Opinion: पीएम मोदी के पंच प्रण ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे
Opinion: पीएम मोदी के पंच प्रण ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे
Opinion: भारत लोकतंत्र की जननी है. भारत की विविधता ही भारत की सबसे बड़ी शक्ति है. हमें अपनी विविधता को सबसे बड़ी ताकत बनाते हुए देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए जी-जान से जुटना होगा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की अंतिम छोर पर बैठे हुए व्यक्ति को समर्थ बनाने की जो आकांक्षा थी, आज वह मोदी जी के नेतृत्व में साकार हो रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है कि भारतीयों में भारतीयता की सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है. इसी सामूहिक चेतना के कारण भारत के विकसित राष्ट्र का संकल्प और मजबूत हो रहा है. आज जन कल्याण से जग कल्याण की राह पर चलने वाला भारत पहला राष्ट्र है. प्रधानमंत्री मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से सच ही कहा कि जब समूची दुनिया कोरोना के काल खंड में वैक्सिन लेना या न लेने उलझन में जी रही थी. उस समय भारत ने दो सौ करोड़ डोज का लक्ष्य हासिल करके दुनिया को चौंका देने वाला काम कर दिखाया है.
भारत विकसित राष्ट्र कैसे बनेगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले की प्राचीर से दिए गए भाषण में पूरी झलक दिखती है. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो रोडमैप मैप साझा किया, उसे धरातल पर उतारने की पहली जिम्मेदारी देश के युवाओं की है. कहते हैं कि जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है. दुनिया में जहां भी बदलाव हुए हैं, वहां तरुणाई ने हमेशा नेतृत्व किया है. भारत सर्वाधिक युवाओं वाला देश है. युवा ही इस देश की तस्वीर और तकदीर बदल सकते हैं.
यूएनडीपी के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के 121 करोड़ युवाओं में सर्वाधिक 21 प्रतिशत युवा भारत में हैं. दुनिया की कुल युवा आबादी के 57 प्रतिशत युवा सिर्फ 10 देशों में रहते हैं, जिनमें भारत का स्थान शीर्ष पर है. भारतीय जनता पार्टी का युवा सांसद और युवा मोर्चा का राष्ट्रीय महासचिव होने के नाते मैं समझता हूं कि देश के युवाओं के कंधों पर मोदी जी ने आजादी के अमृत काल में ऐतिहासिक जिम्मेदारी सौंपी है.
आज जब हम आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुके हैं जहां पिछले 75 साल में देश के संकल्पों को पूरा करने वाले सभी लोगों के योगदान का स्मरण करने का अवसर है, वहीं अमृत काल के आने वाले 25 वर्षों पर अपनी शक्ति और सामर्थ्य को केंद्रित भी करना है. तभी वर्ष 2047 में देश आजादी के सौ साल पूरा करने के अवसर पर एक शक्तिशाली और विकसित राष्ट्र का सपना साकार होगा. भारत लोकतंत्र की जननी है. भारत की विविधता ही भारत की सबसे बड़ी शक्ति है. हमें अपनी विविधता को सबसे बड़ी ताकत बनाते हुए देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए जी-जान से जुटना होगा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की अंतिम छोर पर बैठे हुए व्यक्ति को समर्थ बनाने की जो आकांक्षा थी, आज वह मोदी जी के नेतृत्व में साकार हो रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है कि भारतीयों में भारतीयता की सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है. इसी सामूहिक चेतना के कारण भारत के विकसित राष्ट्र का संकल्प और मजबूत हो रहा है. आज जन कल्याण से जग कल्याण की राह पर चलने वाला भारत पहला राष्ट्र है. प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से सच ही कहा कि जब समूची दुनिया कोरोना के काल खंड में वैक्सिन लेना या न लेने उलझन में जी रही थी. उस समय भारत ने दो सौ करोड़ डोज का लक्ष्य हासिल करके दुनिया को चौंका देने वाला काम कर दिखाया है. आज सचमुच विश्व भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा है. प्रधानमंत्री नरद्रें मोदी के कुशल नेतृत्व और त्वरित निर्णय शक्ति के कारण आज दुनिया के शक्तिशाली देश भी तमाम समस्याओं के समाधान के लिए भारत को मार्गदर्शक के तौर पर देखने लगे हैं. विश्व का यह बदलाव, विश्व की सोच में यह परिवर्तन 75 साल की हमारी अनुभव यात्रा का परिणाम है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका सिर्फ एक राजनेता तक सीमित नहीं है. मैं उन्हें प्रधान सेवक के साथ ही देश का पथ-प्रदर्शक और समाज सुधारक भी मानता हूं. पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने तमाम अभियानों के जरिए देश में समाज सुधार की क्रांति जगाई है. जब उन्होंने स्वच्छता अभियान शुरू किया तो जन-जन ने गंदगी के प्रति जंग छेड़ दी. प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से जो ‘‘पंच प्रण’’ देश के सामने रखे, उस पंच प्रण पर यदि जनता और जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्तियों ने ईमानदारी से अमल किया तो फिर दुनिया की कोई ताकत भारत को विकासशील से विकसित राष्ट्र बनने से नहीं रोक सकती. आने वाले 25 साल यानी अमृतकाल के लिए हमें पंच प्रण पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा है कि देश को विकसित बनाने के लिए बड़े संकल्प लेकर चलना होगा.
दूसरा प्रण है हमें अपने मन के भीतर, आदतों के भीतर गुलामी का कोई अंश बचने नहीं देना है. यह सच है कि जब हमारे अंदर गुलामी की भावना रहेगी तो हम हीनभावना से ग्रस्त रहेंगे. आज भी भारतीयों का एक वर्ग गुलामी की मानसिकता में जी रहा है. देश में एक ऐसा वर्ग है जो स्वदेशी प्रतीकों, संस्कारों और उपलब्धियों पर कटाक्ष करता रहता है. कोरोना काल में हम देख चुके हैं कि किस तरह से जब दुनिया में वैक्सीन को लेकर हायतौबा मची थी, तब भारत एक नहीं कई वैक्सीन बनाने में सफल रहा, लेकिन अपने ही देश में एक वर्ग ने स्वदेशी वैक्सीनों की गुणवत्ता पर सवाल उठाकर देश की जनता को भ्रमित करने की कोशिश की. गुलामी की मानसिकता वाले नागरिकों के दम पर कोई देश आगे नहीं बढ़ सकता. इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पंच प्रण में गुलामी के अंश से मुक्ति की भी बात कही. प्रधानमंत्री ने एकता और एकजुटता तथा नागरिक कर्तव्य को भी पंच प्रण में शामिल कर बताया है कि किसी विकसित राष्ट्र के लिए ये जरूरी तत्व हैं.
( डिसक्लेमर – लेखक, दार्जिलिंग से लोकसभा सांसद और भाजयुमो के राष्ट्रीय महासचिव हैं और ये उनके अपने विचार हैं.)
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Tags: Narendra modi, PM ModiFIRST PUBLISHED : August 17, 2022, 16:02 IST