Jhansi: झांसी की विरासत को सहेज रहे डॉ मधुसूदन व्यास 300 साल पुरानी पांडुलिपियों को किया संग्रहित
Jhansi: झांसी की विरासत को सहेज रहे डॉ मधुसूदन व्यास 300 साल पुरानी पांडुलिपियों को किया संग्रहित
झांसी के राजगढ़ में रहने वाले व्यास परिवार के लोग लम्बे समय से पांडुलिपियों को संग्रहित कर रहे हैं. झांसी के भेल प्लांट में काम करने वाले डॉ.मधुसूदन व्यास के मुताबिक, उनको पांडुलिपियां उनके पुश्तैनी मकान के एक बक्से में मिली थीं. हालांकि इन्हें उनकी माताजी जल में प्रवाहित कर देना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं होने दिया.
रिपोर्ट: शाश्वत सिंह
झांसी. यूपी झांसी अपने साहित्यिक और सांस्कृतिक इतिहास के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. लोग बुंदेलखंड और झांसी का इतिहास अलग-अलग कालखंड़ों में लिखते रहे हैं, लेकिन समय के साथ यह पांडुलिपियां नष्ट हो गईं. कई लोगों ने उसे कबाड़ समझ कर फेंक दिया और कुछ जगहों पर यह मौसम और दीमक की भेंट चढ़ गए. हालांकि झांसी में ही एक ऐसा परिवार भी है जो इस विरासत को सहेजने और संग्रहित करने का काम कर रहा है.
झांसी के राजगढ़ में रहने वाले व्यास परिवार के लोग लम्बे समय से इन पांडुलिपियों को संग्रहित कर रहे हैं. झांसी के भेल प्लांट में काम करने वाले डॉ. मधुसूदन व्यास बताते हैं कि उन्हें ये पांडुलिपियां उनके पुश्तैनी मकान के एक बक्से में मिली थीं. उनकी माताजी इन पांडुपियों को जल में प्रवाहित कर देना चाहती थीं, लेकिन मधुसूदन व्यास ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया और पांडुलिपियों को संग्रहित करने के काम में लग गए.
368 साल पुरानी पांडुलिपि को किया संग्रहित
डॉ. मधु सूदन व्यास ने बताया कि उनके दादा के नानाजी झांसी राजघराने के राजपुरोहित हुआ करते थे. पांडुलिपियों में उन्हें राजघराने में राज्याभिषेक के समय इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की सूची भी मिली. इसके साथ ही उन्हें 300 वर्ष पहले हस्तलिखित दुर्गा सप्तशती, भगवदगीता और अन्य पुस्तकें भी मिली हैं. व्यास ने बताया कि उनके पास सबसे पुरानी पांडुलिपि 368 साल पुरानी है. उनका अधिकतर समय इन सभी पांडुलिपियों को सहेजने में ही जाता है.
मेहनत से सहेजते हैं पांडुलिपियों को
डॉ. मधुसूदन व्यास ने बताया कि इन पांडुलिपियों को सहेजने के लिए वह सबसे पहले एक-एक पन्ने को प्लास्टिक में रखते हैं और फिर उन्हें सील करते हैं. उसके बाद इन सभी को एक धागे से बांध कर वह रखते हैं. डॉ. व्यास कहते हैं कि उन्हें नहीं पता उनकी आने वाली पीढ़ियां इन पांडुलिपियों का महत्व कितना समझेंगी, लेकिन वह इन पांडुलिपियों को ऐसा रूप दे जाएंगे जो कई सालों तक सुरक्षित रहेंगी.
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Tags: Jhansi newsFIRST PUBLISHED : July 19, 2022, 17:02 IST