चंपत राय का नया दावा- राम मंदिर में नहीं गिरा 1 बूंद बारिश का पानी!
चंपत राय का नया दावा- राम मंदिर में नहीं गिरा 1 बूंद बारिश का पानी!
दरअसल श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के की खबर अपवाह है गर्भ ग्रह में एक बूंद भी पानी नहीं आया है उन्होंने पॉइंट वाइज कुछ तथ्य भी राम भक्तों के बीच साझा की है. जिसमें उन्होंने इस प्रकार का उल्लेख किया है.
अयोध्या: मानसून से पहले बारिश ने धर्मनगरी अयोध्या में बवाल खड़ा कर दिया है. सीजन की पहली बारिश के बाद रहे राम मंदिर पूरे देश दुनिया में चर्चा का विषय बना दिया है. बीते दिनों बारिश के बाद राम मंदिर के मुख्य पुजारी ने निर्माण कार्य कराने वाली संस्था पर सवाल खड़ा किया था वहीं राम मंदिर में पानी टपकने के आरोपों पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की तरफ से बयान जारी किया गया है. महासचिव चंपत राय ने कहा है कि गर्भगृह में जहां भगवान रामलला विराजमान है, वहां एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है. राय के नए दावों से मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के दावे खारिज होते दिख रहे हैं.
गौरतलब है कि राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने आरोप लगाया था कि शनिवार आधी रात को हुई बारिश के कारण गर्भगृह में मंदिर की छत से तेजी से पानी टपक रहा था और रविवार सुबह फर्श पर पानी भरा हुआ था. दास ने कहा कि काफी मशक्कत के बाद मंदिर परिसर से पानी निकाला गया.
मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के आरोपों के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के की खबर अपवाह है गर्भगृह में एक बूंद भी पानी नहीं आया है. उन्होंने पॉइंट वाइज कुछ तथ्य भी राम भक्तों के बीच साझा की है. जिसमें उन्होंने इस प्रकार का उल्लेख किया है.
⦁ गर्भगृह में जहां भगवान रामलला विराजमान है, वहां एक भी बूंद पानी छत से नही टपका है और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है.
⦁ गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है , इसे गूढ़मण्डप कहा जाता है. वहां मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात लगभग 60 फीट ऊं चा घुम्मट जुड़ेगा और मंडप की छत बंद हो जाएगी. इस मंडप का क्षेत्र 35 फीट व्यास का है, जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराए जा रहे हैं. द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है.
⦁ रंग मंडप एवं गुढ़ मंडप के बीच दोनों तरफ( उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) उपरी तलो पर जाने की सीढि़यां है, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढंकेगी. वह कार्य भी प्रगति पर है.
⦁ सामान्य तौर पर पत्थरों से निर्मित मंदिर में बिजली के जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है. ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपाईं जाती है.
⦁ प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है अतः सभी जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश करा वही पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा. ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था की छत से पानी टपक रहा है. जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था.
⦁ मंदिर और परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीक़े से उत्तम प्रबंध किया गया है. जिसका कार्य भी प्रगति पर है. मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी. मंदिर परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है. परिसर मे बरसात के पानी को अन्दर ही पूर्ण रूप से रखने के लिये रिचार्ज पिट का भी निर्माण कराया जा रहा है.
⦁ मंदिर और परकोटा निर्माण कार्य तथा मंदिर परिसर का निर्माण और विकास कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L & T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी श्री चन्द्रकान्त सोमपुराजी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है.
⦁ उत्तर भारत में (लोहा का उपयोग किए बिना ) केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य ( उत्तर भारतीय नागर शैली में ) प्रथम बार हो रहा है . देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं , भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है. जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा है.
⦁ प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग 1 लाख से एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं .किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घंटा दर्शन के लिए प्रवेश , पैदल चलकर दर्शन करना , बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है ,मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है. मोबाइल का प्रयोग दर्शन में बाधक है , सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है.
Tags: Ayodhya News, Ayodhya ram mandir, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 18:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed