जानिए कैसे प्रियंका ने स्मृति से छीन अमेठी का ताज किशोरी लाल को दिलाया

अमेठी और रायबरेली सीटों पर जीत का क्रेडिट प्रियंका गांधी को जाता है. खासतौर से अमेठी सीट को उन्होंने जिस तरह से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के कब्जे से छीन कर वहां से अपने परिवार के खास किशोरी लाल शर्मा को सांसद बनाया वो चर्चा का विषय है. इन सीटों को जीतने की उनकी क्या रही रणनीति जानिए.

जानिए कैसे प्रियंका ने स्मृति से छीन अमेठी का ताज किशोरी लाल को दिलाया
हाइलाइट्स दोनों सीटों पर जीत की असली रणनीतिकार प्रियंका गांधी इलाके के हर महत्वपूर्ण व्यक्ति को साधा सहज और भावुक भाषणों से लोगों को जोड़ा उत्तर प्रदेश के नतीजों को लेकर तरह तरह के विश्लेषण किए जा रहे हैं. बीजेपी की खामियों की चर्चा हो रही है. एसपी नेता अखिलेश यादव की राजनीतिक बारीकियों पर बहुत कुछ कहा सुना जा रहा है. इन सब के बीच प्रियंका गांधी की मिलनसार राजनीतिक शैली एक बार फिर उभर कर सामने आई है. उनकी शैली पुराने दिग्गज राजनेताओं जैसी है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में इसका बाखूबी इस्तेमाल भी किया. खासतौर पर अमेठी और रायबरेली जीताने के लिए उन्होंने बेहद प्रभावी रणनीति अख्तियार की. प्रियंका ने दोनों सीटों के तकरीबन हर प्रभावशाली व्यक्ति और ग्राम प्रधानों से संपर्क साधा. उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए हर तरह की रणनीति अपनाई. अमेठी से 2019 में स्मृति ईरानी से हारने के बाद 6 मई को नामांकन के आखिरी दिन राहुल गांधी ने रायबरेली से नामांकन किया. उनके साथ ही कांग्रेस के कुछ दूसरे नेत प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी भी थीं. सोनिया गांधी ने रायबरेली में एक छोटा सा संदेश दिया कि वो अपने बेटे राहुल गांधी को वहां के लोगों को सौंप रही हैं. फिर वे वापस लौट गईं. फिर प्रियंका ने मोर्चा संभाल लिया. वे 6 से 18 मई तक रायबरेली में ही रहीं. यहां कांग्रेस पार्टी की तरफ से बनवाया गया सांसद निवास उनका ठिकाना रहा. ये भी पढ़े : Quick Analysis: यूपी में बीजेपी की रफ्तार पर अखिलेश ने कैसे लगाया ब्रेक, किन इलाकों में दौड़ी साइकिल जानिए प्रचार के बाद पुराने लोगों के घर भी जाती रहीं चुनाव प्रचार के लिए वे निकल कर लौटती तो ऐसा नहीं था कि वे फिर से अपने ठिकाने आराम करने चली जाती थी. बल्कि चुनाव प्रचार के कार्यक्रमों के बाद प्रियंका उन नेताओं के घरों में जाती थीं. उनके परिवार के साथ कुछ समय बितातीं. रायबरेली के पत्रकार मोहन कृष्ण बताते है कि प्रियंका ने उन पुराने नेताओं के घर भी गईं जो अब बहुत सक्रिय नहीं हैं. पहले सक्रिय रहे उन लोगों को भी जोड़ा. सहज और जोड़ने वाली भाषण शैली उनके भाषणों की शैली भी पुराने समय के नेताओं की ही रहीं. उन्होंने अपने भाषण में वो कहानी भी सुनाई, जब उन्हें दिल्ली में अपने पिता राजीव गांधी की मृत्यु का समाचार मिला और उन्हें अपनी मां सोनिया गांधी को ये समाचार देना पड़ा. उन्होंने अपने और रायबरेली की जनता से अपने जुड़ाव की बातें लोगों सुनाई. अमेठी में प्रियंका के एक भाषण का क्लिप भी यूट्यूब पर चल रहा है. जिसमें उनकी शैली देखी सुनी जा सकती है. एक्सटेंपोर बिना पढ़े भाषण दिया. रायबरेली के साथ अमेठी जीतना भी उनके लिए उतना ही महत्वपूर्ण था. लिहाजा उन्होंने वहां स्मृति ईरानी के लिए बिना किसी कड़े शब्द का इस्तेमाल किए बीजेपी नेता के सारे आरोपों का विश्वनीय तरीके से जवाब दिया. किशोरी लाल शर्मा और गांधी परिवार के रिश्तों पर बहुत सी बातें लगातार कहीं. वोटरों ने उनके इस भाषण पर भरोसा भी किया. ये अब तो नतीजों से साफ भी हो गया है. हालांकि ये भी ध्यान रखने वाली बात है कि प्रियंका की मदद के लिए पार्टी ने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को भी लगा रखा था. जरूरत पड़ने पर ये दोनो मझे हुए नेता विरोधियों से अपने राजनीतिक तरीके से निबटते थे. कुल छह सीटों पर प्रचार किया प्रियंका सिर्फ अमेठी-रायबरेली तक ही महदूद नहीं रहीं. उन्होंने प्रदेश की बनारस, सहारनपुर, बाराबंकी, और सीतापुर सीटों पर भी प्रचार किया. इसमें बनारस को छोड़ दिया जाय तो बाकी सीटें कांग्रेस ने जीती. बनारस में प्रचार के लिए उनके साथ एसपी की डिंपल यादव भी गईं थी. वहां भी कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय को 4 लाख 60 हजार से ज्यादा वोट मिले. ये कुल मतदान का 40 फीसदी है. इतने वोट की अपेक्षा अजय राय को भी शायद ही रही हो. राज्य की छह सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी जीते. इसमें समाजवादी पार्टी के वोटों की हिस्सेदारी से कत्तई इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन प्रियंका की प्रचार शैली और लोगों से जुड़ने का उनका अंदाज खुद कांग्रेस नेताओं के लिए फॉलो करने लायक है, अनुकरणीय है. Tags: 2024 Lok Sabha Elections, 2024 Loksabha Election, Congress, Rahul gandhiFIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 13:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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