आदि शंकर ने जब भगवान विश्वनाथ को ज्ञानवापी पर CM योगी के किस बयान से विवाद

CM Yogi Adityanath: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अस्पृश्यता को दूर करने पर ध्यान दिया गया होता तो देश कभी गुलाम नहीं होता. संत परंपरा ने समाज में छुआछूत और अस्पृश्यता को कभी महत्व नहीं दिया. यही नाथपंथ की भी परंपरा है.

आदि शंकर ने जब भगवान विश्वनाथ को ज्ञानवापी पर CM योगी के किस बयान से विवाद
गोरखपुर. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश के चारों कोनों में आध्यात्मिक पीठों की स्थापना करने वाले आदि शंकर की काशी में की गई साधना के समय भगवान विश्वनाथ द्वारा ली गई परीक्षा के एक उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से आज जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद कहते हैं वह ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी ही हैं. सीएम योगी शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में ‘समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. यह दो दिवसीय संगोष्ठी गोरखपुर विश्वविद्यालय और हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है. दीक्षा भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एवं नाथपंथ की अध्यक्षीय पीठ, गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने संतों और ऋषियों की परंपरा को समाज और देश को जोड़ने वाली परंपरा बताते हुए आदि शंकर का विस्तार से उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि केरल में जन्मे आदि शंकर ने देश के चारों कोनों में धर्म-अध्यात्म के लिए महत्वपूर्ण पीठों की स्थापना की. आदि शंकर जब अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर काशी आए तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाही. ब्रह्म मुहूर्त में जब आदि शंकर गंगा स्नान के लिए निकले तब भगवान विश्वनाथ एक अछूत के वेश में उनके सामने खड़े हो गए. आदि शंकर ने जब उनसे मार्ग से हटने को कहा तब उसी रूप में भगवान विश्वनाथ ने उनसे पूछा कि आप यदि अद्वैत ज्ञान से पूर्ण हैं, तो आपको सिर्फ भौतिक काया नहीं देखनी चाहिए. यदि ब्रह्म सत्य है तो मुझमें भी वही ब्रह्म है जो आपमे है. हतप्रभ आदि शंकर ने जब अछूत बने भगवान का परिचय पूछा, तो उन्होंने बताया कि मैं वही हूं, जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए वह (आदि शंकर) काशी आए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप ही है. भारतीय ऋषियों-संतों की परंपरा सदैव जोड़ने वाली रही है. इस संत-ऋषि परंपरा ने प्राचीन काल से ही समतामूलक और समरस समाज को महत्व दिया है. हमारे संत-ऋषि इस बात ओर जोर देते हैं भौतिक अस्पृश्यता साधना के साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए बाधक है. मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्बास हैदर ने पीटीआई से कहा, ‘ऐसा लगता है कि वह (योगी आदित्यनाथ) अदालत का सम्मान नहीं करते हैं. मामला अदालत में लंबित है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री ने संविधान की शपथ ली है, लेकिन ऐसा लगता है कि वह अदालत का उचित सम्मान नहीं कर रहे हैं. अपने निहित राजनीतिक हितों के लिए, वह समाज को विभाजित कर रहे हैं.’ हैदर ने कहा, ‘भाजपा को जनता द्वारा दिया गया जनादेश यह भी दर्शाता है कि उन्होंने लोगों से जुड़े मुद्दों पर बात नहीं की है.’ भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने पीटीआई से कहा, ‘ऐतिहासिक, पुरातात्विक और आध्यात्मिक साक्ष्य स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि ज्ञानवापी एक मंदिर है.’ मुख्यमंत्री की बात का समर्थन करते हुए अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने कहा, ‘यह केवल दुर्भाग्यपूर्ण लोग हैं, जो ज्ञानवापी को मस्जिद कह रहे हैं. यह स्वयं विश्वनाथ हैं, और काशी विश्वनाथ का मंदिर है. यहां तक कि अगर कोई दृष्टिहीन व्यक्ति भी संरचना पर अपना हाथ रखता है, तो उसे ‘सनातन’ के सभी प्रतीकों की अनुभूति होगी. हम लगातार कहते रहे हैं कि यह एक मंदिर है, केवल मूर्ख लोग ही इसे मस्जिद कहते हैं.’ Tags: Gyanvapi Masjid, Yogi adityanathFIRST PUBLISHED : September 15, 2024, 03:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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