दिल्ली की जहरीली हवा का कारण बना पंजाब AQI 400 पार पराली जलाने से छायी हर तरफ धुंध

देश की राजधानी दिल्ली में अपेक्षाकृत धीमी हवाएं चलने और पंजाब में पराली जलाए जाने के मामले बढ़ने के बीच वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में आ जाने के कारण से मंगलवार यानी आज धुंध और धुएं की परत छाई रही और दृश्यता स्तर कम रहा.

दिल्ली की जहरीली हवा का कारण बना पंजाब AQI 400 पार पराली जलाने से छायी हर तरफ धुंध
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में अपेक्षाकृत धीमी हवाएं चलने और पंजाब में पराली जलाए जाने के मामले बढ़ने के बीच वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में आ जाने के कारण मंगलवार यानी आज धुंध और धुएं की परत छाई रही और दृश्यता स्तर कम रहा. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ की उपग्रह से ली गई तस्वीरों में कई लाल निशान दिख रहे हैं, जो पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली जलाए जाने के मामलों को दर्शाते हैं. पूर्वी पाकिस्तान से पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सिंधु-गंगा के मैदानों के विशाल क्षेत्रों में धुंध की एक परत दिखाई दे रही है. दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार को पूर्वाह्न 10 बजे 429 पर रहा, जबकि यह सोमवार को शाम चार बजे 352 था. यदि एक्यूआई 400 से अधिक हो तो उसे ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में माना जाता है और इसके कारण लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है. शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 को ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 को ‘बहुत खराब’, तथा 401 और 500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है. शिकागो विश्वविद्यालय (ईपीआईसी) के ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा जून में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) के अनुसार, खराब वायु गुणवत्ता के कारण दिल्लीवासियों की जीवन प्रत्याशा 10 साल कम होने की आशंका है. बुराड़ी क्रॉसिंग (एक्यूआई 477), बवाना (465), वजीरपुर (467), नरेला (465), विवेक विहार (457), रोहिणी (462), जहांगीरपुरी (475), सोनिया विहार (469) और अशोक विहार (465) में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, कई क्षेत्रों में पीएम 2.5 यानी फेफड़ों को नुकसान पंहुचा सकने वाले सूक्ष्म कणों की सांद्रता 450 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक रही, जो 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग आठ गुना अधिक है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, जब एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाएं चरम पर होती हैं, तब राजधानी में लोग सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह धुंध की मोटी परत के कारण सफदरजंग हवाई अड्डे पर दृश्यता 600 मीटर और पालम हवाई अड्डे पर दृश्यता 900 मीटर रह गई. स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने कहा कि हवा की धीमी गति और रात में कम तापमान के कारण प्रदूषकों का संचय हो रहा है. उन्होंने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण चार नवंबर से नमी बढ़ सकती है तथा हवा की गति और कम हो सकती है. केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली पूर्वानुमान एजेंसी वायु गुणवत्ता मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार, सोमवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 22 प्रतिशत रहा. रविवार को यह 26 फीसदी और शनिवार को 21 फीसदी था. सफर के संस्थापक निदेशक गुफरान बेग ने कहा कि प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान मंगलवार को बढ़कर 30 प्रतिशत तक हो सकता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Air pollution delhi, Punjab, Stubble BurningFIRST PUBLISHED : November 01, 2022, 16:22 IST