50 रुपये की लागत में 50 हजार की कमाई ये फसल किसानों को कर रही मालामाल!

इस क्षेत्र में कटहल की फसल का बंपर उत्पादन हो रहा है. ऐसे समय पर यहां के किसान कटहल को आजादपुर, फरीदाबाद, साहिबाबाद और अन्य प्रदेशों में भेज रहे हैं.

50 रुपये की लागत में 50 हजार की कमाई ये फसल किसानों को कर रही मालामाल!
फर्रुखाबाद: अगर आप भी गेहूं और धान की फसल करके थक चुके हैं तो किसानों के लिए ये जानकारी बेहद खास है. दरअसल आज के दौर में हर किसान कम जमीन पर न्यूनतम लागत में ऐसी फसल उगाना चाहते हैं जिससे उन्हें कुछ ही महीनों में लाखों रुपये की कमाई हो सके. तो ऐसे में किसान जैकफ्रूट यानी कटहल की फसल लगा सकते हैं. आमतौर पर इसका प्रयोग घर में सब्जी बनाने के साथ ही अचार के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. जिसका स्वाद भी लाजवाब है. वहीं स्वादिष्ट होने के कारण इसकी हर समय अच्छी डिमांड बनी रहती है. उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के निवासी किसान महमूद ने बताया कि कटहल का एक पौधा आमतौर पर 50 रुपये का आता है. जो की खाली पड़ी जमीन पर लगाने के बाद समय-समय पर इसमें सिंचाई की जाती है. इसमें विशेष लागत नहीं आती. लेकिन जब यह पौधा बढ़ना शुरू होता है तो कम समय में ही इसमें फल आने लगते हैं. इसके साथ ही इन्हीं कटहल के पेड़ों के नीचे वह हरी सब्जियों को लगाकर दोगुना लाभ कमा रहे हैं. इस समय तीस रुपए प्रति किलो की दर से बिक्री हो रही है. इन राज्यों से आ रही डिमांड जिस प्रकार कटहल में विटामिन मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके साथ ही इसमें सोडियम, आयरन कैल्शियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, जिंक जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं. कटहल को आमतौर पर सदाबहार फसल भी कहते हैं. क्योंकि इसकी खेती किसी भी मौसम में आसानी से की जा सकती है. जिस प्रकार उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ ही फर्रुखाबाद में कटहल की खेती अधिक मात्रा में की जाती है. क्योंकि यहां पर इसके बागों को विशेष तरीके से तैयार किया जाता है. यह है इसकी खेती का तरीका इस क्षेत्र में कटहल की फसल का बंपर उत्पादन हो रहा है. ऐसे समय पर यहां के किसान कटहल को डीसीएम में लोड करने के बाद आजादपुर, फरीदाबाद, साहिबाबाद और अन्य प्रदेशों में जा रहा है. फर्रुखाबाद के राजेपुर सरायमेंदा गांव निवासी किसान महमूद बताते हैं कि कटहल की खेती करने के लिए वह सबसे पहले खेत को अच्छी तरीके से जुताई करने के बाद प्रति पांच मीटर की दूरी पर बड़े-बड़े गड्ढे करने के बाद उसमें गोबर से तैयार की गई जैविक खाद को डालते हैं. इसके बाद उसमें कटहल के पौधों को लगा देते हैं. वहीं 15 दिनों के अंतराल पर वह सिंचाई करते रहते हैं इस दौरान वह इन पौधों की जड़ों में नीम की खली का भी प्रयोग करते हैं. वहीं यह पौधे छह वर्ष में फल देने लगते हैं. Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 12:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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