ट्यूबवेल के पानी टैंक से आ रही थी आवाजें नजदीक से देखा तो उड़े होश!
ट्यूबवेल के पानी टैंक से आ रही थी आवाजें नजदीक से देखा तो उड़े होश!
चंबल सेंचुरी के वन क्षेत्राधिकारी के.के. त्यागी ने जानकारी दी कि स्थानीय ग्रामीणों की सूचना पर चंबल सेंचुरी की टीम और वन्य जीव प्रतिनिधियों ने मिलकर इस रेस्क्यू अभियान को अंजाम दिया.
इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के चकरनगर तहसील के गोपालपुर गांव में एक सरकारी ट्यूबवेल के पानी टैंक से 25 सांपों, जिनमें से 24 अजगर थे, के निकलने से गांव में हड़कंप मच गया. यह अब तक का सबसे बड़ा सांपों का बसेरा माना जा रहा है.
चंबल सेंचुरी के वन क्षेत्राधिकारी के.के. त्यागी ने जानकारी दी कि स्थानीय ग्रामीणों की सूचना पर चंबल सेंचुरी की टीम और वन्य जीव प्रतिनिधियों ने मिलकर इस रेस्क्यू अभियान को अंजाम दिया. रेस्क्यू के दौरान 24 अजगर और एक करैत सांप को सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला गया.
गांव में हड़कंप
इस घटना के बाद, इलाके में ग्रामीणों में भय व्याप्त हो गया था और उन्होंने खेती करना छोड़ दिया था. हालांकि, सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उन्हें राहत मिली. त्यागी ने बताया कि सभी सांप 4 फुट से अधिक लंबे थे और उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया है. रेस्क्यू अभियान में शामिल ओशन संस्था के प्रतिनिधि डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि वे पिछले 10 वर्षों से सांपों का रेस्क्यू कर रहे हैं, लेकिन पहली बार इतनी बड़ी संख्या में सांपों का रेस्क्यू किया गया है.
जंगल में छोड़ा गया
इटावा जिले में पिछले 10 वर्षों में करीब 10,000 छोटे-बड़े अजगर रेस्क्यू किए गए हैं. यहां 5 किलो से लेकर 100 किलो वजनी और 5 फीट से लेकर 20 फुट लंबे अजगरों को सुरक्षित रेस्क्यू करके जंगल में छोड़ा गया है.
अजगर का आतंक
पिछले 20 सालों से इटावा जिले में बड़े पैमाने पर जमीन से अजगरों के निकलने का सिलसिला जारी है. वन विभाग की ओर से गांव-गांव में इस बात का प्रचार किया गया है कि अजगरों को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचाया जाए और अगर कोई अजगर दिखे, तो इसकी सूचना तुरंत वन विभाग और वन्य जीव संस्था के प्रतिनिधियों को दी जाए.
इंसानी बस्तियों की ओर…
इटावा में अजगरों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि इसे देश-दुनिया का सबसे बड़ा अजगरों का बसेरा माना जा रहा है. अजगर आमतौर पर लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन जब वे खतरे में होते हैं, तो उनका बचना मुश्किल हो सकता है. जंगलों के कटने के कारण अजगर अब इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ रहे हैं, जहां वे अपना बसेरा बना रहे हैं.
नदियों के किनारों पर सैकड़ों अजगर
अजगर एक संरक्षित जीव है और शेड्यूल वन प्रजाति के तहत आता है. हालांकि, इसके संरक्षण के लिए केंद्र या राज्य सरकार की ओर से कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई है. इसलिए रेस्क्यू किए गए अजगरों को संरक्षित वन क्षेत्रों में छोड़ा जाता है. चंबल घाटी के यमुना और चंबल नदियों के किनारों पर सैकड़ों अजगर पाए जाते हैं, हालांकि इनकी कोई तथ्यात्मक गणना नहीं की गई है.
Tags: Local18, Snake RescueFIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 16:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed