क्या मानसूनी हवाओं ने रुख लिया बदल सूखा रहने वाले राजस्थान में हो गई यूपी से 60 फीसद ज्यादा बारिश
क्या मानसूनी हवाओं ने रुख लिया बदल सूखा रहने वाले राजस्थान में हो गई यूपी से 60 फीसद ज्यादा बारिश
राजस्थान के 33 जिलों में से दो-तिहाई (22) ने अतिरिक्त या बारिश में ज्यादा बढ़ोतरी की सूचना दी है. जिसमें कोई भी जिला कम वर्षा वाला नहीं रहा है. इसके उलट विशेष रूप से पड़ोसी उत्तर प्रदेश में सूखे की स्थिति देखी जा रही है. जिसमें औसत से 44% कम बारिश हुई है.
हाइलाइट्स राजस्थान के 33 जिलों में से दो-तिहाई (22) ने अतिरिक्त या बारिश में ज्यादा बढ़ोतरी की सूचनाउत्तर प्रदेश में सूखे की स्थिति, जहां औसत से 44% कम बारिश हुईराजस्थान में अब तक मानसूनी बारिश सामान्य से 42% अधिक रही
नई दिल्ली. इस बार के मानसून में राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बारिश का पैटर्न काफी बदला हुआ है. बारिश के अपने पारंपरिक तरीके के विपरीत आमतौर पर सूखा रहने वाले राजस्थान में इस बार यूपी के मुकाबले करीब लगभग 60% ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. यह दोनों राज्यों के लंबे समय से जारी मौसम के ठीक उल्टा है. क्योंकि इस दौरान (1 जून से 3 सितंबर तक) यूपी को राजस्थान की तुलना में 60% अधिक बारिश दर्ज करनी चाहिए थी. राजस्थान में अब तक मानसून सामान्य से 42% अधिक रहा है, रेगिस्तानी राज्य में सामान्य 384.1 मिमी. के मुकाबले 545.6 मिमी. बारिश दर्ज की गई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक राजस्थान के 33 जिलों में से दो-तिहाई (22) ने अतिरिक्त या बारिश में ज्यादा बढ़ोतरी की सूचना दी है. जिसमें कोई भी जिला कम वर्षा वाला नहीं रहा है. इसके उलट विशेष रूप से पड़ोसी उत्तर प्रदेश में सूखे की स्थिति देखी जा रही है. जिसमें औसत से 44% कम बारिश हुई है और इस बार यूपी मानसूनी बारिश में सबसे ज्यादा कमी वाले राज्यों में दूसरे स्थान पर है. जबकि राजस्थान में मानसून के मौसम में अब तक 545.6 मिमी बारिश हुई, उत्तर प्रदेश में औसत 614 मिमी. के मानक के मुकाबले केवल 343.5 मिमी. बारिश दर्ज की गई है. उत्तर प्रदेश के 75 में से 65 जिलों मे कम बारिश दर्ज की गई है. जिनमें से 18 जिलों में बहुत कम बारिश हुई है. जहां औसत बारिश के मुकाबले 40% से भी कम बारिश हुई है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि इस बार के मानसून में देखी गई दो अजीबोगरीब प्रवृत्तियों ने पारंपरिक बरसात के तरीके को उलट दिया. आमतौर पर बंगाल की खाड़ी से आने वाला मानसून काफी हद तक एक समान मार्ग पर चलता है. ये ओडिशा में आगे बढ़ते हुए, राजस्थान को पार करने से पहले छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से आगे बढ़ता है. आमतौर पर इनमें से कुछ मानसूनी सिस्टम उत्तर की ओर बढ़ते हैं, जिससे गंगा के मैदानी इलाकों में बारिश होती है. लेकिन इस तरह का मूवमेंट सिवाय अगस्त महीने के के आखिरी दिनों को छोड़कर पिछले दो महीनों में बिल्कुल नहीं हुआ. यह एक डीप डिप्रेशन था जिससे झारखंड, यूपी और बिहार में बारिश हुई. यह अंततः दक्षिण पाकिस्तान में चला गया. जिससे वहां भारी बारिश और बाढ़ आई. दूसरी ओर इन सभी ने राजस्थान को प्रभावित किया, जिससे इलाके में भारी बारिश हुई.
महापात्र ने कहा कि गंगा के मैदानों में कम बारिश के पीछे दूसरा कारक मानसून की ट्रफ की स्थिति थी. मानसून का ट्रफ पूर्व से पश्चिम भारत तक फैले निम्न दबाव की एक बेल्ट होती है, जिसके साथ बरसात में वृद्धि होती है. इस बार मानसून का ट्रफ मुख्य रूप से अपनी सामान्य स्थिति के दक्षिण में रहा और हिमालय के करीब नहीं गया, जिससे आमतौर पर गंगा के मैदानों की तलहटी और आस-पास के इलाकों में बारिश होती है. इन दोनों कारणों ने मिलकर उत्तर भारत में बारिश को कम कर दिया.
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Tags: राजस्थानFIRST PUBLISHED : September 04, 2022, 06:46 IST