बंपर पैदावार के लिये धान में करें इस दवा का छिड़काव तेजी से बढेंगे कल्ले

Rice Farming: यूपी में धान की रोपाई के बाद उसमें 50 दिन के अंदर कल्ले निकलने लगते हैं. इन कल्लों को रोगों से बचाने के लिए किसान अपने खेतों में दवाई का छिड़काव करते हैं. जिससे फसल में रोग न लगे और अधिक पैदावार हो.

बंपर पैदावार के लिये धान में करें इस दवा का छिड़काव तेजी से बढेंगे कल्ले
लखीमपुर खीरी: धान की रोपाई के 25-50 दिन के दौरान धान की फसल में कल्ले निकलने लगते हैं. ये वही समय है, जब धान के पौधों को सबसे ज्यादा पोषण की जरूरत होती है. इस दौरान धान के खेत में किसान अंतिम खाद का प्रयोग रहे होते हैं. जिससे उनकी फसल बिना रोग लगे तैयार हो सके. 140 दिन में तैयार होती है धान की यह प्रजाति जहां फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान यूरिया के साथ कैब मैक्स और पोटाश का प्रयोग यूरिया के साथ धान के खेतों में करते हैं, जिससे उनके खेतों में धान की फसल की पैदावार अधिक हो और वह अधिक मुनाफा कमा सकें. बता दें कि धान की फसल 130 दिन से लेकर 140 दिन में तैयार हो जाती है. रोगों से बचाव के लिए करते हैं दवा का छिड़काव जहां कैब मैक्स और पोटाश में कैल्शियम, बोरॉन और नाइट्रोजन होता है. यह पौधों के ऊतकों की कोशिका की दीवारों को मजबूत करता है. धान के पौधों को रोगों और तनाव से बचाता है. यह मिट्टी में कैल्शियम और बोरॉन की उपलब्धता बढ़ाता है. इसीलिए किसान अपने खेत में अंतिम खाद के साथ उत्पादन क्षमता को बढ़ाने वाली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनके फसल की पैदावार अधिक हो सके. जानें धान की अधिक पैदावार बढ़ाने वाली प्रजाति वहीं, अभय प्रकाश बाजपेयी ने जानकारी देते हुए बताया की धान की प्रजाति PR 113 धान की बेस्ट प्रजाति मानी जाती है. जहां 1 एकड़ में किसान करीब 25 कुंतल से लेकर 30 कुंतल तक धान की पैदावार करते हैं. पीआर 113 में लंबे, पतले, स्पष्ट, परभासी दाने होते हैं और धान की इस प्रजाति में किसानों को अधिक मुनाफा कम लागत में होता है. साथ ही इस धान की प्रजाति 140 दिन में तैयार हो जाती है. इस समय किसान अपने खेतो में पैदावार बढ़ाने के लिए अंतिम खाद के साथ दवाओं का भी मिश्रण कर रहे हैं, जिससे पौधों को पर्याप्त मात्रा में दवाईयां मिल सके और धान की पैदावार अधिक हो. Tags: Agriculture, Lakhimpur Kheri News, Local18FIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 09:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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