एक को लुभाए दूसरा दूर भगाएबांग्लादेशियों के लेकर क्या चल रहा खेल
बांग्लादेश में अशांति की वजह से बहुत सारे लोग भारत में घुसने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व सरमा उन्हें अपने राज्य में घुसने नहीं देना चाहते. जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुलेआम उन्हें शरण देने बात कह रही हैं. इसे लेकर रविवार को खूब हंगामा हुआ.
ममता ने क्या कहा…
इसी बीच ममता बनर्जी ने ऐसा बयान दे दिया, जिस पर बवाल हो गया. रविवार को शहीद दिवस की रैली में कहा- मुझे बांग्लादेश के मामलों पर नहीं बोलना चाहिए, यह केंद्र सरकार का विषय है. लेकिन अगर संकट में फंसे लोग बंगाल के दरवाजे खटखटाएंगे तो हम उन्हें शरण जरूर देंगे. क्योंकि संयुक्त राष्ट्र भी कहता है कि संकट में फंसे लोगों को शरण देनी चाहिए. कुछ देर बाद उन्होंने ट्वीट भी किया. लिखा, लगभग 300 छात्र आज हिली सीमा पर पहुंचे और उनमें से ज्यादातर अपने ‘गंतव्य’ को चले गए. हालांकि, इनमें 35 ऐसे थे, जिनको मदद की जरूरत थी, हमने उन्हें मदद की है. जरूरत की चीजें मुहैया कराई हैं. ममता के इस बयान ने घी में आग का काम किया.
बीजेपी आईटी सेल चीफ ने कसा तंज
बीजेपी आईटी सेल चीफ अमित मालवीय ने ममता बनर्जी पर तंज कसा. ममता की जुबान में लिखा, ऑड डे, हम धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आए हिंदू शरणार्थियों को सीएए के तहत नागरिकता करने नहीं देंगे. अगर वे इसकी कोशिश करते हैं तो हम अवैध रोहिंग्याओं से, ट्रेनों को जलाने, सड़कों को रोकने और लोगों पर हमला करने के लिए कहेंगे. लेकिन आज बांग्लादेशियों का भारत में स्वागत है.’ दूसरी ओर, विनोद बंसल ने कहा, जरा ध्यान दें… दीदी ने आज घोषणा की है कि ‘अगर बांग्लादेशी हमारे दरवाजे पर दस्तक देंगे तो हम उन्हें आश्रय देंगे. बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में घुसाने के इस नए षड्यंत्र को देश अच्छी तरह समझता है. इंडो बांग्ला सीमा पर सख्ती ज़रूरी है.’
बीएसएफ हाईअलर्ट पर
त्रिपुरा के अगरतला समेत बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाकों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अलर्ट पर रखा गया है. बीएसएफ, त्रिपुरा फ्रंटियर के महानिरीक्षक पटेल पीयूष पुरुषोत्तम दास ने कहा, बांग्लादेश में जो हालात बने हैं, वो हमारे लिए भी चिंता का विषय हैं. हमने सुरक्षा बढ़ा दी है ताकि कोई आपराधिक तत्व सीमा पार करके भारत में न घुस आए. बड़ी संख्या में जवानों और सभी वरिष्ठ कमांडरों को सीमा पर भेजा गया है. बांग्लादेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी हमारे लिए प्रमुख चिंता का विषय है. बांग्लादेश में भारतीय छात्रों की संख्या करीब 8,000 है और उनमें से अधिकतर मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं.
विरोध-समर्थन की 5 वजह
- राजनीति के जानकारों के मुताबिक, ममता बनर्जी इसलिए बांग्लादेशियों को शरण देने की बात कह रही हैं, क्योंकि पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थी मौजूद हैं. इनमें से तमाम ममता बनर्जी के समर्थक माने जाते हैं.
- ममता बनर्जी बांग्लदेशी शरणार्थियों का साथ देकर अपने लिए उनका समर्थन और बढ़ाना चाहती हैं. पश्चिम बंगाल में माइनॉरिटीज का उन्हें भारी समर्थन है और इन माइनॉरिटीज का बांग्लादेशियों को लेकर एक सहानुभूमि है.
- उधर, असम के मुख्यमंत्री किसी बाहरी को अपने राज्य में घुसने नहीं देना चाहते. यहां तक कि वे अपने राज्य में रह रहे मॉइनॉरिटीज के भी सर्वे की बात कह चुके हैं. उनका दावा है कि बहुत सारे लोग पड़ोसी देशों से अवैध तरीके से आकर यहां रह रहे हैं.
- बीते दिनों हिमंता विश्व सरमा ने कहा था कि 1951 के दौरान असम में 12 फीसदी मुस्लिम थे, जो अब 40 फीसदी तक पहुंच गई है. इसके लिए अवैध घुसपैठ जिम्मेदार है. हिमंता विस्व सरमा पहले भी असम विधानसभा में इस मुद्दे पर बोल चुके हैं.
- केंद्र सरकार को चिंता है कि जिस तरह रोहिंंग्या आ गए हैं और कई तरह के अपराधों में उनकी मिलीभगत सामने आ रही, कहीं वैसी ही स्थिति इनकी वजह से न हो जाए. इसलिए सीमा पर अलर्ट घोषित किया गया है.
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