कश्मीर में नहीं हो पा रहे थे चुनाव वाजपेयी की इच्छा शक्ति से बदला इतिहास
कश्मीर में नहीं हो पा रहे थे चुनाव वाजपेयी की इच्छा शक्ति से बदला इतिहास
कश्मीर के बिगड़े हालात की कल्पना आप इसी से लगा सकते हैं कि इस दौरान कश्मीर इलाके की चार सीटों पर 1991 और 1996 के लोकसभा चुनाव भी नहीं हो पाए. राज्य 19 जनवरी 1990 से नौ अक्टूबर 1996 के बीच राज्यपाल शासन यानी सीधे केंद्र सरकार के अधीन रहा.
लोकसभा चुनाव 2024 में मंगलवार को चौथे चरण की वोटिंग चल रही है. इस दौरान कश्मीर इलाके की श्रीनगर सीट पर भी वोट डाले जा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दोपहर तीन बजे तक श्रीनगर में करीब 30 फीसदी वोटिंग हो चुकी थी. इस आंकड़े ने बीते करीब तीन दशक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां पहली बार चुनाव हो रहा है. 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने राज्य को पुनर्गठित कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. इसके साथ ही इस राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था.
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बीते करीब पांच सालों में कश्मीर काफी बदल चुका है. आतंकवाद के दौर के शुरू होने के बाद यह पहली बार है जब घाटी में किसी संगठन ने चुनाव का बहिष्कार नहीं किया है. यहां सोमवार को चौथे चरण में शानदार वोटिंग भी हो रही है. इससे पहले कश्मीर इलाके में कई चुनावों में नाममात्र की वोटिंग होती थी. श्रीनगर की बात करें तो यहां 2019 के लोकसभा में 14. 1 फीसदी, 2014 में 25.9 फीसदी, 2009 में 25.06 फीसदी, 2004 में 18.06 फीसदी और 1999 में 11.9 फीसदी वोटिंग हुई थी.
आतंकवाद का दौर और चुनाव स्थगित
कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के दौर की शुरुआत 1989 में हुई. फिर यह 1990-1991 में अपने चरम पर पहुंच गया. हजारों की संख्या में निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई. कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया. स्थिति इतनी बिगड़ गई कि राज्य की पूरी कानून-व्यवस्था धाराशायी हो गई. फिर राज्य में 1990 में आर्म्ड फोर्सेस (जम्मू-कश्मीर) स्पेशल पावर्स एक्ट, 1990 लगाना पड़ा. यह कानून कश्मीर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही जुलाई 1990 में बनाया गया था.
कश्मीर के बिगड़े हालात की कल्पना आप इसी से लगा सकते हैं कि इस दौरान कश्मीर इलाके की चार सीटों पर 1991 और 1996 के लोकसभा चुनाव भी नहीं हो पाए. राज्य 19 जनवरी 1990 से नौ अक्टूबर 1996 के बीच राज्यपाल शासन यानी सीधे केंद्र सरकार के अधीन रहा. इस दौरान राज्य की सरकार बर्खास्त रही. विधानसभा को निलंबित रखा गया.
फिर 1996 में देश में पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार बनी. वह 16 मई से एक जून 1996 तक देश के पीएम रहे. इस दौरान कश्मीर में चुनाव करवाए गए. दरअसल, 1996 में पूरे देश में 11वीं लोकसभा के लिए तीन चरणों 27 अप्रैल, 2 मई और 7 मई को मतदान हुए. इसमे कश्मीर की सीटें शामिल नहीं थीं. चुनाव का रिजल्ट आने और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार बनने के बाद कश्मीर इलाके की चार सीटों पर वोटिंग करवाई गई. 23 मई को बारामुला और अनंतनाग में और 30 मई को श्रीनगर और उधमपुर में वोटिंग हुई थी. हालांकि जम्मू और लद्दाख में देश के अन्य हिस्सों के साथ सात मई 1996 को वोटिंग हुई थी.
1996 का चुनाव और भाजपा
1996 का लोकसभा चुनाव भारतीय इतिहास का एक सबसे अहम चुनाव था. इस चुनाव में 161 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते अटल बिहारी वाजपेयी ने केंद्र में एनडीए की सरकार बनाई, लेकिन जरूरी समर्थन नहीं जुटा पाने की वजह से 13वें दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इस चुनाव में कांग्रेस को 140 और जनता दल को 46 सीटें मिली थीं. वाजपेयी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के सहयोग से जनता दल के एचडी देवगौड़ा ने सरकार बनाई. उनकी सरकार भी कुछ महीनों बाद गिर गई. फिर इंद्रकुमार गुजराल देश के पीएम बने. 1998 में उनकी सरकार भी गिर गई और देश में मध्यावाधि चुनाव हुआ. फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी. हालांकि जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके के समर्थन वापस लेने के बाद उनकी भी 13 महीने की सरकार 1999 में गिर गई.
Tags: Jammu and kashmir, Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 17:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed