आरपी सेंटर AIIMS की डॉ देवांग को मिला बड़ा सम्मान ग्लूकोमा पर की रिसर्च
आरपी सेंटर AIIMS की डॉ देवांग को मिला बड़ा सम्मान ग्लूकोमा पर की रिसर्च
आरपी सेंटर, एम्स नई दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवांग एंग्मो को उनके 14 साल से काला मोतिया बीमारी पर किए जा रहे रिसर्च और मरीजों को जागरुक करने के लिए एपीएसजी यंग इन्वेस्टिगेटर अवॉर्ड 2024 से सम्मानित किया गया है.
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्ली के डॉ. आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज की प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवांग एंग्मो को एशिया पैसिफिक ग्लूकोमा सोसायटी की ओर से एपीएसजी यंग इन्वेस्टिगेटर अवॉर्ड 2024 से सम्मानित किया गया है. यह अवॉर्ड डॉ. देवांग को आंखों को अंधा बना देने वाली बीमारी ग्लूकोमा को लेकर पिछले 14 साल से की जा रहीं मल्टीपल सर्जिकल रिसर्च के लिए दिया गया है.
बता दें कि एम्स का आरपी सेंटर देश के सबसे अच्छे आंखों के अस्पताल कम रिसर्च सेंटर में से एक है जहां मरीजों के इलाज के साथ-साथ बीमारियों और उनके इलाज पर रिसर्च और स्टडीज लगातार जारी रहते हैं.
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इस सम्मान को हासिल करने वाली डॉ. देवांग jharkhabar.comhindi से बातचीत में बताती हैं कि भारत में ग्लूकोमा पर सर्जिकल रिसर्च और मेडिकल मैनेजमेंट में रिसर्च लगातार हो रहे हैं. भारत में सबसे कॉमन काला मोतिया एंगल क्लोजर ग्लूकोमा है. ग्लूकोमा के इलाज में काम आ रही नई तकनीक और नई-नई मशीनों पर किए गए सर्जिकल रिसर्च में ग्लूकोमा के अन्य कारणों का भी पता चल रहा है, जबकि कुछ साल पहले तक सिर्फ किताबों में लिखे कारणों को ही मान लिया जाता था.
इन रिसर्च का फायदा ये हुआ है कि अब अलग-अलग कारणों से ग्लूकोमा के शिकार हुए मरीजों में अलग-अलग सर्जरी करने का रास्ता मिल गया है. यही वजह है कि अब ग्लूकोमा का बेहतर इलाज मिल पा रहा है. डॉ. कहती हैं कि मेडिकेशन, लेजर और सर्जरी को लेकर हो रहीं रिसर्च मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होने जा रही हैं.
पुरस्कार से सम्मानित होने पर डॉ. देवांग कहती हैं, ‘2010 से मैं ग्लूकोमा यानि काला मोतिया पर रिसर्च कर रही हूं. ये अभी तक की गईं रिसर्च को लेकर दिया गया है. इतना ही नहीं ग्लूकोमा को लेकर की जा रही जागरुकता भी इसमें शामिल है. लोगों को इस बीमारी से बचने और सही समय पर इलाज लेने के लिए प्रेरित करना भी इसमें शामिल हैं. ग्लूकोमा एक इरिवर्सिवल ब्लाइंडनेस वाली बीमारी है. अगर यह एक बार बीमारी हो जाए तो इससे होने वाले नुकसान को ठीक करना असंभव है लेकिन दवाओं के माध्यम से आने वाले समय में होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है. सफेद मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद रोशनी वापस आ जाती है लेकिन काला मोतिया में ऐसा संभव नहीं हो पाता. यही वजह है कि भारत ही नहीं पूरी दुनिया में यह अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है.’
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Tags: Aiims delhi, Delhi newsFIRST PUBLISHED : June 13, 2024, 21:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed