डेढ़ शाणे निकले ई-रिक्‍शा वाले! सरकार को हर साल लगा रहे 120 करोड़ का चूना

E-Rickshaw Fraud : दिल्‍ली की सड़कों और गली-गली में थोक के भाव चलने वाले ई-रिक्‍शा ने न सिर्फ जाम की समस्‍या बढ़ाई है, बल्कि अवैध रूप से बिजली का इस्‍तेमाल कर सरकार को हर साल 120 करोड़ की चपत भी लगा रहे हैं. इसके अलावा 1.10 ई-रिक्‍शा का पंजीकरण न कराके भी सरकार को 5.50 करोड़ का चूना लगाया है.

डेढ़ शाणे निकले ई-रिक्‍शा वाले! सरकार को हर साल लगा रहे 120 करोड़ का चूना
हाइलाइट्स दिल्‍ली में सिर्फ 50 हजार ई-रिक्‍शा ही परिवहन विभाग में पंजीकृत हैं. राजधानी की सड़कों पर करीब 1.60 लाख ई-रिक्‍शा चलाए जा रहे हैं. ई-रिक्‍शा मालिक अवैध चार्जिंग के जरिये 120 करोड़ का चूना लगा रहे. नई दिल्‍ली. देश की राजधानी दिल्‍ली जहां पूरे देश को चलाने वाली ताकतें बैठती हैं और एक नहीं दो-दो सरकारें कामकाज देखती हैं. वहां, ई-रिक्‍शा चलाने वाले हर साल करोड़ों का चूना लगा रहे हैं. वह भी एक नहीं दो-दो तरह से सरकार को नुकसान पहुंचा रहे हैं. मामले से जुड़े अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि शहर में अवैध रूप से ई-रिक्‍शा चार्ज करने का काम धड़ल्‍ले से चल रहा है और इससे बिजली वितरण कंपनियों को हर साल करीब 120 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. इतना ही नहीं अवैध तरीके से ई-रिक्‍शा चार्ज करने की वजह से सुरक्षा को लेकर भी चिंता बनी हुई है. बिजली वितरण कंपनियों के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में करीब 1.6 लाख ई-रिक्शा हैं, जिनमें से सिर्फ 50,000 ही सरकार के परिवहन विभाग में पंजीकृत हैं. विभाग बिना पंजीकरण वाले ई-रिक्शा को जब्त करने और ‘स्क्रैप’ (कबाड़) करने का अभियान चला रहा है. दरअसल, बिजली वितरण कंपनियां और बिजली विभाग ने पहले भी ई-रिक्शा की चार्जिंग में बिजली चोरी रोकने और सुरक्षा मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की है. आम लोगों और संचालकों को करीब 4,000 वैध ई-रिक्शा चार्जिंग कनेक्शन दिए गए हैं. प्रत्येक कनेक्शन कई ई-रिक्शा को चार्ज करने में सक्षम है. ये भी पढ़ें – म्यूचुअल फंड से अच्छा ‘निफ्टी बीईएस’! 280 रुपये में शेयर बाजार की सारी कंपनियों में एक साथ निवेश, जानिए कैसे बढ़ गईं आग लगने की घटनाएं एक अधिकारी ने बताया कि राजस्व हानि के अलावा अवैध चार्जिंग और घटिया बैटरी से सुरक्षा को भी बड़ा खतरा है. हाल में शहर में खराब चार्जिंग सुविधा के कारण आग लगने और करंट लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं. पिछले सप्ताह उत्तर-पूर्वी दिल्ली में ई-रिक्शा चार्ज करते समय एक व्यक्ति की करंट लगने से मौत हो गई थी. यह बिजली चोरी का नया तरीका है. अनुमान है कि 60 प्रतिशत से अधिक ई-रिक्शा बिजली चोरी में संलिप्त हैं, जिसके परिणामस्वरूप शहर भर में 15-20 मेगावाट की हानि हो रही है. यह करीब 120 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान है. रियायती दरों पर लगता है शुल्‍क दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) ने वैध कनेक्शन को प्रोत्साहित करने के लिए ई-रिक्शा चार्जिंग के लिए 4.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से एक विशेष शुल्क श्रेणी शुरू की है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर दिल्ली में हर साल करीब तीन मेगावाट लोड वाले लगभग 200 ई-रिक्शा चार्जिंग स्थानों पर चोरी के मामले सामने आते हैं. करते हैं दोहरा नुकसान ई-रिक्‍शा चालकों ने दिल्‍ली सरकार को सिर्फ अवैध रूप से बिजली इस्‍तेमाल करने में ही चूना नहीं लगाया है, बल्कि अवैश रिक्‍शे की वजह से दोतरफा नुकसान पहुंचा रहे हैं. दिल्‍ली में ई-रिक्‍शा का पंजीकरण शुल्‍क 500 रुपये है और परिवहन विभाग का कहना है कि करीब 1.10 लाख अवैध ई-रिक्‍शा चलाए जा रहे हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो रजिस्‍ट्रेशन के मोर्चे पर भी 5.50 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है. Tags: Business news, E rickshaw driver beating, Electricity bill, Electricity pricesFIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 17:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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