आपकी कितने नम्बर तक वेटिंग टिकट हो सकती है कंफर्म रेलवे ने किया खुलासाजानें
आपकी कितने नम्बर तक वेटिंग टिकट हो सकती है कंफर्म रेलवे ने किया खुलासाजानें
ट्रेनों में सबसे ज्यादा मारमारी फेस्टिवल सीजन में होती है. उस दौरान कुछ ट्रेनों में वेटिंग 500 के करीब तक पहुंच जाती है. वेटिंग कंफर्म को लेकर रेलवे ने स्वयं खुलासा किया है कि कितने नंबर तक कंफर्म हो सकती है और इसका फार्मूला क्या है. आइए जानें-
नई दिल्ली. ट्रेनों में सफर करने वालों के मन में उस समय असमंजस्य रहता है, जब उन्हें वेटिंग टिकट मिलता है. पता नहीं होता है कि टिकट कंफर्म होगा या नहीं. उन्हें यात्रा प्लान करने में परेशानी होती है. आफिसों में काम करने वालों को ज्यादा समस्या होती है, क्योंकि उन्हें छुट्टी का चक्कर होता है. कितने नंबर तक वेटिंग कंफर्म हो सकती है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हेाता है. हालांकि मौजूदा समय कई वेबसाइट संभावना बताती हैं लेकिन कई बार वो भी गलत हो जाता है. इसी को देखते हुए वेटिंग कंफर्म को लेकर रेलवे ने स्वयं खुलासा किया है कि कितने नंबर तक कंफर्म हो सकती है और कंफर्म होने का फार्मूला क्या है. आइए जानें-
ट्रेनों में सबसे ज्यादा मारमारी फेस्टिवल सीजन में होती है. कुछ ट्रेनों में वेटिंग 500 के करीब तक पहुंच जाती है. हालांकि उस दौरान कंफर्म होने की संभावना कम हो जाती है. वेटिंग टिकट दो तरह से कंफर्म होता है पहला सामान्य तरीके से दूसरे रेलवे के इमरजेंसी कोटा से.
कंफर्म होने का फार्मूला
ट्रेनों में रिजर्वेशन कराने के बाद औसतन 21 फीसदी लोग टिकट कैंसिल कराते हैं. इस तरह अगर 21 फीसदी संभावना कंफर्म होने की रहती है. यानी स्लीपर के एक कोच में 72 सीटों औसतन 14 सीटें कंफर्म होने की संभावना रहती है. इसके अलावा करीब 4 से 5 फीसदी लोग टिकट लेने के बाद भी ट्रेन में सफर नहीं करते हैं. इसे भी जोड़ लिया जाए तो करीब 25 फीसदी यानी एक कोच में 18 सीट तक कंफर्म हो सकती है.
पूरी ट्रेन में कितनी सीटें हो सकती है कंफर्म
उदाहरण के लिए किसी भी ट्रेन में स्लीपर के 10 कोच हैं. उनके 10 कोचों में 18-18 सीटें कंफर्म होने की संभावना रहती है. इस तरह वेटिंग 180 कंफर्म हो सकती हैं. यही फार्मूला थर्ड, सेकेंड और फर्स्ट ऐसी में भी लागू होता है.
संख्या और भी बढ़ सकती है
रेल मंत्रालय के पास इमरजेंसी कोटा होता है. इसके तहत 10 फीसदी सीटें रिजर्व होती हैं. इस तरह स्लीपर, थर्ड एसी, सेकेंड एसी और फर्स्ट ऐसी में अलग-अलग नंबर होता है. यह कोटा इसलिए होता है कि अगर कोई बीमार व्यक्ति या जरूरतमंद हो तो रेलवे कंफर्म सीट दे सके. उदाहरण के लिए 10 फीसदी में पांच फीसदी ही इमरजेंसी कोटे के तहत कंफर्म टिकट दिया गया तो 5 फीसदी वेटिंग कंफर्म होने की संभावना और बढ़ जाएगी.
Tags: Indian railway, Indian Railway news, Train ticketFIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 08:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed