यादों की रेल लाइन के सहारे जा रहे हैं महाकुंभ स्टेशनों के नाम में उलझ सकते है

इलाहाबाद या प्रयागराज के संगम तीरे माघ मेला लगे या कुंभ या फिर महाकुंभ. श्रद्धालुओं के साथ यहां पढ़ कर दूसरी जगहों पर रोजी रोटी जुटा रहे भी मेला पहुंचने के लिए मचल उठते हैं. यादों की त्रिवेणी उनके दिल दिमाग में हिलोरे मारती ही रहती है. उसमें बहुत सारे नाम और स्थान बसे हैं. ये जगहे खासतौर से रेलवे स्टेशन अब नए नाम के दिख रहे हैं. दारागंज स्टेशन तो दिखेगा ही नहीं. मेले में ऐसे बहुत सारे लोग इन जगहों और निशानियों को खोजेंगे.

यादों की रेल लाइन के सहारे जा रहे हैं महाकुंभ स्टेशनों के नाम में उलझ सकते है
हाइलाइट्स शहर के कई रेलवे स्टेशनों के नाम के पहले जोड़ा गया है प्रयागराज बहुतों को दारागंज स्टेशन की याद आएगी शहर में काम कर रहे हैं कुल 9 स्टेशन कुंभ मेले में पहली दफा जा रहे हैं तो परेशान मत होइएगा. इस बार आपको प्रयागराज नाम से कई रेलवे स्टेशन मिलने वाले हैं. इलाहाबाद में पढ़ाई कर कहीं और रह रोजी रोजगार करने वालों को प्रयाग नाम पर सिर्फ दो ही स्टेशन याद होंगे- प्रयाग और प्रयाग घाट. हो सकता है बहुतों की स्मृति में दारागंज रेलवे स्टेशन अपने खास मुकाम के तौर पर दर्ज हो, लेकिन ये स्टेशन तो इस बार मिलेगा ही नहीं. रेलवे ने गंगा ने पर नया पुल बना दिया है. पिछले साल उसे चालू भी कर दिया गया. लेकिन इस नए पुल के कारण दारागंज रेलवे स्टेशन वीरान हो गया. कभी मंजिल दारागंज रेलवे स्टेशन होता था पूरब के जिलों से पढ़ने के लिए पूरब के ऑक्सफोर्ड पहुंचने वाले बहुत सारे लोगों की लिए शहर में पहुंचने का स्टेशन ही यही था. दारागंज, अल्लापुर, बाघाम्बरी, अलोपीबाग, बख्शीबांध, सोहबतिया बाग और आस पास के दूसरे मोहल्लों में रहने वाले छात्र इसी स्टेशन पर उतरते रहे. यही वो इलाके रहे हैं जहां कम भाड़े में किराए के कमरे मिल जाते. साथ ही पढ़ने वाले बहुत सारे सहपाठी भी. हो सकता है इनमें से बहुत सारे छात्र नौकरियां पाने के बाद किसी और स्टेशन से इलाहाबाद छोड़ कर गए हों, लेकिन दारागंज का स्टेशन उनकी यादों में बसा होता था. खैर रेलवे ने भी उसे खत्म करने के बाद संग्रहालय बनाने का फैसला लिया है. देर सबेर खंडहर बन रहा स्टेशन संग्रहालय का रूप ले भी लेगा. लेकिन फिलहाल तो स्टेशन और पुराने पुल से रेल लाइने यादों की परतों की तरह उखाड़ी जा रही हैं. प्रयाग घाट नहीं प्रयागराज संगम मिलेगा बहरहाल, दारागंज में मेले के समय चलने वाला प्रयाग घाट स्टेशन प्रयागराज संगम के नाम से चालू कर दिया गया है. यहां मूल रूप से लखनऊ से आने वाली रेल गाड़ियां पहुंचेगी. लखनऊ की ओर से इलाहाबाद में दाखिल होने वालों की स्मृति में प्रयाग स्टेशन भी बसा हुआ है. उधर से आने वाले सारे छात्र इसी प्रयाग स्टेशन पर उतर जाते थे. चाहें उन्हें यूनिवर्सिटी के हॉस्टलों में जाना हो या एलेनगंज, ममफोर्डगंज बघाड़ा या फिर कर्नेलगंज कटरा के बहुत सारे हिस्सों में जाना हो. हां, इसे प्रयाग जंक्शन ही कहा जा रहा है. ये भी पढ़े  : नानी दादी दरिद्दर भगाती थीं, छुआ छूत के दौर में भी पवित्तर था, अब गाहे-बगाहे त्यौहारों पर ही दिखता है प्रयागराज के नाम से और भी कई स्टेशन फिर मेन स्टेशन का क्या हुआ,तो सिविल लाइन्स और खुल्दाबाद के बीच बने इलाहाबाद जंक्शन को प्रयागराज जंक्शन के नाम से जाना जा रहा है. ये स्टेशन दूसरी ओर के नैनी, सीओडी छिवकी और सूबेदारगंज से जुड़ा है. अलबत्ता सूबेदारगंज को अच्छे से बनाया जा रहा है. मेले में उसकी अहमित बढ़ जाएगी. जबकि छिवकी को प्रयागराज छिवकी नाम से जाना जाएगा. प्रयागराज जंक्शन रामबाग और रामबाग के जरिए संगम से भी जुड़ा रहेगा. रामबाग को पहले इलाहाबाद सिटी के तौर पर जाना जाता था. अब प्रयागराज सिटी कहा जा रहा है. ये स्टेशन पहले की तरह बनारस रूट झूंसी और झूंसी से लगे रामनाथपुर स्टेशन से अब भी जुड़ा हुआ है. Tags: Indian Railways, Kumbh Mela, Maha Kumbh MelaFIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 14:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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