‘स्पाइस गर्ल ऑफ इंडिया’ मसाले बनाने का काम शुरू कीं अब दुनियाभर से आते हैं ग्राहक
‘स्पाइस गर्ल ऑफ इंडिया’ मसाले बनाने का काम शुरू कीं अब दुनियाभर से आते हैं ग्राहक
पिता ने सड़क किनारे मसाले बेचने से की थी शुरुआत... आज जोधपुर में हैं कई दुकानें. विदेशी ग्राहकों के लिए तैयार किए जाते हैं खास मसाले, साथ ही सिखाया जाता है हिंदुस्तानी खाना बनाना.
राजस्थान के जोधपुर के क्लॉक टावर के पास एक बहुत ही आम सी दिखने वाली मोहनलाल की मसालों की दुकान है. अब आप सोच रहे होंगे कि अगर यह दुकान इतनी ही आम है तो हम इसके बारे में जिक्र क्यों कर रहे हैं? क्योंकि यह दुकान भले ही आम सी दिखती हो लेकिन इसे चलाने वाली महिलाएं बिल्कुल भी आम नहीं हैं. यह वे महिलाएं हैं जिन्हें आज ‘ स्पाइस गर्ल ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है.
न्यूज़ 18 ने बातचीत की मोहनलाल की बेटियों से और जाना उनकी संघर्ष से लिखी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से.
मोहनलाल की तीसरी बेटी नीलम बताती हैं कि उनके पिता मोहनलाल वेर्होमल ने 1981 में मसाले बेचने की शुरुआत सड़क किनारे एक ठेले से की थी.
जोधपुर शहर अपने पर्यटन के लिए जाना जाता है और यहां की अर्थव्यवस्था भी ज्यादातर पर्यटन पर आश्रित है. मोहनलाल ने विदेशी पर्यटकों को भारतीय स्वाद और संस्कृति से परिचित कराने के लिए मसाले बेचने की शुरुआत की थी. वह बताती हैं कि उनके पिता आर्थिक रूप से मजबूत परिवार से नहीं आते थे. इसलिए वह कभी अपनी इच्छा के मुताबिक पढ़ लिख नहीं पाए. पर उनकी दिली इच्छा थी कि वह अंग्रेजी सीखें ताकि वह विदेशी पर्यटकों से उन्हीं की भाषा में मुखातिब हो सकें. नीलम बताती हैं कि उनके पिता की मृत्यु के बाद परिवार में कोई लड़का ना होने के वजह से उनके परिवार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. उनके पिता के भाई उनकी दुकान हड़पने की तैयारी में थे.
काफी कम उम्र में बेटियों ने संभाला बिजनेस
नीलम के मुताबिक 2004 में जब उनके सिर से उनके पिता का साया उठ गया था उस वक्त उन्हें और उनकी बहनों को बिजनेस की बिल्कुल भी समझ नहीं थी. लेकिन उनकी मां ने हार नहीं मानी और बिजनेस की दुनिया में अपनी बेटियों के साथ कदम रखने का निर्णय लिया. इस वक्त तक मोहनलाल की दुकान पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुकी थी और जोधपुर आने वाले विदेशी पर्यटक उनकी दुकान खोजते -खोजते आ ही जाते थे.
महिलाओं को बिजनेस नहीं करने देते थे लोग
वह कहती हैं कि जोधपुर में बहुत कम महिलाएं अपने घर से बाहर निकल कर काम करती हैं. इसलिए जब नीलम और उनकी बहनों ने अपनी मां के साथ बिजनेस संभालने का जिम्मा उठाया तो आस-पास के लोग उनके काम में काफी अड़चन पैदा करते थे.
उनके पिता के इस दुनिया को अलविदा कहने के बाद उनकी दुकान के हालात इस प्रकार बिगड़ गए कि सालों से काम कर रहे वर्कर्स ने मसालों की रेसिपी को दूसरे दुकानदारों के साथ साझा करना शुरू कर दिया था. हालांकि इस बात का पता चलने पर उन्होंने उन वर्कर्स को नौकरी से तो निकाल दिया था पर तब तक काफी देर हो चुकी थी. मसालों की रेसिपी मिलने के कारण मार्केट में उनकी दुकान की तर्ज पर कई सारी डुप्लीकेट दुकान खुल चुकी थीं.
वर्कर्स के जाने के बाद भी कभी उनकी मां ने हार नहीं मानी और ना ही कभी अपनी बेटियों को निराश होने दिया. नीलम के मुताबिक उनकी मां भगवंती ने भले ही कभी बिजनेस न संभाला हो पर वह हमेशा से उनके पिता के बिजनेस का एक अभिन्न हिस्सा रही हैं. उनके पिता जो मसाले बेचते थे वह उनकी मां भगवंती की ही रेसिपी थी. वर्कर्स को काम पर रखने से पहले उनकी मां भगवंती ही सारे मसाले बनाती थीं. इसलिए वह मसालों के कामकाज से भली भांति वाकिफ थीं.
बेटियों ने संभाला मोर्चा
नीलम कहती हैं कि उनकी मां मसालों का कामकाज संभालती थीं तो वहीं वह और उनकी बहनें दुकान के ग्राहक, मार्केटिंग और अकाउंट्स संभालती थीं.
मोहनलाल के गुजरते ही ग्राहक कम हुए
मोहनलाल के गुजरते ही उनकी दुकान पर ग्राहक आना काफी कम हो गये थे. लोग उनके दुकान की खोज करने वाले पर्यटकों को भी उनकी दुकान तक नहीं पहुंचने देते थे. वह कहती हैं कि कई बार तो उन्होंने अपने कानों से लोगों को पर्यटकों को यह कहते सुना है कि उनके पिता के निधन के बाद उनकी दुकान बंद हो चुकी है. इसके साथ ही लोग मार्केट में उनके और उनकी बहनों के बारे में तरह तरह की अफवाहें फैलाते थे. इस कारण कई-कई दिनों तक उनकी दुकान बिल्कुल खाली रहती थी और पूरे दिन में एक भी ग्राहक को लोग दुकान तक पहुंचने नहीं देते थे.
बेटियों को दी बेहतरीन शिक्षा
नीलम बताती हैं कि उनकी मां ने उनको और उनकी बहनों की पढ़ाई के साथ कभी भी कोई समझौता नहीं किया. नीलम खुद पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और वह बेंगलुरु में रहती थीं. उनकी सभी बहनों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है.
विदेशी पर्यटकों के लिए शुरू की खास कुकिंग क्लास
सालों के संघर्ष के बाद इन महिलाओं ने मार्केट में अपना स्थान स्थापित किया पर फिर भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं. लोग उनके बिजनेस में हजार प्रकार की बाधा पैदा करने की कोशिश करते पर अपने निश्चय और मेहनत से यह बहनें हर मुश्किल का सामना करने में सफल रहतीं.
वे नए ग्राहक आकर्षित करने के लिए कई तरह के प्रयोग करती थीं. ऐसा ही एक प्रयोग था विदेशी पर्यटकों के लिए खास कुकिंग क्लास शुरू करना. वह कहती हैं कि विदेशी पर्यटकों की भारतीय मसालों और भोजन में काफी रुचि होती है और उनकी इसी रुचि को देखते हुए उन्होंने भारतीय खाने की रेसिपी पर्यटकों को सिखाने का निर्णय लिया.
कोरोना के वक्त बहुत बुरे दौर से गुजरे
एक वक्त था जब लोग उनकी दुकान तक एक भी ग्राहक नहीं आने देते थे पर आज जोधपुर में उनकी चार दुकानें हैं. लेकिन कोरोना के वक्त एक बार फिर उन्हें आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा. उनका बिजनेस पूरी तरह पर्यटन पर आश्रित है और लॉकडाउन के दौरान पर्यटन बंद होने के कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था. अभी भी पर्यटन पूरी तरह से शुरू न होने के कारण उनकी केवल दो दुकानें ही खुली हैं.
देश भर से चुन–चुन कर लाते हैं मसाले
नीलम बताती हैं कि उनके ज्यादातर मसाले केरल से आते हैं लेकिन चायपत्ती असम से और केसर कश्मीर से लाया जाता है. इन सब मसालों को पर्यटकों के स्वाद और जरूरत अनुसार मिश्रित करके परफेक्ट मसाला तैयार किया जाता है.
क्या है भविष्य की योजना
भविष्य की योजना के बारे में पूछे जाने पर वह कहती हैं कि उनके पिता का सपना था कि उनके मसालों का स्वाद विदेशों तक पहुंचे और वह उसी सपने को साकार करना चाहती हैं. वह आने वाले निकट भविष्य में यूरोपियन देशों में भी अपनी दुकान खोलना चाहती हैं.
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