धान-गेहूं को छोड़ किसान ने शुरू की लौकी की खेती अब हो रही है बंपर कमाई
धान-गेहूं को छोड़ किसान ने शुरू की लौकी की खेती अब हो रही है बंपर कमाई
Lauki ki kheti: बाराबंकी में एक किसान धान-गेहूं की फसल छोड़कर लौकी की खेती कर रहा है. किसान ने बताया कि उसे एक सीजन में लाखों रुपए का मुनाफा हो जाता है. वह मात्र 2 बीघे जमीन में मचान पर लौकी की खेती करता है.
संजय यादव/बाराबंकी: पहले किसान धान, गेहूं और मोटे अनाजों की पैदावार को अपनी आय का एक मात्र जरिया मानते थे. वहीं, वर्तमान समय में किसानों ने इस सोच से आगे बढकर टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, तोरई, कद्दू, आदि जैसी सह फसली खेती को कमाई का जरिया ही नहीं बनाया है, बल्कि इनकी खेती से पूरे साल लाखों रुपए की कमाई भी कर रहे हैं.
साल में तीन बार होती है खेती
आज हम जिस सब्जी की खेती के बारे में बात कर रहे हैं. इस सब्जी का नाम लौकी है. लौकी सब्जी को सभी कद्दू वर्गीय सब्जियों में प्रमुख माना जाता हैं. लौकी सामान्य तौर पर दो आकार की होती हैं, पहली गोल और दूसरी लंबी होती है. यह हर सीजन में मिलने वाली सब्जी है. इस सब्जी की मांग मंडी में हर समय बड़े स्तर पर रहती है. किसान इसकी खेती साल में तीन बार कर सकते हैं. लौकी की खेती से किसान कम खर्च कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
लौकी से हो रही है लाखों की आमदनी
लौकी की फसल ऐसी है कि जिसमें किसान कम जगह में भी इसकी खेती कर लाखों रुपए कमा सकते हैं. इसकी खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन उचित जल धारण क्षमता वाली जीवाश्म युक्त हल्की दोमट मिट्टी इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है. वहीं, बाराबंकी जिले के सहेलियां गांव के रहने वाले युवा किसान शैलेश यादव लौकी की खेती कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
लौकी की खेती में हो रहा बंपर मुनाफा
लौकी की खेती कर रहे युवा किसान शैलेश यादव ने बताया वह 2-3 सालों से इसकी खेती कर रहे हैं. इससे पहले वह धान की खेती करते थे, उसमें उन्हें कोई फायदा नजर नहीं आ रहा था. फिर उन्होंने सब्जियों की खेती शुरू की, जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ.
लकड़ी के मचान पर करते हैं खेती
इस समय वह लौकी की खेती करीब 2 बीघे में किए हैं, जिसमें लागत करीब एक बीघे में 10 से 15 हजार रुपये आती है और मुनाफा करीब डेढ़ से दो लाख रुपए तक हो जाता है. इसकी खेती हम मचान विधि से कर रहे हैं. इससे बरसात के पानी से फशल गलने व सड़ने का खतरा कम रहता है और सब्जियों की पैदावार भी अधिक होती है.
दो महीनें में फसल हो जाती है तैयार
किसान ने बताया कि लौकी की खेती करने के लिये पहले खेत की जुताई की जाती है. उसके बाद खेत समतल करके 2-3 फीट की दूरी पर लौकी के बीज की बुवाई की जाती है. जब पेड़ थोड़ा बड़ा हो जाता है. तब इसकी सिंचाई करते हैं, फिर पूरे खेत में बांस तार वह डोरी का स्टेचर तैयार करते हैं. स्टेचर पर पौधे को चढ़ा दिया जाता है. इससे लौकी की पैदावार अच्छी होती है और रोग लगने का खतरा भी कम रहता है. वहीं, इसकी बुआई करने के महज डेढ़ से दो महीने में फसल निकलना शुरू हो जाती है.
Tags: Barabanki News, Local18FIRST PUBLISHED : August 10, 2024, 10:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed