AA से PK बन जाएंगे प्योर एंड परफेक्ट पॉलिटिशियन! जेल जाते तो और बढ़ जाती पूछ

जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर को बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) के खिलाफ आंदोलन के बहाने सियासत में बड़ा स्पेस मिल गया है. इसका चमत्कारिक लाभ उन्हें इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मिल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं.

AA से PK बन जाएंगे प्योर एंड परफेक्ट पॉलिटिशियन! जेल जाते तो और बढ़ जाती पूछ
हाइलाइट्स BPSC प्रकरण ने प्रशांत किशोर के लिए राजनीति की राह अब और आसान कर दी है. प्रशांत किशोर के आंदोलन ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया है. इसका लाभ उन्हें इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सकता है. बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) प्रकरण ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के लिए राजनीति की राह अब और आसान कर दी है. BPSC अभ्यर्थियों के साथ खड़े होकर प्रशांत ने उनकी सहानुभूति तो पहले ही अर्जित कर ली थी, आमरण अनशन और पांचवें दिन गिरफ्तारी से उनके प्रति अभ्यर्थियों का आकर्षण और बढ़ा है. प्रशांत किशोर के अदालत से सशर्त बेल लेने से इनकार, हड़बड़ी में उन्हें बेउर जेल ले जाना और देर शाम अदालत द्वारा कानून की चूक स्वीकारते हुए उन्हें बिना शर्त रिहा करने के आदेश से लोगों के बीच यह मैसेज गया है कि प्रशांत में न सिर्फ विधायिका और कार्यपालिका से टकराने की कूबत है, बल्कि वे न्यायपालिका की आंख में आंख डाल कर भी बात कर सकते हैं. प्रशांत की पॉलिटिक्स अब परवान चढ़ेगी प्रशांत किशोर के लिए पॉलिटिक्स में स्थापित होना अब आसान होगा. अक्टूबर 2024 में प्रशांत किशोर ने राजनीति की राह पकड़ी तो पहला मुकाबला चुनावी मैदान में ‘इंडिया’ और एनडीए जैसे बड़े राजनीतिक गठबंधनों से हुआ. विधानसभा की चार और विधान परिषद की एक सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पार्टी जन सुराज के उम्मीदवारों ने बड़े गठबंधनों के नामचीन नेताओं से लोहा लिया. उनमें किसी को जीत तो नहीं मिली, लेकिन जन सुराज की चर्चा पूरे बिहार में होने लगी. विधान परिषद चुनाव में जन सुराज का उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा और एनडीए-इंडिया के उम्मीदवारों की हार में अपनी अहम भूमिका निभाई. इससे एक बात का संकेत तो मिलता ही है कि इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर भले करिश्मा न करें, पर एनडीए और इंडिया के उम्मीदवारों के लिए वे 2020 की चिराग पासवान की भूमिका की भरपाई तो कर ही सकते हैं. चिराग पासवान की वजह से तब जेडीयू तकरीबन तीन दर्जन सीटें हार गया था. भाजपा के खिलाफ चिराग ने उम्मीदवार न उतार कर उसे राहत दे दी थी. तेजस्वी यादव भी दर्जन भर सीटों की वजह से सरकार बनाने में चूके तो उसमें कमोबेश चिराग की ही भूमिका थी. पहले प्रयास में जन सुराज को 10% वोट पार्टी बनाने के दो महीने के अंदर प्रशांत किशोर को उपचुनावों में जिस तरह जनता का समर्थन मिला, उससे उनकी आगे की राह तो पहले से ही आसान नजर आने लगी थी. जन सुराज ने 10 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. बिहार की चार सीटों- बेलागंज, इमामगंज, रामगढ़ और तरारी में हुए उपचुनाव में जन सुराज तीन सीटों पर तीसरे नंबर पर रही. रामगढ़ की एक सीट पर उसकी जमानत जब्त हो गई. इमामगंज सीट पर मुकाबला दिलचस्प रहा. जन सुराज के उम्मीदवार ने वोट नहीं काटे होते तो आरजेडी उम्मीदवार की जीत तय थी. इस सीट पर जन सुराज प्रत्याशी जितेंद्र पासवान को 37103 वोट मिले थे. आरजेडी उम्मीदवार को 47490 वोट मिले थे. विजेता एनडीए प्रत्याशी दीपा मांझी रहीं, जिन्हें 53435 वोट मिले. विधान परिषद उपचुनाव में भी जन सुराज का जलवा दिखा. दूसरे नंबर पर रह कर जन सुराज उम्मीदवार ने एनडीए और इंडिया के उम्मीदवारों को हारने पर मजबूर कर दिया. PK ने झटक लिया युवाओं का बड़ा मुद्दा BPSC की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा के लिए इस बार 4.83 लाख युवाओं ने ने रजिस्ट्रेशन कराया था. इनमें 3.25 लाख से अधिक ने परीक्षा भी दी थी. बापू परीक्षा केंद्र पर गड़बड़ी के आरोपों को लेकर अभ्यर्थी जब परीक्षा रद करने के आंदोलन की राह पर उतरे तो बापू परीक्षा केंद्र समेत 912 सेंटरों पर दोबारा एग्जाम हुआ, लेकिन आयोग ने पूरी परीक्षा रद करने की मांग ठुकरा दी. आयोग के दफ्तर के बाहर धरना दे रहे छात्रों से आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुलाकात की तो लगा कि वे उनके साथ आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे. पर, तेजस्वी उस दिन के बाद अपनी यात्रा और बैठकों में मशगूल रहे. फिर प्रशांत किशोर की आंदोलन में एंट्री हुई. उन्होंने गांधी मैदान के प्रतिबंधित स्थान पर आमरण अनशन शुरू किया. प्रशासन ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई. अंत में 5-6 की दरम्यानी रात प्रशांत किशोर को पुलिस ने अरेस्ट किया. 5 जनवरी को प्रशांत किशोर ने युवाओं की 51 सदस्यीय सत्याग्रह समिति बनाई, जो युवाओं के मुद्दे पर अनशन-धरना जैसे सत्याग्रह के कार्यक्रम आयोजित करेगी. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को युवाओं के सत्याग्रह में शामिल होने का न्यौता देकर प्रशांत ने उन्हें भी निशाने पर लिया. अनशन-अरेस्टिंग से PK के प्रति सहानुभूति पहले आमरण अनशन और बाद में अरेस्टिंग से प्रशांत किशोर के प्रति लोगों में सहानुभूति पैदा हुई है. पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा देने वाले तीन लाख से अधिक उम्मीदवार और उनके परिजनों को प्रशांत अब अपने लगते हैं. युवाओं के मुद्दों पर मुखर रहने की प्रशांत ने शुरुआत कर दी है. बिहार में नौकरी के लिए होने वाली शायद ही कोई परीक्षा हो, जो विवादों से वंचित रह पाती है. युवाओं के मुद्दे राजनीति के लिए उपजाऊ साबित हो सकते हैं. शिक्षा और रोजगार को युवाओं से जोड़ कर प्रशांत किशोर ने बड़ी चाल चल दी है, जो दूसरे राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय है. राजनीतिक दलों को तो इसका एहसास प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी के बाद ही हो गया था, जब सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के नेताओं ने प्रशांत के अनशन को कानून तोड़ने के साथ नाटक तक बता दिया. PK अब प्योर एंड परफेक्ट पॉलिटिशियन पुलिस की प्रताड़ना, अनशन और आंदोलन जारी रखने की प्रशांत किशोर की दृढ़ता उन्हें प्योर एंड परफेक्ट पॉलिटिशियन बनने में मददगार ही साबित होगी. राजनीति में सफलता के लिए समय पर सही मुद्दे का चुनाव होता है. बिहार के युवा पढ़ाई और नौकरी को लेकर इतने आक्रोशित हैं कि उन्हें हल्के इशारे पर कोई भी नेता अपने पक्ष में मोड़ सकता है. तेजस्वी यादव तो इस मामले में फिसड्डी ही साबित हुए है. राहुल गांधी को ऐसे मुद्दों पर आंदोलन की फऱुर्सत कहां. नीतीश कुमार तो सरकार ही चला रहे. इसलिए उन्हें अपने हर काम वाजिब ही लगेंगे. ऐसे में प्रशांत किशोर को बड़ा स्पेस मिल गया है. अगर वे इसी लाइन को पकड़ कर चलते रहे तो इसका उनके राजनीतिक करियर में चमत्कारिक लाभ मिल सकता है. 1974 के छात्र आंदोलन का बिहार गवाह रह चुका है. जय प्रकाश नारायण (जेपी) का साथ मिलने पर युवा शक्ति ने राष्ट्रीय राजनीति की धार बदल दी थी. Tags: Bihar News, Prashant KishorFIRST PUBLISHED : January 7, 2025, 20:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed