बाजरे की खेती करने वाले किसान इन बातों का रखें ध्यान बंपर होगी पैदावार
बाजरे की खेती करने वाले किसान इन बातों का रखें ध्यान बंपर होगी पैदावार
प्रो. अशोक कुमार सिंह ने आगे कहा कि इसके लिए जरूरी है कि बाजरे के बुवाई के बाद जब जमाव होकर पौधा 6 इंच, 8 इंच या 10 इंच का हो जाए तो ऐसी स्थिति में देखरेख ज़रूरी है. अगर एक महीने की फसल हो चुकी है, तो निराई गुड़ाई कर दें
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: अगर आपने भी बाजरे की बुवाई की है, तो यह खबर आपके काम की है. बाजरे की बुवाई खत्म हो चुकी है, अब पौधे अपने प्रगति पर हैं. ऐसे में कुछ ऐसी समस्या आती है, जिसको अगर नजरअंदाज करें तो संभवत: पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. केवल कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर फोकस कर किसान अगर देखरेख कर दें, तो उनकी फसल न केवल सुरक्षित रहेगी, बल्कि बंपर पैदावार भी देगी. आइए जानते हैं इसको लेकर कृषि एक्सपर्ट प्रो. अशोक कुमार सिंह ने क्या कुछ कहा.
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रो. अशोक कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि जिन किसान भाइयों ने बाजरे (Pearl millet) की अगेती फसल की बुवाई कर ली है, तो लगभग 1 महीने की बाजरे की फसल हो चुकी होगी. उन्होंने कहा कि वो अपने फार्म पर भी बाजरे की बुवाई किए हैं. आजकल बाजरा और उपयोगी हो गया है क्योंकि जहां तेजी से डायबिटीज की समस्या आ रही है, ऐसी स्थिति में बाजारा हमारे भोजन में अति महत्वपूर्ण स्थान रख रहा है.
बाजरे की खेती में इन पर रखें विशेष नजर…
प्रो. अशोक कुमार सिंह ने आगे कहा कि इसके लिए जरूरी है कि बाजरे के बुवाई के बाद जब जमाव होकर पौधा 6 इंच, 8 इंच या 10 इंच का हो जाए तो ऐसी स्थिति में देखरेख ज़रूरी है. अगर एक महीने की फसल हो चुकी है, तो निराई गुड़ाई कर दें. ताकि बढ़वार अच्छी हो. दो महीने की फसल होती है, तो इसमें एक कीट लगता है, जिसको तना छेदक कीट के नाम से जानते हैं. तो इस कीट से सावधान रहें. आगे चलकर के जब बाजरे की उम्र बड़ी हो जाती है, तब उसमें फूल और बालियां आने लगती हैं. तो उसमें भी दिक्कत आती है, जिसे फफूंद जनित बीमारी के नाम से जानते हैं. इस फसल में कीट और बीमारी के प्रति जागरूक रहना बेहद जरूरी होता है.
ऐसे करें अपने फसल का बचाव…
जब फसल 45 से 50 दिन की हो जाए तो तना छेदक कीट से बचाव के लिए डेसिस 2.8% का यह अल्फामेथरीन है और इसकी दो मिलीलीटर दवाई 1 लीटर पानी के अनुपात में शाम या सुबह के समय अगर छिड़काव कर दें, तो फसल पूरे सत्र बहुत अच्छे से निकल जाएगी और किसी भी कीट का हमला नहीं हो पाएगा.
किसान के लिए हर वक्त काम आने वाली महत्वपूर्ण जानकारी…
जहां तक बीमारी की बात है तो बीज उपचारित करके बोएं, क्योंकि एक बार फफूंद लग जाने के बाद फसल नष्ट करके ही छोड़ता है. अंतिम और महत्वपूर्ण बात यह है कि जब जमीन सूखी रहती है तो दीमक रोग का प्रभाव दिखता है. ऐसी स्थिति में प्रयास रहे की खेत में नमी की कमी न हो और अगर दीमक दिख रहा है तो फिनोल फॉस का उपयोग करें. इतना देखरेख के बाद फसल बहुत अच्छी पैदावार देगी.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 10:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed