MBBS सिलेबस में बड़ा बदलाव अब मेडिकल कॉलेज में पढ़ाएंगे डॉक्टरी का नया पाठ
MBBS सिलेबस में बड़ा बदलाव अब मेडिकल कॉलेज में पढ़ाएंगे डॉक्टरी का नया पाठ
MBBS Syllabus Changed: भारत में मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में बदलाव होते रहते हैं. हाल ही में एमबीबीएस सिलेबस के लिए नई सीबीएमई गाइडलाइंस जारी की हैं. मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी का कोर्स करने वालों के लिए यह बड़ा अपडेट है. अब देशभर के सभी मेडिकल कॉलेज में नए सिलेबस के हिसाब से पढ़ाई होगी.
नई दिल्ली (MBBS Syllabus Changed). 5.5 साल के एमबीबीएस कोर्स का सिलेबस बदल दिया गया है. जो स्टूडेंट्स इस साल नीट यूजी परीक्षा पास करके मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेंगे, उन्हें नए सिलेबस के हिसाब से एमबीबीएस की पढ़ाई करनी होगी (Medical College Admission). देशभर में मेडिकल एजुकेशन के पैटर्न में बड़ा बदलाव किया गया है. एमबीबीएस के नए सिलेबस के हिसाब से ही डॉक्टरों की नई पीढ़ी को तैयार किया जाएगा.
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) एमबीबीएस सिलेबस में कॉम्पिटेंसी-बेस्ड मेडिकल एजुकेशन (CBME) पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी में है. एमबीबीएस सिलेबस में बदलाव की गाइडलाइंस भी जारी कर दी गई हैं. देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में सीबीएमई गाइडलाइंस के हिसाब से ही एमबीबीएस की पढ़ाई होगी. हर मेडिकल संस्थान को सख्ती के साथ उनका पालन करना होगा. बता दें कि नए सिलेबस को 2024-25 के एमबीबीएस बैच से ही लागू किया जा रहा है.
MBBS Syllabus Explained: एमबीबीएस सिलेबस में सीबीएमई क्या है?
सीबीएमई का फुल फॉर्म है कॉम्पिटेंसी बेस्ड मेडिकल एजुकेशन है (CBME). एमबीबीएस सिलेबस में बदलाव से डॉक्टर्स को प्राइमरी हेल्थ सर्विस देने के लिए तैयार किया जाएगा. उसके लिए जरूरी नॉलेज, स्किल और विजन पर फोकस किया जाएगा. थ्योरेटिकल नॉलेज पर जोर देने वाले पुराने सिलेबस से अलग, सीबीएमई करिकुलम प्रैक्टिकल कंपीटेंसी और रियल वर्ल्ड एप्लिकेशंस पर बेस्ड है. इससे मेडिकल स्टूडेंट्स हर तरह की मेडिकल कंडीशन का प्रभावी ढंग से निदान, उपचार और प्रबंधन कर पाएंगे.
1- आउटकम बेस्ड लर्निंग
एमबीबीएस न्यू सिलेबस ब्रॉड कंपीटेंसी से हटकर, डिटेल्ड और पेज स्पेसिफिक सब्जेक्ट कंपीटेंसी पर फोकस करेगा. यह मेडिकल स्टूडेंट को न सिर्फ थ्योरेटिकल फैक्ट्स से परिचित करवाएगा, बल्कि प्रैक्टिकल लाइफ में उन्हें लागू करना भी सिखाएगा. इससे मेडिकल ग्रेजुएट एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद प्रैक्टिस के पहले दिन से ही वास्तविक जीवन की स्थितियों को संभालने के लिए तैयार रहेंगे.
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2- इंटीग्रेटेड अप्रोच
मेडिकल विषयों को वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल, दोनों तरह से जोड़कर आगे बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. हॉरिजॉन्टल इंटिग्रेशन का मतलब है, एक फेज में विभिन्न विषयों के टॉपिक्स को अलाइन करना. वहीं, वर्टिकल इंटिग्रेशन विभिन्न चरणों में विषयों को जोड़ता है. यह दृष्टिकोण स्टूडेंट्स को अलग-अलग मेडिकल सब्जेक्ट्स के इंटर-कनेक्शन को समझने में मदद करेगा. इससे नॉलेज का एप्लिकेशन सीख सकते हैं.
3- एथिक्स एंड कम्युनिकेशन
एनएमसी की नई गाइडलाइन नैतिक मूल्यों, कम्युनिकेशन स्किल और प्रोफेशनलिज्म पर जोर देती है. AETCOM (एटिट्यूड, एथिक्स और कम्युनिकेशन) नाम का नया मॉड्यूल पेश किया गया है. यह फ्यूचर डॉक्टर्स के लिए काफी काम का साबित होगा. इस मॉड्यूल के जरिए डॉक्टर्स में उन स्किल्स को डेवलप किया जाएगा, जो मरीजों की देखभाल के लिए जरूरी हैं.
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4- लर्नर सेंट्रिक एजुकेशन
नया एमबीबीएस सिलेबस ज्यादा सीखने वाले स्टूडेंट्स और पेशेंट्स पर फोकस्ड है. यह मेडिकल स्टूडेंट्स में ज्यादा एक्टिव पार्टिसिपेशन और सेल्फ डायरेक्टेड लर्निंग को प्रमोट करता है. इसमें इंटरैक्टिव टीचिंग मेथड्स को प्राथमिकता दी गई है, जैसे- प्रॉब्लम बेस्ड लर्निंग, केस स्टडी और कम्युनिटी-बेस्ड लर्निंग. यह फ्यूचर डॉक्टर्स की प्रैक्टिकल लाइफ में काफी मदद करेगा. 5- प्रैक्टिकल स्किल्स पर पूरा फोकस एमबीबीएस सिलेबस को प्रैक्टिकल स्किल्स और प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस डेवलप करने के हिसाब से तैयार किया गया है. स्टूडेंट्स को जरूरी मेडिकल प्रोसीजर करना, इमरजेंसी मैनेज करना, मरीज की देखभाल करना सिखाया जाएगा. ट्रेनिंग में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डॉक्टर लोगों के बीच फर्स्ट कॉन्टैक्ट फिजिशियन की तरह काम कर सकें.
Tags: Government Medical College, MBBS student, Medical EducationFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 07:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed