मचान विधि से किसान बन रहे लखपति 2 बीघे से दो लाख की कमाई लागत मात्र 30 हजार

Machan Farming of Vegetables: जिले के किसान अब मचान विधि से तोरई की खेती कर रहे हैं.  इस खेती से उन्हें लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. यूपी के बाराबंकी जिले के सरसौंदी गांव के रहने वाले किसान श्रीकांत ने आधे बीघे से तोरई की खेती की शुरुआत की, जिसमें उन्हें अच्छा लाभ देखने को मिला.

मचान विधि से किसान बन रहे लखपति 2 बीघे से दो लाख की कमाई लागत मात्र 30 हजार
बाराबंकी: जिले के किसान कुछ वर्ष पहले तक परंपरागत खेती गेहूं,धान, दलहन खेती किया करते थे. लेकिन,  पिछले तीन- चार वर्षों में कम खेत वाले किसानों ने सब्जियों की खेती शुरू की जिससे उनको अच्छा मुनाफा हुआ. इसके बाद सब्जी की खेती करने वाले किसानों की संख्या तेजी से बढ़ी है. वहीं, पिछले तीन-चार वर्षों से सब्जी की खेती लगातार बढ़ती जा रही है. सब्जियों की खेती ज्यादातर वह किसान कर रहे हैं, जिनके पास कम खेत है. किसान एक वर्ष में तीन सब्जियां उगा लेते हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं. इस समय ज्यादातर किसान खीरा, भिंडी, टमाटर, तोरई, कद्दू आदि की खेती कर रहे हैं. इन खेती से उन्हें लाखों रुपये का मुनाफा भी हो रहा है. जिले के किसान अब मचान विधि से तोरई की खेती कर रहे हैं.  इस खेती से उन्हें लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. यूपी के बाराबंकी जिले के सरसौंदी गांव के रहने वाले किसान श्रीकांत ने आधे बीघे से तोरई की खेती की शुरुआत की, जिसमें उन्हें अच्छा लाभ देखने को मिला. आज वह करीब दी बीघे में तोरई की खेती कर रहे हैं. इस खेती से लगभग उन्हें दो से ढाई लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है. दो बीघे में 30 हजार की लागत तोरई की खेती करने वाले किसान श्रीकांत ने बताया है पहले वह पारंपरिक खेती करते थे, जिससे उन्हें कोई खास फायदा नहीं हो रहा था. फिर उन्होंने आधे बीघे में तोरई की खेती की शुरुआत की. अब उन्हें अच्छा मुनाफा देखने को मिल रहा. आज करीब दो बीघे में मचान विधि से तोरई की खेती कर रहे हैं. करीब दो बीघे की खेती में 30 हजार रुपये की लागत आती है. इसमें बीज, बांस, डोरी, तार, पानी, लेबर आदि का खर्च लगता है. वहीं, मुनाफा करीब एक फसल पर दो से ढाई लाख रुपये तक हो जाता है. मचान विधि से फसल खराब होने का खतरा कम किसान ने बताया कि खेती में मचान विधि का इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि, ये विधि फसल को बचाने का काम करती है. रोग और बीमारियां लगने की संभावनाएं कम हो जाती हैं. फसल में यदि कोई रोग लगता है तो दवा छिड़कने में भी आसानी होती है.फल दिखने में बहुत आकर्षक और स्वस्थ रहता है. इस वजह से बाजार में इनकी कीमत अच्छी बनी रहती है. इन सबके अलावा उपज भी अन्य विधि से सब्जियों की खेती करने के मुकाबले ज्यादा रहती है. मचान विधि का इस्तेमाल किसान ने आगे बताया कि इसकी खेती करना बहुत ही आसान है. पहले खेत की जुताई करते हैं. उसके बाद पूरे खेत में मेड़ बनाते हैं.  फिर इसमें एक से दो हाथ की दूरी पर तोरई के बीज लगाए जाते हैं. जब पेड़ थोड़ा बड़ा होने लगता है, तब इसकी सिंचाई करते हैं. इसके बाद खेत में बांस वह तार का मचान बनाते हैं, जिस पर तोरई के पौधे को डोरी के सहारे बांध दिया जाता है.  इससे पौधा मचान पर फैल जाता है. जब फसल तैयार होती है, तो उसे तोड़ने में आसानी होती है. वहीं, पौधा लगाने के महज 50 से 55 दिनों  के बाद फसल निकलना शुरू हो जाती है. इसे हर दिन तोड़कर बाजारों में बेचा जा सकता है. यह फसल तीन महीने तक चलती है. Tags: Barabanki News, Local18FIRST PUBLISHED : May 6, 2024, 16:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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