130 साल पुराने बिजनेस घराने में ठना बंटवारा! अब सेबी से दो-दो हाथ की तैयारी

Kirloskar Industries Dispute : देश के बड़े और सबसे पुराने औद्योगिक घरानों में शामिल किर्लोस्‍कर समूह के परिवारों के बीच संपत्ति का विवाद लंबे समय से चल रहा है. अब इसमें सेबी ने हाथ डाला तो इन कंपनियों ने कानून का दरवाजा खटखटाने की बात कही है.

130 साल पुराने बिजनेस घराने में ठना बंटवारा! अब सेबी से दो-दो हाथ की तैयारी
नई दिल्‍ली. देश के 130 साल पुराने औद्योगिक घराने में बीते 8 साल से बंटवारा ठना हुआ है. बाजार नियामक सेबी ने इसमें हस्‍तक्षेप करते हुए जब परिवार से समझौता दस्‍तावेज का खुलासा करने को कहा तो उद्योग समूह ने सेबी के खिलाफ ही कानूनी लड़ाई लड़ने की ठान ली है. समूह की 4 कंपनियों ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि वे सेबी के आदेश के खिलाफ जल्‍द ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी. आखिर इस उद्योग समूह में क्‍यों बंटवारे को लेकर सालों से ठनी है और अब सेबी की इसमें क्‍या भूमिका है. इसकी पूरी पड़ताल इस खबर के सहारे करते हैं. यह विवाद है किर्लोस्‍कर समूह का जिसकी कई बड़ी कंपनियां मार्केट पर राज कर रही हैं. अब किर्लोस्कर समूह की चार कंपनियां बाजार नियामक सेबी के उस पत्र को कानूनी रूप से चुनौती देने की तैयारी कर रही हैं जिसमें उनसे 11 सितंबर, 2009 को किर्लोस्कर परिवार के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित पारिवारिक समझौता दस्तावेज का खुलासा करने के लिए कहा गया है. कंपनियों ने इसकी जानकारी शेयर बाजार को भी दी है. ये भी पढ़ें – ये है गाड़ी पंचर करने वाला एक्‍सप्रेसवे! एक ही रात में 50 वाहनों के टायर हुए खराब, सर्दी में ठिठुरते हुए काटनी पड़ी रात क्‍या है कंपनियों का जवाब समूह की 4 कंपनियों किर्लोस्कर फेरस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज लिमिटेड, किर्लोस्कर न्यूमेटिक कंपनी लिमिटेड और किर्लोस्कर ऑयल इंजन लिमिटेड ने शेयर बाजार को बताया है कि वे पारिवारिक समझौता दस्तावेज (डीएफएस) से बाध्य नहीं हैं और न ही इसका उन पर कोई प्रभाव पड़ता है या उन पर कोई प्रतिबंध या जवाबदेही बनती है. कंपनियों के मुताबिक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 30 दिसंबर, 2024 को लिखे पत्र में उन्हें सलाह दी है कि वे सेबी सूचीबद्धता दायित्वों और खुलासा शर्तों के नियम के तहत किर्लोस्कर परिवार के सदस्यों के बीच उनकी व्यक्तिगत क्षमता में किए गए पारिवारिक समझौते की जानकारी दें. क्‍यों नहीं देना चाहतीं जानकारी कंपनियों का दावा है कि डीएफएस के बाध्यकारी होने का मामला 2018 से ही दीवानी अदालत में विचाराधीन है. इसके बावजूद सेबी ने उन मामलों पर राय दी है जो विचाराधीन हैं. सेबी के फैसले में तथ्यात्मक अशुद्धियां होने के साथ अनुबंध कानून, कॉरपोरेट कानून और कंपनी कानून के स्थापित सिद्धांतों की पूरी तरह अनदेखी भी की गई है. कंपनियों ने डीएफएस को बाध्यकारी न मानते हुए कहा कि इस द्स्तावेज का उन पर अलग से कोई प्रभाव नहीं है, न ही कोई प्रतिबंध या देयता है. किस कंपनी का मालिक कौन करीब 130 साल पुराने किर्लोस्कर समूह की परिसंपत्तियों पर नियंत्रण को लेकर किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजय किर्लोस्कर और अतुल किर्लोस्कर एवं राहुल किर्लोस्कर के बीच डीएफएस को लेकर 2016 से ही विवाद चल रहा है. राहुल किर्लोस्कर, किर्लोस्कर न्यूमेटिक कंपनी लिमिटेड (केपीसीएल) के कार्यकारी चेयरमैन हैं जबकि अतुल किर्लोस्कर, किर्लोस्कर ऑयल इंजन लिमिटेड (केओईएल) के कार्यकारी चेयरमैन हैं. क्‍या है परिवार में विवाद किर्लोस्‍कर परिवार के एक दावेदार संजय किर्लोस्‍कर की अगुवाई वाली कंपनी किर्लोस्‍कर ब्रदर्स लिमिटेड ने आरोप लगाया है कि उनके भाई राहुल और अतुल किर्लोस्‍कर उनकी विरासत छीनने और जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. करीब 1.56 लाख करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण वाले किर्लोस्‍कर समूह के देश-विदेश में करीब 14 कारखाने हैं. संजय का कहना है कि भाइयों के साथ विवाद में कंपनी का लोगो तक बदल गया है. Tags: Business news, Property disputeFIRST PUBLISHED : January 1, 2025, 13:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed