोई ट्रेन रुकवाना चाह रहा है. लोकोपायलट को तुंरत इमजरेंसी ब्रेक लगानी होती है. इसके साथ ही लाल सिग्‍नल दिखाना होता है. साथ ही लोको पायलट के पास वॉकीटॉकी भी होता है, वो इससे से मैसेज प्रसारित करना होता है. ओवर लोडिंग भी एक वजह ट्रेन हादसे को लेकर इंडियन रेलवे लोको रनिंगमैन आर्गनाइजेशन (आईआरएलआरओ) के वर्किंग प्रेसीडेंट संजय पांधी ने बताया कि करीब दो दशक से लगातार मालगाड़ी के डिब्‍बों में ओवर लोडिंग के कारण ट्रैक कमजोर हो रहे हैं. ट्रेनों के पटरी से उतरने के बढ़ती हुई घटनाओं का एक बड़ा तकनीकी कारण यह भी हो सकता है. वे बताते हैं कि यह बात संसदीय कमेटी के सामने तथा एक्‍सपर्ट भी बोल चुके हैं. क्‍योंकि ट्रेन का इंजन 20 से 22 मीटर तक का होता है, जिसका 120 टन का होता है, वहीं, मालगाड़ी के डिब्‍बों का वजन 70 से 85 टन के बीच होता है और इसकी लंबाई 10 मीटर के करीब होती है. वे बताते हैं कि ट्रैक मेंटीनेंस और मरम्‍मत में जरूरत से ज्‍यादा आउट सोर्सिंग भी अनस्‍टेबल कर रही है. Tags: Indian railway, Indian Railway news, Train accidentFIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 15:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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