इस खेती से किसानों को मिलेगा अच्छा मुनाफा बस किसान अपना लें ये तरीका

Lahi Farming: यूपी में तिलहनी फसल तोरिया या लाही की बुआई तेजी से चल रही है. इस फसल की कुछ सिस्में 60 दिनों, तो कुछ किस्में 90 दिनों में तैयार होती है. इस फसल से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

इस खेती से किसानों को मिलेगा अच्छा मुनाफा बस किसान अपना लें ये तरीका
सुलतानपुर: यूपी में तिलहनी फसल तोरिया, जिसे लाही भी कहते हैं. इस फसल की बुवाई अपने अंतिम समय पर चल रही है. ऐसे में 50 से 60 दिनों के अंदर तैयार होने वाली इस फसल के बाद किसान गेहूं की फसल भी उस खेत में तैयार कर सकते हैं, लेकिन बुवाई के दौरान और फसल तैयार होने के बीच कृषि वैज्ञानिक तोरिया को लेकर अपने विशेष सलाह और उपाय दे रहे हैं, जिससे किसान इस फसल को लेकर आने वाली समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं और फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी भी कर सकते हैं. जानें बोने का उचित समय रबी के मौसम में उगाई जाने वाली यह तिलहनी फसल है. वैसे तो इसकी ज्यादातर किस्में 55-60 दिनों में ही तैयार हो जाती हैं, लेकिन कुछ किस्में 85 से 90 दिन तक का भी समय ले लेती हैं. यह फसल 10 से 30 सितंबर के बीच बोई जाती है, जो कि नवंबर माह के अंत तक पककर तैयार हो जाती है. बरसात के मौसम में बोई जाने वाली इस फसल के बाद जो खेत अगस्त के आखिर में ज्वार, बाजरा आदि चारे वाली फसलों के बाद खाली हो जाते हैं, उनमें किसानों द्वारा आधुनिक तकनीक से तोरिया की फसल उगाकर खाली खेतों का सदुपयोग करके अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सकता है. बीज की मात्रा और उपचार केवीके सुलतानपुर में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डॉ एके सिंह के अनुसार बीज की दर 2 किलोग्राम प्रति एकड़, उर्वरक दर 80 किग्रा तथा सुपर 120 किग्रा प्रति एकड़ होनी चाहिए. सुपर की पूरी मात्रा तथा आधी यूरिया बुआई के समय तथा शेष यूरिया का छिड़काव पहली सिंचाई के बाद (25 दिन) के बाद करना चाहिए. जानें बुआई का तरीका तोरिया की बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. और बीज की गहराई 4 से 5 सेंटीमीटर रखना चाहिए. वहीं, पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर रखना चाहिए. इन बातों का रखें विशेष ध्यान तोरिया की फसल के लिए अगेती सिंचाई नहीं करनी चाहिए. सिंचाई उसी दरमियान की जानी चाहिए. जब पौधे में फूल और फलियां लगने लगे. बीज बोने के तीन हफ्ते बाद यदि खेत की गुड़ाई करा दी जाती है, तो खरपतवार नियंत्रण में अच्छी मदद मिल जाती है. तोरिया में मरोडिया रोग होने की संभावना अधिक रहती है. इसलिए मरोडिया रोग से प्रभावित पौधे निकालते रहना चाहिए ताकि रोग का प्रकोप अधिक न फैल सके. साथ ही अन्य कीटों के नियंत्रण के लिए किसानों को 200 मिली. मैलाथियान, 50 ईसी. 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिडक़ाव करना चाहिए. Tags: Agriculture, Local18, Sultanpur news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 12:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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