खाकी बाबा सरकार जिनके आगे ब्रिटिश अफसर भी रह गए थे स्तब्ध बाढ़ में बिना
खाकी बाबा सरकार जिनके आगे ब्रिटिश अफसर भी रह गए थे स्तब्ध बाढ़ में बिना
आज हम आपको एक ऐसे सिद्ध महात्मा के बारे में बताने जा रहें हैं जिनके तपोबल के आगे ब्रिटिश अफसर भी स्तब्ध रह जाते थे. इनकी असाधारण घटनाएं आज भी जीवंत हैं. वह संत, जो नदियों को पैदल पार कर जाते थे और जिनका मंदिर अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पर्यटन स्थल में बदल दिया गया है.
सहारनपुर. वैसे तो सिंघाड़ा एक जलीय पौधा है,यानि सिंघाड़े की खेती तालाब में होती है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि खेत में भी सिंघाड़े की खेती की जा सकती है. तालाब के बिना खेत में सिंघाड़े की खेती करने का सफल प्रयास किया है उत्तर प्रदेश के किसान सेठ पाल सिंह ने, जिन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा था. किसान सेठ पाल सिंह के प्रयास से प्रेरणा लेकर किसानों के खेतों में भी सिंघाड़े की खेती कर सकते हैं.
पिछले 29 साल से किसान सेठ पाल सिंह सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं, आपको बता दे कि सेठपाल सिंह खेती में नए-नए प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं, इसके चलते 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनको पद्मश्री से सम्मानित किया था, उन्होंने न सिर्फ खेती की नई तकनीकी का प्रयोग किया बल्कि फसल चक्र के साथ ही कृषि विविधीकरण को भी अपनाया. सेठपाल गन्ने की फसल के साथ सहफसली के तौर पर प्याज, सौंफ, आलू, सरसों, मसूर और हल्दी की बेहतरीन खेती करते हैं.
इस समय करें सिंघाड़े की खेती
किसान सेठपाल बताते हैं कि वह 1995 से वह अपने खेत में सिंघाड़े की खेती करते चले आ रहे हैं, सिंघाड़े की खेती से उनको अन्य फसलों के मुकाबले काफी अधिक लाभ होता है, इसकी बुआई के लिए मानसून के बाद का समय सबसे उपयुक्त रहता है. बारिश के बाद जब जलाशयों और खेतों में पानी भर जाता है. उस समय सिंघाड़े की बुवाई करने पर पानी के अंदर फसल का तेजी से विकास होता है और कम समय में काफी फलों का प्रोडक्शन मिलने लगता है.
सिंघाड़े की खेती में 2 गुना मुनाफा
किसान सेठपाल बताते हैं कि इस बार एक एकड़ में सिंघाड़े की खेती की है यह खेती 6 महीने तक चलती है और अन्य फसल के मुकाबले इस सिंघाड़े की खेती में 2 गुना अधिक मुनाफा होता है. जबकि लागत बहुत कम है, वही सिंघाड़े की गुणवत्ता की बात की करें तो साफ पानी मे चमकदार सिंघाड़ा होता है और उसमें मिठास भी अधिक होता है.
Tags: Agriculture, Local18, Saharanpur news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 12, 2024, 13:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed