POCSO केस में उम्रकैद झेल रहा था अब कर्नाटक हाई कोर्ट ने सजा घटा दी कारण बता

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने POCSO कानून के एक मामले में दोषी की सजा उम्रकैद से घटाकर 10 साल के कारावास की सजा कर दी. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अधिकतम सजा देने के लिए उचित कारण होना बेहद जरूरी है...

POCSO केस में उम्रकैद झेल रहा था अब कर्नाटक हाई कोर्ट ने सजा घटा दी कारण बता
बेंगलुरु: पॉक्सो में सजा काट रहे एक दोषी को ‘उम्रकैद से मुक्ति’ मिल गई है. हालांकि वह 10 साल पूरे करेगा. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो- POCSO) कानून के एक मामले में दोषी की सजा उम्रकैद से घटाकर 10 साल के कारावास की सजा कर दी. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अधिकतम सजा देने के लिए उचित कारण होना बेहद जरूरी है. दरअसल जून 2016 में इस मामले के दोषी ने अपने पड़ोस में रहने वाली नाबालिग लड़की से दोस्ती कर उसका बार-बार यौन उत्पीड़न किया. लड़की की मां ने दिसंबर 2016 में शिकायत दर्ज करवाई. मां को पता चला था कि उनकी बेटी गर्भवती हो गयी है. डीएनए जांच में इस दोषी की बायलॉजिकल पिता होने की पुष्टि भी हो गई. चिकमगलुरु शहर की एक विशेष अदालत ने 11 जून, 2018 को आरोपी को दोषी करार देते हुए पॉक्सो अधिनियम की धारा छह के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. अब न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार और न्यायमूर्ति सीएम जोशी की खंडपीठ ने चिकमगलुरु के रहने वाले 27 साल के दोषी की अपील को आंशिक रूप से मंजूर कर लिया. हालांकि अदालत ने उसकी जुर्माना राशि को पांच हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दिया. दरअसल दोषी ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए दलील दी थी कि लड़की की उम्र के लिए कोर्ट में सब्मिट करवाए गए डॉक्युमेंट सही नहीं है. खंडपीठ ने मामले की समीक्षा करने के बाद पाया कि मौखिक रूप से लड़की ने जो गवाही दी है, उससे उसकी सहमति का पता चलता है. हालांकि घटना के समय उसकी असल आयु 12 वर्ष है इसलिए सहमति की बात एकदम अप्रासंगिक है. क्या तर्क देता है कोर्ट, क्या है वह नियम… बेंच ने कहा कि सहमति होना पॉक्सो अधिनियम की धारा छह के तहत अधिकतम सजा के प्रावधान का विरोध करता है. बेंच ने कहा कि इस कारण यह निष्कर्ष निकलता है कि विशेष अदालत के पास आजीवन कारावास की सजा देने के लिए पर्याप्त कारण मौजूद नहीं हैं. बेंच के मुताबिक, अपराध की तारीख पर लागू कानून के अनुसार पॉक्सो अधिनियम की धारा छह के तहत न्यूनतम 10 वर्ष के सश्रम कारावास और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अदालत ने फैसला सुनाया कि अधिकतम सजा देने के लिए वैध कारणों की आवश्यकता होती है, जो इस केस में नहीं हैं. नतीजतन, अदालत ने अपने हालिया आदेश में सजा को संशोधित कर 10 वर्ष के कारावास में बदल दिया. Tags: BS Yediyurappa, Crime News, Girl rape, POCSO caseFIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 14:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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