एशिया में सिर्फ 2 ही हैं ऐसे मंदिर सैकड़ों साल है पुराना जानिए मान्यता

आजमगढ़ के मुख्य चौक पर स्थित यह दक्षिण मुखी मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में हरदम श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. बताया जाता है कि वर्तमान में जहां पर मंदिर स्थित है, वहां पर लगभग 400 वर्ष पहले जंगल और झाड़ियां हुआ करती थी.

एशिया में सिर्फ 2 ही हैं ऐसे मंदिर सैकड़ों साल है पुराना जानिए मान्यता
आजमगढ़ : आजमगढ़ में एक ऐसा मंदिर है, जहां से भक्त कभी खाली हाथ लौट के वापस नहीं जाता. यहां मांगी गई भक्तों की सारी मुराद अवश्य पूरी होती है. आजमगढ़ में स्थित यह कोई आम मंदिर नहीं है, बल्कि एशिया का दूसरा दक्षिण मुखी माता का मंदिर है. आजमगढ़ के अलावा दक्षिण मुखी माता का मंदिर केवल कोलकाता में स्थित है. विन्ध्याचल व वैष्णोंधाम जाने वाले भक्त भी यहां मां के दर पर मत्था टेक आगे की यात्रा शुरू करते हैं. यह मंदिर अपनी विशेष मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध है. 200 साल पुराना है यह मंदिर आजमगढ़ के मुख्य चौक पर स्थित यह दक्षिण मुखी मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में हरदम श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. बताया जाता है कि वर्तमान में जहां पर मंदिर स्थित है, वहां पर लगभग 400 वर्ष पहले जंगल और झाड़ियां हुआ करती थी. वर्तमान जगह से लगभग 500 मीटर की दूरी पर आज भी तमसा नदी का तट स्थित है. त्रेता युग में वन गमन के समय रामघाट पर भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने  साथ विश्राम किया था. भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग आज भी रामघाट पर स्थित है. चार सौ वर्ष पूर्व जब मंदिर के स्थान पर मात्र जंगल था और तमसा नदी करीब से बहती थी, तो यहां बालू का टीला हुआ करता था. स्वयं प्रकट हुई है माता की मूर्ति इस स्थान पर निजामाबाद के भैरव जी तिवारी ने तप करते हुए उस बालू के टीले को हटाकर समतल बनाने की कोशिश की थी. इस दौरान उन्हें उस स्थान पर काले पत्थर वाली माता रानी का यह रूप दिखाई पड़ा. उनका मुख दक्षिण होने के कारण वह दक्षिण मुखी माता के रूप में वहां पर विराजमान हुईं. देवी जी की प्रतिमा मिलते ही वहां हजारों श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए जुट गये और तब से आज तक उस स्थान पर हर दिन पूजा पाठ होता है. आजमगढ़ के अलावा दक्षिण मुखी माता का मंदिर केवल कोलकाता में स्थित है जिसे दक्षिणेश्वरी माता के नाम से जाना जाता है. मंदिर के पुजारी उदित नारायण तिवारी का कहना है कि एशिया में मात्र दो दक्षिण मुखी देवी मंदिर हैं. मां के दरबार से आज तक कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटा है. यही वजह है कि साल के बारह महीने यहां भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचते रहते हैं. हर साल नवरात्रि के महीने में इस मंदिर परिसर में मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारी मात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. लोग मंदिर की विशेष मान्यताओं के कारण दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं. Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 09:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed