मथुरा: हर युग में अत्याचार और राक्षसों का प्रकोप बना रहा है. चाहे वह सतयुग हो, त्रेता हो या द्वापर, देवी-देवताओं को अक्सर राक्षसों के अत्याचारों का सामना करना पड़ा. इसी कड़ी में भगवान श्रीकृष्ण और राधा का गोकुल छोड़ने का कारण भी अत्याचार ही था.
कहा जाता है कि द्वापर युग में आज से 5251 वर्ष पूर्व, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कंस की कारागार में हुआ था. कंस ने अपने पिता उग्रसेन को भी कैद में डाल दिया था, और देवकी-वासुदेव को जेल में रखा था. एक आकाशवाणी ने कंस को बताया कि उसका वध उसके बहन देवकी के पुत्र द्वारा होगा, जिसके कारण कंस और भी निर्दयी हो गया. जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो वासुदेव उन्हें यमुना नदी के पार गोकुल में छोड़ आए. इसके बाद, कंस ने गोकुल के लोगों पर अत्याचार बढ़ा दिए. उसने राक्षसों को गोकुल भेजकर वहां के लोगों को सताने और मारने का आदेश दिया.
कंस के अत्याचार और गोकुल छोड़ने का निर्णय
नंदबाबा मंदिर के सेवायत पुजारी मोर मुकुट पाराशर ने बताया कि कंस के राक्षस लगातार गोकुलवासियों को परेशान कर रहे थे. श्रीकृष्ण ने कई राक्षसों का अंत किया, लेकिन कंस अपने अत्याचारों से बाज नहीं आया. जब स्थिति हद से ज्यादा बिगड़ गई, तब राधा और श्रीकृष्ण के पिता ने यह निर्णय लिया कि अब गोकुल छोड़कर जाना ही उचित होगा. अंततः वे मथुरा से लगभग 60 किलोमीटर दूर, विद्यानचल पर्वत पर जा बसे.
राजा वृषभान की विशाल संपत्ति
उस समय नंदबाबा ने स्थानीय राजाओं को इकट्ठा किया. बृज के सबसे बड़े राजा, वृषभान, जिनके पास 11 लाख गाय थीं, ने भी इस सभा में भाग लिया. नंदबाबा के पास भी नौ लाख गाय थीं, परंतु कंस के अत्याचार के सामने इन संपत्तियों का कोई महत्व नहीं रहा.
Tags: Local18, Lord krishnaFIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 15:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed