चाकू ही नहीं यहां का वायलिन में है दुनिया में मशहूर ऐसे होता है तैयार

Rampur News: रामपुर में निर्मित वायलिन को कभी दुनिया का सबसे अच्छा वाद्ययंत्र माना जाता था. यहां के वायलिन इतने मशहूर थे कि बर्कले म्यूज़िक अकादमी के संगीतकार भी इन्हें बजाते थे. समय के साथ वायलिन की डिमांड बढ़ने लगी.

चाकू ही नहीं यहां का वायलिन में है दुनिया में मशहूर ऐसे होता है तैयार
अंजू प्रजापति /रामपुर: उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित रामपुर अपने ऐतिहासिक इमारत, गौरवशाली अतीत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए विख्यात है. रामपुरी चाकू के साथ यहां की वायलिन भी बहुत प्रसिद्ध रही है. रामपुर के कारखानों में तैयार होने वाला वायलिन देश के कोने-कोने में जाता है. इसका संगीत देश ही नहीं विदेशों की सरजमीं पर भी अपने नगर का नाम लंबे समय से रोशन करता आ रहा है. रामपुर में निर्मित वायलिन को कभी दुनिया का सबसे अच्छा वाद्ययंत्र माना जाता था. यहां के वायलिन इतने मशहूर थे कि बर्कले म्यूज़िक अकादमी के संगीतकार भी इन्हें बजाते थे. समय के साथ वायलिन की डिमांड बढ़ने लगी.  रामपुर का वायलिन गोवा,  पूना, केरला, मद्रास, कोलकाता, चेन्नई पंजाब, गुजरात समेत भारत के कई बड़े-बड़े शहरों में जाता है. 80 सालों से बन रहा वायलिन वायलिन मेकर अज़हरउद्दीन बताते हैं कि करीब 80 सालों से वायलिन बनाया जा रहा है. वायलिन के हर हिस्से को बहुत सावधानी से मापा जाता है और कड़ी मेहनत से एक वायलिन तैयार किया जाता है. इनमे चार तार लगाए जाते है, जो सुंदर ध्वनि उत्पन्न करते है. वायलिन के घटक आम तौर पर विभिन्न प्रकार की लकड़ी से बनाए जाते हैं. इसको गट , पर्लन या अन्य सिंथेटिक या स्टील के तारों से पिरोया जा सकता है. 200 परिवारों का रोजगार है वायलिन बनाना रामपुर में इस वायलिन के रोजगार से करीब 200 परिवार जुड़े हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं. जो घर से ही सारा काम करती हैं. वायलिन को बनाने में नक्काशी, कटिंग, मारकिंग और उसको छीला जाता है. इस तरह बहुत सारे स्टेप्स होते हैं. कई हाथों में जाने के बाद वायलिन तैयार होता है. रामपुर वायलिन की कीमत 3 हज़ार से 15 हज़ार तक है. यह भी पढ़ें- दिखने में बेहद खूबसूरत… लेकिन बारिश में काल बन जाती है यूपी की ये जगह, जरा संभलकर करें भ्रमण तीन प्रकार की लकड़ी से तैयार होती है वायलिन रामपुर का वायलिन इंडियन क्लासिकल और वेस्टर्न के हिसाब से बनता है. इसमें तीन प्रकार की लकड़ी इस्तेमाल होती है. पहली इंडियन वुड, दूसरा मेपल वुड जो ब्राजील और कनाडा से आती है. तीसरी पाइन वुड है, जो पहाड़ों से आती है जैसे कश्मीर या उत्तराखंड. Tags: Local18, Rampur news, UP newsFIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 15:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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