1200 करोड़ से बने इस अस्पताल का हाल है बदहाल मरीज-डॉक्टर दोनों परेशान
1200 करोड़ से बने इस अस्पताल का हाल है बदहाल मरीज-डॉक्टर दोनों परेशान
PGI Hospital Noida: नोएडा में बने पोस्ट ग्रेजुएशन इंस्टिट्यूट (PGI) के रखरखाव की जिम्मेदार विराट नाम की कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. उसका कहना है जिसका उन्हें ऑर्डर मिलता है वो वही काम करते हैं...
रिपोर्ट- सुमित राजपूत
नोएडा: सेक्टर 31 स्थित पोस्ट ग्रेजुएशन इंस्टिट्यूट (पीजीआई) की आलीशान बिल्डिंग जो करीब 1,200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई है वह वर्तमान में मेंटेनेंस की भारी कमी से जूझ रही है. इस अत्याधुनिक अस्पताल में गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों का इलाज होता है और दूर-दूर से मरीज और उनके परिजन यहां आते हैं. लेकिन, संस्थान की खस्ता हालत न सिर्फ डॉक्टरों बल्कि मरीजों और उनके तीमारदारों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं. जिम्मेवार लोग इस पर चुप्पी साधे हुए हैं.
जगह-जगह टूटी फॉल सीलिंग और टपकता पानी
अस्पताल के बेसमेंट में लीकेज और सीपेज की समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि वहां जलभराव के कारण स्थिति बदतर हो गई है. गंदगी का आलम यह है कि जगह-जगह कूड़े के ढेर और नालियां ओवरफ्लोर होती दिखती हैं. यहां काम करने वाले डॉक्टर भी इससे परेशान हैं. अस्पताल में जगह-जगह पानी टपकने के कारण फॉल सीलिंग से लेकर तीमारदारों के रुकने वाले एरिया तक पानी गिरता रहता है. जिससे बचने के लिए बाल्टियों और डिब्बों का सहारा लिया जा रहा है.
बिल्डिंग की नींव है कमजोरी की वजह
चिंता की बात यह है, कि इसके रखरखाव की जिम्मेदार विराट नाम की कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. इनका कहना है जिसका हमें ऑर्डर मिलता है वो वही काम करते हैं. डॉक्टरों के अनुसार, अस्पताल के मेंटेनेंस के लिए लाखों रुपये आवंटित किए जाते हैं. कई बार अस्पताल के डायरेक्टर अरुण कुमार ने प्राधिकरण और शासन को पत्र लिखकर शिकायत की है लेकिन, इसके बावजूद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.
समय से नहीं दिया गया ध्यान तो हो सकती है बड़ी घटना
यह अस्पताल उन परिवारों के लिए आशा की किरण है जो अपने बच्चों के इलाज के लिए यहां आते हैं. कैंसर से लेकर अन्य गंभीर बीमारियों का इलाज यहां होता है. बावजूद इसके, संस्थान की खस्ता हालत एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह ना केवल अस्पताल की प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक साबित हो सकता है बल्कि मरीजों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है.
डॉक्टरों के रेजिडेंस टॉवर का हाल और ज्यादा खस्ता
आपको बता दें कि बेसमेंट से पानी का खिंचाव करने के लिए करीब आधा दर्जन मोटर नाम के लिए लगी हैं लेकिन सिर्फ एक या दो चालू है. उसके अलावा उपर का सिर्फ पाइप है मोटर गायब है. मरीजों के परिजनों के लिए जो हॉल है वो बुरी तरह बदहाल है. जिन टावर में पीजीआई और जिला अस्पताल के डॉक्टर रहते हैं उनकी हालत देख आप ये कहेंगे इसे अच्छा तो झुग्गी झोपड़ी वाले सही हैं. कम से कम वो अपनी मर्जी के मालिक तो हैं. यहां तो नीचे कूड़े के ढेर और लगातार टूटकर गिरते प्लास्टर, टायल के अलावा लीकेज और सीपेज की समस्या से जीना दुश्वार है. कुछ डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि रेजिडेंस टावर के बेसमेंट में स्थित बहुत ज्यादा खराब है. वहां कुत्ते और सांपो का बसेरा है. जिसके चलते बहुत कम लोग बेसमेंट में जाते हैं.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : September 7, 2024, 12:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed