राष्ट्रपति चुनाव: विपक्ष नहीं हो पा रहा किसी एक नाम पर एकजुट भाजपा चाहती है आम सहमति बने

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) के लिए सियासी दलों के बीच एक राय बने और चुनाव की नौबत ही ना आए. लेकिन जिस तरह से मतभेद की खबरें आ रही हैं, उससे ये साफ जाहिर हो रहा है कि विपक्ष आपस में ही एकजुट नहीं हो पा रहा है.

राष्ट्रपति चुनाव: विपक्ष नहीं हो पा रहा किसी एक नाम पर एकजुट भाजपा चाहती है आम सहमति बने
ममता त्रिपाठी लखनऊ. क्या 2022 के राष्ट्रपति चुनाव 2002 के तरह ही होने की उम्मीद है? 2002 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने एपीजे अब्दुल कलाम को उम्मीदवार बनाया था. उस वक्त समाजवादी पार्टी, टीडीपी, एआईएडीएमके, बसपा के साथ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) ने भी कलाम को सपोर्ट किया था मगर लेफ्ट फ्रंट ने आजाद हिंद फौज की कमांडर कर्नल लक्ष्मी सहगल को प्रत्याशी बनाया था. ये बात अलग है कि वो बड़े अंतर से चुनाव हार गई थीं. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सियासी दलों के बीच एक राय बने और चुनाव की नौबत ही ना आए. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जिस तरह से विभिन्न दलों से बातचीत करके आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उससे लगता है कि भाजपा ये चाहती है कि सभी दलों के बीच प्रत्याशी को लेकर एक राय हो जिससे चुनाव कराना ही ना पड़े. हालांकि हकीकत की जमीन पर ये थोड़ा सा मुश्किल दिख रहा है क्योंकि निर्विरोध चुने जाने के लिए एक ऐसा उम्मीदवार होना चाहिए जो निर्विवाद हो, जिसकी छवि अच्छी हो और उसके नाम पर सब एक हो जाएं. 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष ने सत्ताधारी दल पर ये आरोप लगाया था कि सत्तापक्ष ने आखिरी मौके पर सबसे बातचीत की. पुरानी गलती सुधारते हुए भाजपा ने इस बार महीने भर पहले से ही आम राय पर काम करना शुरू कर दिया है. सभी बड़े नेताओं से मिल चुके हैं भाजपा नेता अभी तक भाजपा नेता कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, सपा के अखिलेश यादव, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और जेडीए नेता एचडी देवगौड़ा से बात कर चुके हैं. भाजपा के बड़े नेता जेडीयू नेता नीतिश कुमार और बीजू जनता दल के नवीन पटनायक से भी संपर्क कर चुके हैं. सभी नेताओं से प्रारम्भिक स्तर की बात हुई है. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि सत्तापक्ष ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, उम्मीदवार के नाम के बारे में भाजपा ने अभी तक रहस्य बनाए रखा है. कांग्रेस के एक बड़े नेता का मानना है कि सत्तापक्ष, विपक्ष की थाह लेने की कोशिश कर रहा है, हमारे उम्मीदवार के बारे में जानने का प्रयास है ताकि वो उसी के आधार पर अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे. विपक्ष नहीं हो पा रहा एकजुट राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष में जिस तरह से मतभेद की खबरें आ रही हैं उससे ये साफ जाहिर हो रहा है कि विपक्ष आपस में ही एकजुट नहीं हो पा रहा है. ममता बनर्जी की बैठक में महज 17 सियासी दल शामिल हुए. जिन दो नामों पर बात हुई उस पर एकजुटता नहीं दिखी. शरद पवार और फारूक अब्दुल्ला एक्टिव पालिटिक्स से हटने के मूड में नहीं हैं. महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी ने भी ना कर दी है. फिलहाल विपक्ष के पास प्रत्याशी का अकाल पड़ता सा दिख रहा है. शरद पवार की 21 जून को दिल्ली में बुलाई बैठक में ममता बनर्जी नहीं आएंगी अपने प्रतिनिधि के तौर पर अभिषेक बनर्जी को भेजेंगी. इन सब बातों से सत्तारूढ़ कैंप में राहत की सांस ली जा रही है. 1977 में नीलम संजीव रेड्डी चुने गये थे निर्विरोध आपको बता दें कि 45 साल में सिर्फ एक बार राष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हुआ है जब 1977 में नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति बने थे.1969 में सबसे रोचक मुकाबला देखने को मिला था जब इंदिरा गांधी ने अपनी ही पार्टी के घोषित उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी के खिलाफ निर्दलीय वीवी गिरी को प्रत्याशी बना दिया था और सभी सियासी दलों से भावुक अपील करते हुए समर्थन मांगा था. उस अपील ने काम किया था और बाजी पलट गई थी. 2007 में लेफ्ट पार्टियां प्रणव दा को राष्ट्रपति बनाना चाहती थीं मगर सोनिया गांधी ने राजस्थान की राज्यपाल प्रतिभा पाटिल की उम्मीदवारी को हरी झंडी दी. उनके सामने तत्कालीन उपराष्ट्रपति रहे भैरों सिंह शेखावत चुनाव लड़े और हार गए थे. ऐसे ही 2012 में कांग्रेस ने प्रणव मुखर्जी को प्रत्याशी बनाया और वो एनडीए के उम्मीदवार पीए संगमा से चुनाव जीत गए थे. जेडीयू ने किया था कोविंद का रास्ता आसान 2017 में एनडीए ने बिहार के तत्कालीन गवर्नर रहे रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाया था. उनके मुकाबले पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष रह चुकी मीरा कुमार थीं. मगर एनडीए में ना रहते हुए भी जेडीयू के समर्थन से रामनाथ कोविंद का रास्ता आसान हो गया और वो देश के राष्ट्रपति बन गए. रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है जिसके लिए 18 जुलाई को मतदान होना है. एनडीए को 13 हजार वोटों की दरकार चुनावी समीकरणों को देखते हुए भाजपा की अगुआई वाले एनडीए के पास करीब 5.26 लाख वोट है, जिसमें से 2.17 लाख विधानसभाओं से और 3.09 लाख सांसदों के वोट हैं. जीत के लिए एनडीए को 13 हजार वोटों की और दरकार है. आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचित सांसद और विधायक वोट डालते हैं. अलग-अलग राज्यों के विधायकों की कीमत वहां की आबादी के हिसाब से तय होती है. ऐसे में अगर नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (31 हजार वोट) या जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर (43 हजार वोट) भाजपा के प्रत्याशी को सपोर्ट करती है तो एनडीए का राष्ट्रपति बनना तय है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Congress, ElectionFIRST PUBLISHED : June 20, 2022, 22:37 IST