क्यों भेड‍िए का श‍िकार बन रहे बहराइच के लोग उमस वाली गर्मी तो वजह नहीं

Bahraich Bhediya Attack Ground Report - भेड़ियों ने बहराइच के गांव वालों को त्रस्त कर रखा है. रात के अंधेरे में घर में घुस कर बच्चों पर हमला कर दे रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि इन भेड़ियों के हमले घर देख चीन्ह कर हो रहे हैं. बिना दरवाजे वाले घर या घरों के बाहर, छत पर सोए लोगों को ही अपना शिकार बना रहे हैं. ऐसा क्यों हो रहा है पढ़िए ये रिपोर्ट.

क्यों भेड‍िए का श‍िकार बन रहे बहराइच के लोग  उमस वाली गर्मी तो वजह नहीं
बहराइच में छोटेलाल जायसवाल के घर भेड़िये ने चार बार हमला किया. छोटे लाल का जिले के मौकू पुरवा में के रहने वाले हैं. ये महसी तहसील में आता है. चार बार भेड़िये के हमले की वजह कोई आसमानी नहीं है. इनके चार छोटे छोटे बच्चे हैं. भेड़िये ने रेकी कर रखा है कि छत पर सोने वाले इनके बच्चों को आसानी से शिकार बनाया जा सकता है. छोटे लाल का दावा है कि उन्होंने हमलावर लगड़े भेड़िये को देखा भी है. सतर्क छोटे लाल ने शोर मचा कर भेड़िये को हर बार भगा दिया. फिर भेड़िये ने वहां से तरकीबन 7 किलोमीटर दूर गिरधरपुर पंढ़वा गांव में दादी के साथ बाहर खाट पर सो रही 5-6 साल की अफसाना को शिकार बना लिया. घर देख भेड़िये कर रहे शिकार फिलहाल, सभी जान गए हैं कि भेड़िये ज्यादातर बहराइच जिले में ही हमले कर रहे हैं. इन भेड़ियों को यहां गांवों में शिकार करना आसान लगता है. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि यहां गांवों में पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहुत सारे गांवों की ही तरह बहुत गरीब लोग रहते हैं. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना लागू किए जाने के पहले तक यहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मिट्टी के कच्चे घरों में या छप्पर और फूस की झोपड़ियों रहता था. इन झोपड़ियों या फिर घरों में दरवाजे जैसी चीज नहीं होती. उसकी जगह अगर घर के मुखिया ने मेहनत की तो बांस की एक छपरी बना उसे ही दरवाजे के तौर पर इस्तमाल करने का रिवाज रहा है. दरवाजा जैसे कोई लक्जरी की बात हो. पीएम आवास योजना से एक कमरे का मकान मिला भी तो आस पास की जो जमीन उस परिवार की है उसे बांस से घेर कर कुछ ऐसा अवरोध बना लेते हैं कि जानवर रात में घुस न सके. खटिया को दरवाजा बनाया छोटे लाल के घर की स्थिति भी ऐसी ही है. पीएम आवास योजना से घर तो बनवा लिया है, लेकिन घर में दरवाजे की जगह खटिया से आने जाने वाले को रोकते हैं. मतलब दरवाजा नहीं है. बस खटिया से ऐसा इंतजाम कर लेते हैं कि कोई घुसने की कोशिश करे तो आवाज हो और नींद खुल जाय. बाकी हिफाजत को खुद ही कर लेंगे. घर में छोटी सी सीढ़ी जरूर बनवा ली है. सबब ये है कि दिन भर मेहनत मजदूरी करने के बात छत पर जाकर नींद पूरी की जा सके. छत पर सोने से उमस और गर्मी से थोड़ी निजात मिल जाती है. पांच दिन से भेड़ियों के हमलों से प्रभावित तकरीबन सभी गांवों का दौरा करने वाले न्यूज 18 के वरिष्ठ संवाददाता अमित सिंह बताते हैं कि पूरे इलाके में तकरीबन यही स्थिति है. गांवों के गरीब लोगों के घरों में या तो दरवाजे हैं नहीं या फिर लकड़ी-बांस वैगरह से बनाया गया नाम मात्र का दरवाजा है. काम के नाम पर ये लोग अक्सर मजदूरी या कोई छोटा मोटा धंधा करते हैं. जंगल-नदियां और गरीबी बहराइच के साथ साथ ये स्थिति कम से कम पूरे पूरबी उत्तर प्रदेश की है. बहराइच देवीपाटन मंडल का हिस्सा है. मुख्यालय गोंडा है. इसमें गोंड़ा के अलावा बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती ये चार जिले आते हैं. चारों जिलों की 13 तहसीलों में कुल 4697 गांव आबाद हैं. कुछ ऐसे भी गांव हैं जहां आबादी नहीं है. महज खेती होती है. हिमालय की तराई में बसे इन चारों जिलों में गन्ने और धान की खेती बहुतायत में होती है. एक ओर से नेपाल से लगे इस इलाके में राप्ती ,बूढी राप्ती ,घाघरा ,सरयू ,सुआन ,कुआनों और भकला नदिया बहती हैं. घाघरा और सरयू एक ही नदी को अलग अलग स्थानों के हिसाब से कहा जाता था, लेकिन अब दोनों का नाम मिला कर सरयू कर दिया गया है. सरयू नदी से ही इलाके में सिंचाई का पर्याप्त पानी मिलता है. इलका टिकरी, सुहेलवदेव, कतर्निया और कुआनो के जंगलात से घिरा है. इसमें टिकरी ही वो जंगल है जहां वन टांगिया जनजाति के लोग जंगलों में रहते हैं. जबकि कुआनो को बेंत के जंगलों के तौर पर जाना पहचाना जाता है. सरकार से घर तो मिले लेकिन नाकाफी गोड़ा के न्यज 18 के संवाददाता देवमणि त्रिपाठी के मुताबिक मंडल मुख्यालय होने के कारण गोंड़ा में विकास के काम अपेक्षाकृत ठीक से होते हैं. एक मोटे अनुमान के मुताबिक जिले में तकरीबन 2.18 लाख बीपीएल धारक रहते हैं. यहां 43 हजार लोगों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत घर मिले हैं. यानी चौथाई से कुछ कम लोगों को ही इस योजना का फायदा मिल पाया है. उनका ये भी कहना है कि मंडल के तकरीबन सभी जिलों में कमोबेस यही हालत है. यानि जिन लोगों को इस योजना के तहत घर मिल भी पाए हैं वो बहुत ज्यादा नहीं हैं. बाकी अपने उन्ही पुराने मिट्टी के घरों में रहते हैं. कुछ ही ऐसे खुशनसीब गरीब परिवार होंगे जो अपना पक्के घर बना पाए हैं. इस लिहाज से ज्यादातर लोगों को इस मौसम में गर्मी से बचने के लिए घरों के बाहर ही सोना पड़ता है. इधर बारिश के कारण भेड़िया, हाइना और सियार जैसे छोटे शिकारी जानवरों के घरों में भी पानी भर चुका होता है. ये जानवर जंगलों के भीतर नहीं रहते. बल्कि इनका ठिकाना जंगलों और आबादी के बीच में कहीं होता है. जब उन्हें जंगल के आस पास शिकार मिलने में दिक्कत आती है तो वे आबादी का रुख करते हैं. सियार और हाइना भी हमले करते रहे हैं इसकी मिसाल देते हुए देवमणि बताते हैं कि भेड़िया तो इस बार इतने हमलावर हो कर आए हैं लेकिन हाइना और सियार तो अक्सर ही बरसात के मौसम में बहुतों को काट जाते हैं. वे बताते हैं – “मनिकापुर तहसील के धुसवां गांव मे मंजू मणि त्रिपाठी और असगर को सियार ने काट लिया. दोनो को एंटी रैबिज सूइयां भी लग रही है. मंजू के तो पक्का मकान भी है. रात के अंधेरे में सियार ने इन दोनों को काट लिया.” भेड़िया के बारे में वे बताते हैं कि भेड़िया अक्सर बकरियों या फिर भेंड़ों के बच्चे को ही शिकार बनाता रहा है. उसे जो भी उसके अपने आकार से छोटा लगता है उसी को पकड़ने की कोशिश करते हैं. ये भी पढ़ें : अनुप्र‍िया पटेल का ‘खेल’ या हो गया मेल, तो क्‍या अख‍िलेश यादव की साइक‍िल उपचुनाव में हो जाएगी फेल ! ढीठ हो गए है भेड़िये अमित सिंह बताते हैं कि इस बार के हमलावर भेड़िये कुछ ज्यादा ही ढींठ और शातिर लग रहे हैं या फिर वन विभाग उनके स्वभाव के बारे में समझ पाने में कुछ पीछे रह गया. उनका कहा है – “हरबक सिंह पुरवा में चौथा भेड़िया पकड़ा गया. उसे पिंजड़े में डाल कर वन विभाग इंतजार कर रहा था कि उसके साथ इसे खोजने जरुर आएंगे. आया भी. लेकिन वन विभाग की पकड़ में आने की जगह वहां से 50 किलोमीटर दूर जा कर हमला कर दिया.” रात को शिकार कर दिन भर आराम करने वाले इस छोटे शिकारी को आस पास के गन्ने के घने खेतों में छुपने की अच्छी खासी जगह मिल जा रही है. बहरहाल, अब सरकार ने वन विभाग के विशेषज्ञों और सुरक्षाकर्मियों की पूरी फौज भेड़ियों के खिलाफ उतार दी है तो उम्मीद की जा रही है कि इस बार जरुर भेड़िये के इस गिरोह से इलाकों को मुक्ति मिल जाएगी. Tags: Bahraich news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 12:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed