Opinion: ब्रिक्स सम्मेलन में कई मोर्चों पर कामयाब रहे PM नरेंद्र मोदी
Opinion: ब्रिक्स सम्मेलन में कई मोर्चों पर कामयाब रहे PM नरेंद्र मोदी
BRICS Summit: रूस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भारत को कई मोर्चों पर कामयाबी मिली है. चीन के साथ एलएसी पर हुए गश्त समझौत के दो दिन बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले. कजान ब्रिक्स सम्मेलन भारत और चीन के बीच तनाव कम करने के लिए सार्थक और सकारात्मक पुल साबित तो हुआ है, लेकिन हमें यहां से निर्णायक बिंदुओं तक पहुंचने की द्विपक्षीय और सामूहिक कोशिशें शुरू करनी चाहिए.
रूस के कजान शहर में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भारत को कई मोर्चों पर कामयाबी मिली है. गत 22 अक्टूबर को चीन के साथ एलएसी पर हुए गश्त समझौत के दो दिन बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान रूस के कजान शहर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले, तो दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की नई राह खुलती साफ नजर आई. हालांकि अतीत के घटनाक्रमों को देखते हुए चीन पर आंखें बंद कर भरोसा करना सही नहीं हो सकता, लेकिन 22 अक्टूबर को ही सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने यह कह कर आश्वस्त कर दिया है कि चीन के साथ समझौते के बावजूद भारत हर तरह से सतर्क है. भारत बहुत बार कह चुका है और बात सौ आने सही भी है कि अब भारत 1962 वाला देश नहीं, बल्कि दुनिया के शक्ति संतुलन की सबसे अहम धुरियों में से एक है. भारत अब बहुत सी युद्धक सामग्री दुनिया के 90 से ज्यादा देशों को एक्सपोर्ट करता है.
कजान ब्रिक्स सम्मेलन भारत और चीन के बीच तनाव कम करने के लिए सार्थक और सकारात्मक पुल साबित तो हुआ है, लेकिन हमें यहां से निर्णायक बिंदुओं तक पहुंचने की द्विपक्षीय और सामूहिक कोशिशें शुरू करनी चाहिए. एलएसी पर लंबे वक्त तक शांति तो कायम रहनी ही चाहिए, लेकिन चीन के साथ लगे पूरे बॉर्डर को अंतरराष्ट्रीय सीमा घोषित करने की दिशा में अब हमें पहलकदमी करनी ही होगी. साथ ही अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन और डोकलाम समेत सभी सीमाई मुद्दों के स्थाई समाधान की ओर बढ़ना होगा. पांच साल बाद कजान में नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच करीब 50 मिनट तक द्विपक्षीय बातचीत हुई. मोदी ने साफ-साफ कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों की प्राथमिकता होनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने सीमा पर गश्त से जुड़े समझौते का स्वागत किया, तो द्विपक्षीय वार्ता के बाद चीन ने जिनपिंग का बयान जारी किया कि चीन और भारत को एक-दूसरे के प्रति अच्छी धारणा रखनी चाहिए. पड़ोसी होने के नाते सद्भाव से रहने के लिए सही रास्ता तलाश करने के लिए मिल कर काम करना जरूरी है.
कई अंतरराष्ट्रीय मंचों की तरह ही कजान ब्रिक्स सम्मेलन भी ऐसा वैश्विक मंच साबित हुआ, जिसमें भारत की बढ़ती कूटनैतिक ताकत साफ नजर आई. कजान घोषणा पत्र में आतंकवाद को साझा खतरा बताया गया. सदस्य देशों ने आतंक को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाने का संकल्प लिया. ब्रिक्स देशों ने ब्रेटन वुड्स संस्थानों यानी वर्ल्ड बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया. साथ ही ब्रिक्स देश आपसी व्यापार बढ़ाने और अपनी मुद्राओं में व्यापारिक लेन-देन करने पर भी सहमत हुए. ब्रिक्स देश अगर इस दिशा में निर्णायक तौर पर आगे बढ़ते हैं, तो डॉलर की दादागिरी खत्म हो सकती है. अमेरिका के फैडरल रिजर्व बैंक के मुताबिक साल 1999 से 2019 के बीच अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की हिस्सेदारी 96 प्रतिशत थी. एशिया प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर का इस्तेमाल 74 फीसदी और बाकी क्षेत्रों में 79 प्रतिशत थी. लेकिन अब अगर ब्रिक्स देश अपनी-अपनी मुद्रा में आपसी व्यापार करना शुरू करते हैं, तो डॉलर की वैश्विक साख को बट्टा लग सकता है.
इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यूक्रेन के साथ उनके संघर्ष के जल्द और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए. भारत इसके लिए हरसंभव मदद को तैयार है. उन्होंने कहा कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच शांति और स्थिरता की जल्द बहाली के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन महीने में यह दूसरी रूस यात्रा है. इससे पहले अपने रूस दौरे के दौरान नौ जुलाई, 2024 को मोदी ने पुतिन से कहा था कि यूक्रेन के साथ विवाद का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है. रक्तपात से किसी भी समस्या का हल नहीं निकल सकता. जुलाई के रूस दौरे के बाद नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन का दौरा किया था. उस मौके पर भी उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बातचीत में कहा था कि उन्हें और रूस को बिना समय गंवाए बातचीत की मेज पर आना चाहिए.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य के बाद अपने बयान में पुतिन ने कहा कि उनके बीच बातचीत के लिए उन्हें अनुवादक की जरूरत नहीं है. मतलब साफ है कि मोदी के साथ पुतिन ने अपने प्रगाढ़ रिश्तों की बात स्वीकार की. एक तरह से उन्होंने कहा कि दोनों के बीच सिर्फ सियासी या कूटनैतिक नहीं, दिलों के रिश्ते हैं, दोनों एक-दूसरे के भाव अच्छी तरह समझते हैं. ब्रिक्स सम्मेलन में बात रखते हुए भी पुतिन ने भारत की तारीफ की. उन्होंने भारत की आर्थिक तरक्की का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में भारत कई ब्रिक्स देशों के लिए उदाहरण है. उन्होंने सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद भी दिया. उन्होंने कहा कि हममें से कई के लिए 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर उदाहरण है. साफ है कि ब्रिक्स सम्मेलन में भारत को कई महत्वपूर्ण मोर्चों पर कामयाबी हासिल हुई है. भारत की कामयाबी का सफर इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा.
Tags: BRICS Summit, Doklam controversy, Pm narendra modi, Xi jinpingFIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 17:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed