FD कराओ या निवेश प्लान खरीदो मिलता है 2 फीसदी से भी कम रिटर्न! आखिर क्यों
FD कराओ या निवेश प्लान खरीदो मिलता है 2 फीसदी से भी कम रिटर्न! आखिर क्यों
Interest Rate : रिजर्व बैंक की ओर से जारी बुलेटिन में कहा गया है कि वास्तविक रेट पिछले दो साल में बढ़ गया है. हालांकि, अभी वास्तविक ब्याज दर 2 फीसदी से कम ही है. फिर भी यह कोरोनाकाल के 1 फीसदी से दोगुना हो गया है.
हाइलाइट्स आरबीआई ने जुलाई का बुलेटिन जारी किया है. इसमें वास्तविक ब्याज दर 1.9 फीसदी बताई है. कोरोनाकाल में यह ब्याज दर 1 फीसदी ही रही थी.
नई दिल्ली. ज्यादा रिटर्न पाने के लिए कोई बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट कराता है तो कोई सरकारी बचत योजनाओं में निवेश करता है. कुछ बैंक दावा करते हैं कि 8 फीसदी ब्याज देंगे तो कुछ बचत योजनाओं पर 8 फीसदी से ज्यादा के रिटर्न का दावा किया जाता है. लेकिन, रिजर्व बैंक की ओर से जारी एक लेख में खुलासा हुआ कि आखिर निवेशकों को वास्तव में कितना पैसा मिलता है अपने निवेश पर. आरबीआई के जुलाई में जारी बुलेटिन में कहा गया है कि वास्तविक दर 2 फीसदी से भी कम रहती है. हालांकि, यह भी दावा किया गया कि अब वास्तविक ब्याज दर बढ़ गई है.
बुलेटिन के मुताबिक, देश में ब्याज की स्वभाविक यानी अल्पकालिक वास्तविक दर मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही में बढ़कर 1.4-1.9 प्रतिशत हो गई. यह कोविड महामारी के दूसरे वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में अनुमानित 0.8 से 1.0 प्रतिशत थी. वास्तविक ब्याज दर (नैचुरल रेट) उन तत्वों से निर्धारित होती है जो दीर्घकालिक बचत-निवेश व्यवहार को प्रभावित करते हैं. वैसे देखा जाए तो बचत को कम करने या निवेश को बढ़ाने वाले कारक ब्याज की वास्तविक दर को बढ़ाते हैं. इस पर खासतौर से महंगाई का असर पड़ता है. आपको मिलने वाले ब्याज में से महंगाई की दर घटाने पर जो ब्याज आता है, वही आपके रिटर्न की वास्तविक दर है.
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देश में बढ़ी है वास्तविक ब्याज दर
जुलाई महीने के बुलेटिन में कहा गया है कि महामारी के बाद के आंकड़ों के साथ भारत के लिए ब्याज की अल्पकालिक वास्तविक दर के अनुमान को अपडेट करने पर हम इसमें वृद्धि पाते हैं. वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में ब्याज की वास्तविक दर बढ़कर 1.4 से 1.9 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है. यह 2021-22 की तीसरी तिमाही में 0.8-1.0 प्रतिशत थी. भारत के लिए ब्याज की वास्तविक दर के अपडेट अनुमान पर लेख आरबीआई के आर्थिक नीति शोध विभाग में वरिष्ठ अधिकारी हरेंद्र कुमार बेहरा ने लिखा है.
सरकार को करनी होगी निगरानी
लेख में कहा गया है कि नीति निर्माताओं और वित्तीय बाजार प्रतिभागियों को वास्तविक ब्याज दर का अनुमान लगाने के लिए अपने रुख में लगातार सुधार करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह उन नीतियों के लिए एक भरोसेमंद मार्गदर्शिका बना रहे हैं जिनका लक्ष्य स्थायी आर्थिक विकास और स्थिरता प्राप्त करना है. लंबे समय में मौद्रिक नीति के प्रभाव के कारण ब्याज की वास्तविक दर अलग-अलग हो सकती है.
कैसे प्रभावित होती है दर
लेख में कहा गया है कि भारत की आबादी संरचना में बड़ी संख्या में युवा आबादी और कामकाजी लोगों की बढ़ती संख्या है. ऐसे में यह स्थिति उच्च बचत और निवेश के साथ-साथ शिक्षा, आवास, विवाह और सेवानिवृत्ति के लिए वित्तीय देनदारियों के जरिये ब्याज की वास्तविक दर को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
Tags: Business news, Fixed deposits, Interest RatesFIRST PUBLISHED : July 19, 2024, 10:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed