10 साल पुराना हुआ पॉक्सो एक्ट इस पर हुए अध्ययन ने किए चौंकाने वाले खुलासे जानें
10 साल पुराना हुआ पॉक्सो एक्ट इस पर हुए अध्ययन ने किए चौंकाने वाले खुलासे जानें
स्वतंत्र थिंकटैंक ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ की पहल ‘जस्टिस, एक्सेस एंड लोवरिंग डिलेज़ इन इंडिया’ ने कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (Posco Act) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में से एक में दोष साबित हुआ तो तीन मामलों में आरोपी को बरी कर दिया गया. यह बात अध्ययन के बाद कही है.
हाइलाइट्सयौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम को हुए 10 साल थिंक टैंक ने अध्ययन ‘पॉक्सो का एक दशक’ जारी किया 4 लाख पॉक्सो मामलों से संबद्ध आंकड़े एकत्र किए
नई दिल्ली. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (Posco Act) अधिनियम पर किए गए अध्ययन के अनुसार 10 साल पुराने इस कानून के तहत दर्ज मामलों में से एक में दोष साबित हुआ तो तीन मामलों में आरोपी को बरी कर दिया गया. स्वतंत्र थिंकटैंक ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ की पहल ‘जस्टिस, एक्सेस एंड लोवरिंग डिलेज़ इन इंडिया’ ने यह अध्ययन किया है, जिसका शीर्षक ‘पॉक्सो का एक दशक’ है. विश्व बैंक के ‘डेटा एविडेंस फॉर जस्टिस रिफॉर्म्स’ कार्यक्रम के सहयोग से यह अध्ययन किया गया है. अध्ययन के दौरान लगभग 4 लाख पॉक्सो मामलों से संबद्ध आंकड़े एकत्र किए गए और लंबित मामलों व निपटाए जा चुके मामलों का पैटर्न समझने के लिए 2.31 लाख मामलों का विश्लेषण किया गया.
आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मामले लंबित हैं. राज्य में नवंबर 2012 से लेकर फरवरी 2021 के बीच पॉक्सो के तहत जितने मामले दर्ज किए गए उनमें से तीन चौथाई या 77.77 प्रतिशत लंबित पाए गए. वहीं, सबसे अधिक मामलों का निपटान तमिलनाडु में किया गया. राज्य में नवंबर 2012 से लेकर फरवरी 2021 के बीच जितने मामले दर्ज हुए, उनमें से 80.2 प्रतिशत का निपटान कर दिया गया. अध्ययन में कहा गया है, “पॉक्सो के तहत किसी एक मामले में दोष साबित हुआ तो तीन मामलों में आरोपी को बरी कर दिया गया. दोषसिद्धि की तुलना में बरी किए जाने की दर काफी अधिक रही.”
लंबित केसाें में तेज वृद्धि हुई़़, कोविड और इसके कोर्ट पर पड़े प्रभाव हो सकते हैं कारण
उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश में दोषसिद्धि की तुलना में बरी किए जाने की दर सात गुना अधिक रही है, जबकि पश्चिम बंगाल में यह दोषसिद्धि से पांच गुना अधिक है. केरल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां यह अंतर बहुत कम है. राज्य में 20.5 प्रतिशत मामलों में दोषमुक्ति और 16.49 प्रतिशत में दोष साबित हुआ. अध्ययन में पाया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में पॉक्सो के लंबित मामलों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही थी, लेकिन 2019 में इनमें गिरावट आई. अध्ययन में कहा गया है कि 2019 और 2020 के बीच लंबित मामलों की संख्या में 24,863 की तेज वृद्धि हुई थी. इसका कारण कोविड-19 महामारी और देश भर में अदालतों के कामकाज पर इसका प्रभाव हो सकता है.
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Tags: Posco actFIRST PUBLISHED : November 18, 2022, 22:31 IST