कटड़ा-श्रीनगर रेल में लाइन तीन बड़े चैलेंज जिनकी वजह से लगा समय
कटड़ा-श्रीनगर रेल में लाइन तीन बड़े चैलेंज जिनकी वजह से लगा समय
Srinagar Katra Railway Line- श्रीनगर रेल मार्ग से पूरे देश से जुड़ने वाला है. क्या कभी आपने सोचा है कि इस रेल लाइन की शुरुआत करीब 22 साल पहले हुई थी, लेकिन तैयार अब हुई है. इसकी वजह क्या रही है? निर्माण में भारतीय रेलवे के सामने सबसे बड़े तीन चैलेंज कौन-कौन से आए हैं. जानें-
नई दिल्ली. श्रीनगर रेल मार्ग से पूरे देश से जुड़ने वाला है. कटड़ा श्रीनगर रेल लाइन तैयार हो गयी है और भारतीय रेलवे ने इस नए रूट पर पहली ट्रेन वंदेभारत चलाने की घोषणा कर दी है. इस तरह जल्द ही ट्रेन से आप श्रीनगर का सफर कर सकेंगे. लेकिन कभी आपने सोचा है कि इस रेल लाइन की शुरुआत करीब 22 साल पहले हुई थी, लेकिन तैयार अब हुई है. इसकी वजह क्या रही है? निर्माण में भारतीय रेलवे के सामने सबसे बड़े तीन चैलेंज कौन-कौन से आए हैं. जानें
माता वैष्णो देवी कटड़ा से श्रीनगर तक जल्द ही ट्रेन शुरू होने वाली है. इसकी शुरुआत प्रमुख रूप में 2002 में तब हुई थी, जब उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल) “राष्ट्रीय परियोजना” घोषित किया गया था. इसके तहत उधमपुर से बारामूला तक कश्मीर घाटी को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के लिए 272 किमी. लंबी रेल लाइन किया गया है. यह परियोजना आज़ादी के बाद भारतीय रेलवे द्वारा किया गया सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है.
बीच का कुछ हिस्सा छोड़कर दोनों ओर चल रही है ट्रेन
यूएसबीआरएल में बीच के कुछ हिस्से को छोड़कर दोनों ओर ट्रेन चल रही है. साल 2013 में 18 किमी. बनिहाल-काजीगुंड रेल खंड और वर्ष 2014 में 25 किलोमीटर उधमपुर-कटरा खंड तथा पिछले साल फरवरी 2024 में 48.1 किलोमीटर बनिहाल-संगलदान रेल खंड पर ट्रेन चल रही हैं. बारामूला-बडगाम-बनिहाल खंड पर 19 यात्री विशेष ट्रेनें चल रही हैं.
इसलिए लगा रेल लाइन बनाने में समय
यूएसबीआरएल परियोजना में 38 सुरंगें (इनकी कुल लंबाई 119 किमी) शामिल हैं, सबसे लंबी सुरंग (टी-49) की लंबाई 12.75 किमी है, जो देश की सबसे लंबी परिवहन सुरंग है। पुलों की संख्या 927 (कुल लंबाई 13 किमी.) है. रेल लाइन पर पड़ने वाली सुरंग और पुलों की वजह से इसके निर्माण में समय लगा है.
पूरी लाइन में तीन सबसे बड़े चैलेंज
श्रीनगर से कटड़ा के बीच रेल लाइन में तीन सबसे बड़े चैलेंज आए हैं. इसमें चिनाब ब्रिज, अंजी ब्रिज और टनल 33 शामिल है. इनका निर्माण रेलवे के लिए चैलेंजिंग रहा है, जो इंजीनियरिंग के बेजोड़ नामून हैं.
एफिल टावर से ऊंचा चिनाब ब्रिज
रेलवे के सबसे ऊंचे मेहराबदार (आर्च) रेलवे ब्रिज अपने आप में चैलेंजिंग था, तेज हवाओं और खराब मौसम में बीच इस ब्रिज का निर्माण करना आसान नहीं था. लेकिन देश के इंजीनियरों ने इसे संभव कर दिया है. पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचे यह पुल मील का पत्थर साबित होगा. कटड़ा से बनिहाल तक बनने वाली इस रेलवे लाइन पर चिनाब नदी 1.03 किमी. लंबा आर्च ब्रिज बनाया गया है. इससे कटरा से बनिहाल के बीच रेल नेटवर्क जुड़ेगा. यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना हिस्सा है. यह ब्रिज नदी तल से 359 मीटर ऊपर बना है.
केबल पर बना अंजी ब्रिज
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में देश के पहले केबल रेल पुल अंजी ब्रिज का निर्माण किया गया है. 725 मीटर लंबे इस पुल का 473 मीटर का हिस्सा केबल के सहारे हवा में लटका हुआ है. यह नदी के तल से करीब 331 मीटर ऊपर है. यानी यह ऊंचाई 331 मीटर बन रही है. इसमें केवल एक ही पिलर है, जिसकी कुल लंबाई 193 मीटर है.
सबसे लंबी सुरंग टी-33 का निर्माण
माता वैष्णो देवी श्राइन की तलहटी में स्थित और कटरा को रियासी से जोड़ने वाली 3.2 किलोमीटर लंबी सुरंग टी-33 का निर्माण अपने आप में चैलेंजिंग था. चूंकि यह सबसे लंबी टनल थी और जहां पर टनल बनाई गयी है, वो कच्चे पहाड़ हैं. इस टनल के निर्माण के बाद श्रीनगर पूरे देश के रेल नेटवर्क से जुड़ गया है.
Tags: Indian railway, Indian Railway news, Mata Vaishno Devi, Srinagar NewsFIRST PUBLISHED : January 9, 2025, 09:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed