Opinion: पंजाब सरकार के आंख मूंदे रहने से दिल्ली में बढ़ा है प्रदूषण राज्य में पराली जलने की घटनाएं बढ़ीं
Opinion: पंजाब सरकार के आंख मूंदे रहने से दिल्ली में बढ़ा है प्रदूषण राज्य में पराली जलने की घटनाएं बढ़ीं
दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वायु के बढ़े प्रदूषण का कारण पंजाब में जलायी जाने वाली पराली का तेजी से बढ़ना है. फिलहाल वायु की गुणवत्ता के गिरने पर ये पराली 18-20 फीसदी असर डाल रहा है लेकिन आसार हैं कि आने वाले दिनों में ये बढ़ता चला जाएगा.
पंजाब में खतरनाक तरीके से बढ़ती पराली की घटनाओं ने केन्द्र सरकार (Central Government) को एक बार फिर चिंता में डाल दिया दिया है. 24 अक्टूबर तक पंजाब में खेती के लायक सिर्फ 45-50 फीसदी जमीन पर ही फसलें रोपी जा सकीं हैं. चिंता का विषय ये है कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वायु के बढ़े प्रदूषण का कारण पंजाब में जलायी जाने वाली पराली का तेजी से बढ़ना है. फिलहाल वायु की गुणवत्ता के गिरने पर ये पराली 18-20 फीसदी असर डाल रहा है लेकिन आसार हैं कि आने वाले दिनों में ये बढ़ता चला जाएगा. इसरो के मुताबिक साल 2022 में 15 सितंबर से 28 अक्टूबर तक पराली की 10214 घटनाएं रिकार्ड हुईं जो पिछले साल इसी अंतराल में 7648 थीं. य़ानि इस साल पराली की घटनाओं में 33.5 फिसदी की वृद्धि आई है. सतर्क रहने वाली बात ये कि पंजाब में हुई 10214 पराली की घटनाओं में 7100 घटनाएं 21 से 28 अक्टूबर के यानि सिर्फ एक हफ्ते में सामने आयीं हैं. इसलिए पंजाब सरकार (Punjab Government) को पहली प्राथमिकता इन्हीं जिलों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में देना चाहिए था.
केन्द्र सरकार के सूत्रों का आरोप है कि पराली जलाने से रोकने में पंजाब सरकार की तरफ से गंभीर चूकें हुईं हैं. प्रशासन असफल रहा जिसके कारण दिल्ली एनसीआर की जनता को दूषित हवा में सांस लेना पड़ रहा है. पंजाब सरकार की निष्क्रियता से तो स्थितियां और बिगड़ती ही नजर आ रहीं हैं. जाहिर है दिल्ली एनसीआर की जनता को आने वाले दिनों में न सिर्फ सांस लेना दूभऱ होगा बल्कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ेंगी.
पंजाब सरकार ने पराली जलाने के हॉट स्पॉट्स पर कदम नहीं उठाए
मौजूदा खेती के मौसम में खेतों को जलाने की 71 फीसदी घटनाएं पंजाब के 7 जिलों में नजर आयीं हैं. ये 7 जिले हैं अमृतसर, संगरुर, फिरोजपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, पटियाला और तरण तारण जो पहले से ही पराली जलाने के मामले में सुर्खियां बटोरते रहे हैं. इसलिए पंजाब सरकार को इन पर विशेष ध्यान देना जरुरी था. दो महीने पहले ही पर्यावरण मंत्रालय ने पंजाब सरकार को सीएक्यूएम यानि केन्द्र के वायु की गुणवत्ता पर नजर रखने वाले विभाग के माध्यम से एक बृहत एक्शऩ प्लान भेजा था. इसके तहत पंजाब सरकार को कुछ कदम उठाने के निर्देश दिए गए थे. इसमें
*फसले का विविधिकरण करना, जल्दी पकने वाली फसलों का इस्तेमाल करना
*खेतों में ही बची हुई फसल का मैनेजमेंट करना
*जैविक डिकंपोजर लगवाना
*लगातार निगरानी रखना और निर्देशों का सख्ती से पालन करवाना
पंजाब सरकार ने टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में भी कोताही बरती
यहां तक की केन्द्र सरकार ने अपनी क्रॉप रेसिड्यू मैनेजमेंट स्कीम के तहत पिछले पांच सालों में पंजाब की सरकार को 1347 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. पंजाब की सरकार ने भी इस योजना के तहत पैडी स्टबल के मैनेजमेंट के लिए कई तरह की फार्म मशीनरियां खरीदी हैं. एक अनुमान के मुताबिक पंजाब सरकार के पास फिलहाल 1,20000 मशीनें उपलब्ध हैं. राज्य में 13,900 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं ताकि सरकार उनके माध्यम से ये मशीनें उपलब्ध करा दे. लेकिन मुश्किल ये है कि जो भी मशीनरी उपलब्ध है उसका इस्तेमाल बहुत कम या फिर नहीं के बराबर हुआ है. इस कारण मशीनें बेकार पड़ी रह जा रही हैं जो कि पंजाब सरकार के खजाने पर एक बड़ी चपत भी लगा रहा है. यूपी और दिल्ली एनसीआर ने पराली मैनेजमेंट में बायो डिकंपोजर के सफल इस्तेमाल कर साबित कर दिया है कि पंजाब में स्टबल मैनेजमेंट में किसी भी तकनीकी के इस्तेमाल की कोई कोशिश नहीं की है.
हरियणा और यूपी में पराली की घटनाओं में कमी
ऐसी ही परिस्थितियों में पंजाब का पड़ोसी राज्य हरियाणा में इस साल 2022 में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से कमी आयी है. 15 सितंबर से 28 अक्टूबर 2022 के बीच हरियाणा में 1701 पराली जलाने की घटनाएं समाने आयीं जबकि पिछले साल इसी अवधि में ये घटनाएं 2252 हुईं थीं. यानि पिछले साल के मुकाबले हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 24.5 फीसदी की कमी आयी है. उत्तर फ्रदेश के एनसीआर इलाकों में भी पराली जनाने की 43 घटनाएं रिकार्ड हुईं थी और इस साल ये घट कर 30 तक जा पहुंची हैं. यानि केन्द्र सरकार की मुहिम और अपनी कोशिशों से इन राज्यों में बहुत कुछ सीखा है.
पंजाब में जमीनी स्तर पर कोशिशें कम हुईं
पिछले साल ही एक जबरदस्त प्रचार अभियान चला कर बायो डिकंपोजर के इस्तेमाल को बढ़ाने की मुहिम चलायी गयी थी. यहां तक की निजी संस्थाओं ने भी सीएसआर के तहत बायो डिकंपोजर के इस्तेमाल पर अभियान चलाना चाहा था लेकिन पंजाब सरकार ने उन्हें कोई प्रोत्साहन नहीं दिया. न ही पंजाब सरकार ने खेतों में बची फसल को चारे के रुप में उन इलाकों में भेजने की कोशिश की जहां चारे की कमी है. पंजाब सरकार द्वारा चलाये गए अभियान असफल रहे ये इसी बात से साबित हो जाता है कि पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ती चली गयीं हैं. जमीनी स्तर पर निगरानी का काम हो या फिर 8000 से ज्यादा नोडल अधिकारी लगाकर पराली रोकने की मुहिम सफल बनाने की कोशिश, पंजाब सरकार पराली जलाने की घटनाओं को कम करने तक में असफल रही है.
केन्द्र सरकार पिछले साल से ही पंजाब सरकार के साथ लगातार चर्चा करती रही
फऱवरी 2022 से केन्द्र सरकार लगातार पंजाब सरकार से संपर्क में रही. यानि धान की बुआई का सीजन शुरु होने से पहले से ही केन्द्र सरकार पंजाब राज्य के प्रशासन को तैयार करता रहा कि पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रण में लिया जा सके. पंजाब सरकार के विभिन्न विभागों और शीर्ष अधिकारियों के साथ केन्द्र लगातार बैठकें करता रहा ताकि जमीन पर काम हो. केन्द्रीय कृषि मंत्री, पर्यावरण मंत्री, पंजाब सरकार के मंत्रियों की बैठकें भी हुईं ताकि पराली को लेकर काम में तेजी आए. चर्चा इस बात पर भी हुई कि गांव के स्तर पर भी क्रॉप रेसिड्यू मैनेजमेंट का पूरा इस्तेमाल हो, मशीनों की तेजी से खरीद भी हो, जिन सेंटरों पर मशीनें उपलब्ध हो वहां की मैपिंग हो जाए, पराली जलाने के खिलाफ जबरदस्त अभियान चले और साथ ही प्रशासन सतर्कता के साथ निगरानी करे और सख्ती से इसका पालन कराया जाए तभी सफलता हाथ लगेगी.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए up24x7news.comHindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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Tags: Central government, Punjab GovernmentFIRST PUBLISHED : November 01, 2022, 17:01 IST