हिजाब विवाद में वकील का बड़ा दावा- कर्नाटक हाईकोर्ट ने कुरान की व्याख्या की
हिजाब विवाद में वकील का बड़ा दावा- कर्नाटक हाईकोर्ट ने कुरान की व्याख्या की
Karnataka Hijab Row: याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील वाई एच मुछाल ने दावा किया कि कर्नाटक उच्च न्यायालय की व्यवस्था से मुस्लिम लड़कियों के अनेक अधिकार प्रभावित हुए हैं. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुन रही थी, जिसमें राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया गया था.
नई दिल्ली. हिजाब प्रतिबंध विवाद में याचिकाकर्ताओं के वकील ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने पवित्र कुरान की व्याख्या की कोशिश करके और यह कहकर आपत्तिजनक काम किया कि मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है. उच्चतम न्यायालय के पहले के एक फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अदालतें कुरान की व्याख्या करने के लिहाज से ‘संस्थागत रूप से अक्षम’ हैं.
एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील वाई एच मुछाल ने दावा किया कि कर्नाटक उच्च न्यायालय की व्यवस्था से मुस्लिम लड़कियों के अनेक अधिकार प्रभावित हुए हैं. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुन रही थी, जिसमें राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया गया था.
वकील ने कहा, ‘जहां तक हमारी बात है, हिजाब धर्म का आवश्यक हिस्सा है या नहीं, यह पूरी तरह अप्रासंगिक है. हम वास्तव में लोगों के अधिकारों को लेकर चिंतित हैं, हम मुस्लिम मजहबी हिस्से पर विचार नहीं कर रहे.’
उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए वकील ने कहा, ‘उच्च न्यायालय ने बहुत ही आपत्तिजनक काम किया है.’ इस पर पीठ ने कहा, ‘हमें बताइए कि क्या आपत्तिजनक है.’
इसके बाद वकील ने शीर्ष अदालत के पहले के एक फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि उसमें कहा गया था कि अदालत कुरान की व्याख्या के रास्ते पर नहीं जा सकती और उसे नहीं जाना चाहिए और उच्च न्यायालय ने यही किया है. उन्होंने कहा, ‘अदालतें कुरान की व्याख्या के लिहाज से संस्थागत रूप से अक्षम हैं.’
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हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में जाकर कहा था कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है. पीठ ने कहा, ‘किसी ने विषय उठाया. उच्च न्यायालय के पास इससे निपटने के अलावा क्या विकल्प था. पहले आप इसे अधिकार होने का दावा करते हैं और जब उच्च न्यायालय इस तरह या उस तरह अपना आदेश देता है तो आप कहते हैं कि यह नहीं हो सकता.’ शीर्ष अदालत ने कहा, ‘दरअसल, आप खुद की बात को गलत साबित कर रहे हैं.’
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Tags: Hijab controversy, Karnataka High Court, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 13, 2022, 00:13 IST