इसी घर में शेख हसीना ने अपने भाई-बहन के साथ गुजारा था बचपन

रिटायर्ड कर्नल अशोक कुमार तारा बताते हैं कि जिस घर में शेख हसीना का बचपन बीता, वह ढाका के रोड 18 पर स्थित धनमंडी के पास था. यह घर लगभग 200 गज के प्लॉट पर बना था, जिसमें एक सिंगल स्टोरी घर था.

इसी घर में शेख हसीना ने अपने भाई-बहन के साथ गुजारा था बचपन
नोएडा: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का बचपन जिस घर में बीता, वह एक साधारण सा घर था. आंगन में शेख हसीना ने अपने भाई-बहनों के साथ खेलते हुए अपने बचपन के सुनहरे दिन गुजारे. यह कहानी उस वक्त की है जब बांग्लादेश पाकिस्तान से आज़ाद हुआ था. नोएडा में रहने वाले रिटायर्ड कर्नल अशोक कुमार तारा ने उस घर और उन यादों को साझा किया, जो शेख हसीना के परिवार से जुड़ी हैं. रिटायर्ड कर्नल अशोक कुमार तारा बताते हैं कि जिस घर में शेख हसीना का बचपन बीता, वह ढाका के रोड 18 पर स्थित धनमंडी के पास था. यह घर लगभग 200 गज के प्लॉट पर बना था, जिसमें एक सिंगल स्टोरी घर था. इस घर में तीन बेडरूम और एक बड़ा बरामदा (आंगन) था, जहां शेख हसीना अपने भाई-बहनों के साथ खेलती थीं. इस साधारण से घर में शेख हसीना के माता-पिता, उनकी छोटी बहन और भाई सहित कुल पांच लोग रहते थे. सामना हुआ पाकिस्तानी सेना से कर्नल तारा ने याद करते हुए बताया कि 17 दिसंबर 1971 को, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश को आजाद कराया, तब शेख मुजीबुर रहमान का परिवार इसी घर में बंधक बना हुआ था. पाकिस्तानी सेना ने उन्हें बंदी बना लिया था और उनकी जान को खतरा था. इस दौरान कर्नल अशोक कुमार तारा को इस परिवार को आजाद कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई. उन्होंने इस मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और परिवार को सुरक्षित बाहर निकाला. कर्नल तारा और शेख हसीना का परिवार कर्नल तारा का इस परिवार से एक विशेष नाता जुड़ गया. शेख हसीना के माता-पिता ने कर्नल तारा को अपना बेटा मान लिया और उनके साथ परिवार जैसा संबंध बना लिया. जब भी कोई खास मौका होता, शेख हसीना के परिवार की ओर से कर्नल तारा को निमंत्रण मिलता, और वे उसमें भाग लेते थे. कर्नल तारा के पास आज भी उन पलों की यादगार तस्वीरें और किस्से हैं, जो उन्हें इस परिवार से जोड़ते हैं. तिरंगा फहराने की याद कर्नल तारा ने एक खास पल का जिक्र किया, जब शेख हसीना की मां ने बांग्लादेश के नए झंडे को फहराने के लिए उन्हें सौंपा था. यह झंडा उसी घर पर फहराया गया था, जहां शेख हसीना का बचपन बीता था. यह पल न केवल कर्नल तारा के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि बांग्लादेश के इतिहास का भी एक यादगार क्षण है. इस तरह, कर्नल अशोक कुमार तारा और शेख हसीना के परिवार के बीच एक अनमोल रिश्ता बना, जो समय के साथ और भी मजबूत होता गया. Tags: Bangladesh, Local18FIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 15:02 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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