Sambhal Masjid Vivad : क्या होता कोर्ट कमिश्नर सर्वे जिस पर संभल में हुआ बवाल
Sambhal Masjid Vivad : क्या होता कोर्ट कमिश्नर सर्वे जिस पर संभल में हुआ बवाल
What is Court commissioner survey : संभल की जामा मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर रविवार को किए जा रहे सर्वे के दौरान हुई हिंसा, गोलीबारी और पथराव में पांच लोगों की मौत हुई है. पुलिस ने अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. एक स्थानीय अदालत के आदेश पर गत मंगलवार को जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था. अदालत में एक याचिका दाखिल करके दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है, वहां पहले हरिहर मंदिर था. संभल में हुई हिंसा के बाद सबके मन में सवाल आ रहा है कि आखिर कोर्ट कमिश्नर सर्वे क्या होता है? क्या कोर्ट कमिश्नर कोई वकील होता है? News 18 ने कोर्ट कमिश्नर कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया को जाना. आइये सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं सभी सवालों के जवाब....
संभल. संभल में मस्जिद के कोर्ट कमिश्नर सर्वे के दौरान हुए बवाल के बाद देश का हर व्यक्ति ये जानना चाहता है कि आखिर क्या होता कोर्ट कमिश्नर सर्वे. कौन बनता है कोर्ट कमिश्नर. ये कोई प्रशासनिक अधिकारी होता है या फिर पुलिस. या फिर दोनों ही नहीं. क्या कोर्ट कमिश्नर वकील होता है? आखिर सर्वे क्या होता है जिसको लेकर एतराज ने संभल में हिंसक रूप ले लिया. इससे पहले धर्म नगरी काशी में ज्ञानवापी के कानूनी विवादों में भी कोर्ट कमिश्नर का सर्वे हो चुका है. वाराणसी के मंदिर पक्ष के वकील और अन्य अधिवक्ताओं के साथ चौपाल के जरिए News 18 ने कोर्ट कमिश्नर कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया को जाना. वाराणसी में ज्ञानवापी केस से जुड़े मंदिर पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि वाराणसी और संभल, दोनो ही जगह कोर्ट कमिश्नर कचहरी के ही वकील को बनाया गया है.
अधिकतर मामलों में ऐसा होता है. अदालत कचहरी के किसी अधिवक्ता को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करता है. उसके साथ एक या दो सहायक कोर्ट कमिश्नर होते हैं. जिन दो या उससे अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच कानूनी विवाद होता है यानी वादी और प्रतिवादी के अधिवक्ता को छोड़कर किसी भी अधिवक्ता को ताकि निष्पक्षता बनी रहे. यह कोर्ट कमिश्नर एक तरीके से न्यायालय की आंखें होती हैं जो मौके पर जाकर मुकदमे के दावे को कानून की कसौटी पर परखता है. वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश पाठक ने बताया इसके लिए कोर्ट कमिश्नर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराता है. इसके बाद तयशुदा समय में जो देखा, जो समझा वो रिपोर्ट बनाकर अदालत में दाखिल करता है. उसके बाद अदालत उस मुकदमे को आगे बढ़ाने की दिशा तय करती है.
वरिष्ठ अधिवक्ता जयशंकर श्रीवास्तव बोले कि यहां एक बात ये भी गौर करने वाली है कि अदालत चाहे तो राजस्व के इस वाद में किसी राजस्वकर्मी मसलन अमीन या उससे सीनियर किसी कर्मचारी को भी कोर्ट कमिश्नर बना सकती है. कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि अदालत कोर्ट कमिश्नर बने वकील की रिपोर्ट के बाद उसको क्रॉस चेक करने के लिए किसी राजस्व कर्मी को भी कोर्ट कमिश्नर बनाकर एक दूसरी रिपोर्ट भी मंगवा सकती है ताकि दोनों रिपोर्ट के अंतर को समझकर फैसला लिया जा सके.
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय श्रीवास्तव-प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस और प्रशासन का काम या रोल सिर्फ कोर्ट कमिश्नर कार्रवाई को बिना किसी अवरोध के पूरा कराना होता है. यानी कुल मिलाकर कोर्ट कमिश्नर सर्वे में सरकार का कोई रोल नहीं होता है. वरिष्ठ अधिवक्ता रणविजय त्रिपाठी ने बताया कोई भी पक्ष सरकार पर परेशान या पक्षपात करने का आरोप लगाता है वो कानूनी तर्क के लिहाज से सही साबित नहीं होता है क्योंकि ये पूरी तरह से अदालती कार्यवाही है. वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेन्द्र प्रसाद दुबे ने कहा कि वहां एक पक्ष को क्यों दिक्कत है, समझा जा सकता है.
Tags: Sambhal News, UP newsFIRST PUBLISHED : November 25, 2024, 21:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed