वुमनिया बैंडः महिलाओं के लिए आवाज़ बुलंद करने वाले उत्तराखंड के इस बैंड की कहानी

स्वाति ने साल 2016 में नौकरी छोड़कर बनाया ‘वुमनिया बैंड’. इस बैंड में सभी महिलाऐं हैं. यह महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर गाने रिलीज़ करता है. साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए देश भर में कई लाइव शो भी कर चुका है.

वुमनिया बैंडः महिलाओं के लिए आवाज़ बुलंद करने वाले उत्तराखंड के इस बैंड की कहानी
“स्त्री कुछ भी कर सकती है.” यह लाइन आपने जरूर सुनी होगी, लेकिन आज से कुछ दशक पहले तक समाज की रूढ़िवादी सोच ने स्त्री को कुछ करने की आज़ादी ही नहीं दी थी.  भारत की सबसे ज्यादा आबादी गांवों में बसती है. शहरों में तो महिलाओं को काफी प्रोत्साहन मिलता है, लेकिन गांवों में अब भी स्थिति उतनी बेहतर नहीं है. देहरादून की कुछ लड़कियां आगे बढ़ती हैं और अपनी सुरीली आवाज़ से जागरुकता के संदेश को बुलंद कर रही हैं. ये कहानी है ‘वुमनिया बैंड’ की. इनकी सुरीली आवाज़ उत्तराखंड से निकल कर पूरे देश में गूंज रही है. महिला सशक्तिकरण को मजबूत करने और महिलाओं को जागरूक करने वाले गीतों के जरिए यह बैंड अपना परचम लहरा रहा है. ‘वुमनिया बैंड’ की शुरूआत से लेकर उनके बैंड बनने की कहानी जानने के लिए न्यूज़ 18 ने इस गर्ल गैंग से की विशेष बात की. स्वाति ने नौकरी छोड़कर ‘वुमनिया बैंड’ की शुरुआत की. 2016 में नौकरी छोड़कर की शुरूआत ‘वुमनिया बैंड’ की शुरुआत के बारे में इसकी फाउंडर स्वाति बताती हैं कि उन्होंने साल 2016 में ‘वुमनिया बैंड’ की शुरुआत की. इस बैंड की शुरुआत से पहले स्वाति मार्केटिंग की नौकरी करती थीं. लेकिन बचपन से ही उन्हें म्यूजिक का बहुत शौक था. जिसके चलते उन्होंने 8 मार्च 2016 को अपनी मार्केटिंग की नौकरी छोड़ दी. उसके बाद उन्होंने म्यूजिक इंस्टिट्यूट की शुरुआत की. इस बैंड में उनके साथ श्रीविद्या कोटनाला, शाकुम्बरी कोटनाला और विजुल चौधरी को भी शामिल किया. वह बताती हैं कि यह सारे साथी उन्हें उनके म्यूजिक इंस्टिट्यूट में ही आकर मिले हैं. स्वाति के बचपन का सपना था कि उनका अपना बैंड हो जिसे पूरा करने के लिए वह सरकारी स्कूल में काम करती रहीं. साथ ही कुछ समय बाद मार्केटिंग के अच्छी जॉब भी की,  लेकिन बैंड का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने इन सब को त्याग दिया और अपना बैंड बना लिया. 16 साल की लड़की ने लिखा ऐसा गाना स्वाति कहती हैं कि एक आर्टिस्ट बेहद संवेदनशील होता है. समाज में घट रही घटनाओं से काफी प्रभावित होता है. आर्टिस्ट अपनी कला के जरिए ही अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है. इसी तरह एक समय हम सभी समाज में महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों को देख रहे थे. अखबारों में आए दिन महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के बारे में सोचकर काफी परेशान थे. उसी दौरान मेरी बड़ी बहन की बेटी जिसकी उम्र लगभग 16 साल के आसपास है. उसने एक गाना लिखा ‘ऐ खुदा तू गुम है कहां’.  सिर्फ 12वीं क्लास में पढ़ने वाली उस लड़की के ज़हन में इस तरह के ख्याल आने का कारण देश में हो रही घटनाएं थी. उसके बाद हमने यह गाना ‘ऐ खुदा तू गुम है कहां’ रिलीज किया. इसके साथ ही हमने महिलाओं के दहेज प्रताड़ना, रेप, महिला सशक्तिकरण आदि के मुद्दों पर समय-समय पर अपने गाने और शो रिलीज किए हैं. शुरुआत में किए फ्री शो ‘क्लासिकल फ्यूज़न’ और ‘सूफी फ्यूज़न’ उनके बैंड की विशेषता है. लेकिन देश के स्तर पर इतने सारे शो करने की शुरुआत में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. बैंड को चलाने के लिए 6 महीने मुफ्त में शो करने थे. लेकिन उनका जोश और जुनून कभी कम नहीं हुआ. उन्होंने यह भी कर दिखाया. फिर धीरे-धीरे उनके बैंड की लोकप्रियता बढ़ती गई. जिसकी वजह से आज ‘वुमनिया बैंड’ एक जाना माना नाम हो गया है. इस बैंड के सदस्यों में मां-बेटी की भी एक जोड़ी है. शाकुम्बरी कोटनाला और उनकी बेटी श्रीविद्या कोटनाला हैं. श्रीविद्या जो बैंड की लीड ड्रमर हैं. जिनको म्यूजिक ट्रेनिंग खुद स्वाति सिंह ने दी है. श्रीविद्या ने म्यूजिक सीखने की शुरुआत 8 साल की उम्र में कर दी थी. ये बैंड महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर गाने रिलीज़ करता है. ‘वुमनिया बैंड’ की गूंज पूरे देश में ‘वुमनिया बैंड’ ने अब तक कई प्रस्तुतियां दी हैं. साथ ही वे यूट्यूब पर भी अपने गानों को रिलीज करती हैं. इस बैंड ने कई सारे लाइव शो किए हुए हैं. जिसके चलते सोशल मीडिया पर इनके लाखों फैन हैं. हर कोई  ‘वुमनिया बैंड’ को लाइव सुनना चाहता है. ‘वुमनिया बैंड’ ने महिलाओं की आवाज को बुलंद करने के लिए महिला सशक्तिकरण के कई गाने रिलीज किए हैं. म्यूजिक के क्षेत्र में महिलाओं का बैंड होना अपने आप में एक अनोखी बात है. क्योंकि आज भी देश में महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं मिला है. स्वाति कहती हैं कि आज भी कहीं कोई घटना घटने पर महिलाओं को पहले जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है. जब तक हम इस तरह की मानसिकता से आज़ाद नहीं होंगे महिलाओं के साथ अपराधों पर रोक नहीं लग सकेगी. लोगों को महिला सशक्तिकरण का संदेश स्वाति का कहना है कि आज भी समाज में महिलाएं असुरक्षित हैं. जहां आए दिन अखबारों में आने वाली खबरों में महिलाओं के साथ ही सबसे ज्यादा अपराधों की खबरें पढ़ने को मिलती हैं. यदि हम इन अपराधों को कम करना चाहते हैं या जड़ से खत्म करना चाहते हैं. तो इसकी शुरुआत हमें अपने घर-परिवार से ही करनी चाहिए, साथ ही अपने आने वाली पीढ़ी को इस तरह शिक्षित करना चाहिए जिससे कि समानता की भावना आगे बढ़े. चाहे कोई भी क्षेत्र हो महिलाओं ने वहां अपनी भागीदारी दिखाई है. लेकिन महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए हमें जागरूक होने की जरूरत है. समाज को इस हद तक बेहतर बनाने की जरूरत है. जिसमें की महिलाऐं सम्मान और समानता के साथ जी सकें. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: up24x7news.com Hindi OriginalsFIRST PUBLISHED : September 08, 2022, 10:26 IST