साइबर क्राइम का नया हथियार डिजिटल अरेस्ट जानिये कैसे बचें और हेल्पलाइन नंबर

Cyber crime news: साइबर अपराधियों के द्वारा पहले जहां लालच देकर लोगों को अपना शिकार बना रहे थे, लेकिन अब वे डरा धमका कर लोगों को ठग रहे हैं. साइबर अपराधियों का ऐसा ही एक हथकंडा है "डिजिटल अरेस्ट" जिसके जरिए वे लोगों को अपना शिकार बनाते हैं, और उनके पैसे ऐंठ लेते हैं. राजधानी रांची में भी इस तरह के मामले देखने को मिल रहे हैं.

साइबर क्राइम का नया हथियार डिजिटल अरेस्ट जानिये कैसे बचें और हेल्पलाइन नंबर
हाइलाइट्स झारखंड में साइबर अपराधियों का नया पैंतरा. डिजिटल अरेस्ट के जरिये लोग बन रहे शिकार.  रांची. ‘डिजिटल अरेस्ट’… साइबर अपराधियों का एक नया हथकंडा. इस हथकंडे के सहारे रांची के 5 लोगों से ठगी की गई है, जिसकी रिपोर्ट सीआईडी के साइबर सेल में दर्ज कराई है. साइबर अपराधियों के द्वारा इन 5 डिजिटल अरेस्ट के मामले में ठगी की रकम भी भारी है.  इन पांच मामलों में ठगी की रकम की जानकारी अब हम आपको देते हैं. पहला मामला 80 लाख का आया, दूसरा मामला 84 लाख, तीसरा मामला 30 लाख, चौथा मामला 20 लाख और पांचवां मामला 10 लाख की ठगी का है. साफ है कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिये बड़ी रकम की अवैध उगाही की जा रही है. खास बात है कि इन ठगी के शिकार लोगो में सेना के रिटायर्ड अधिकारी के साथ डॉक्टर और सेवानिवृत सरकारी कर्मी भी शामिल हैं. एक मामले में तो साइबर अपराधियों ने एक व्यक्ति को 12 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ तक करके रखा हुआ था. वहीं इस तरह की घटना एक महिला के साथ भी हुई हालांकि जानकारी की वजह से वो इस ट्रैप में आने से  बच गई. लेकिन, जरूरत है सभी को जागरूक होने की, क्योंकि मोकिना बताती हैं कि इन्हें साइबर अपराधियों द्वारा कॉल कर कहा गया था कि इनकी बेटी को ड्रग्स के केस में गिरफ्तार किया गया है और अगर वह पैसे दे तो बेटी को छोड़ दिया जाएगा. वहीं, मामले की जानकारी देते हुए सीआईडी साइबर सेल की डीएसपी नेहा बाला बताती हैं कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर अपराधियों का एक नया हथियार है और रांची में इस तरह के मामले अब देखने को मिल रहे हैं. इसमें साइबर अपराधी वीडियो कॉल करते हैं और फिर मोबाइल पर हो व्यक्ति को वारंट दिखाया जाता है. कहीं पर सीबीआई, कहीं पर एनआईए या किसी बड़ी एजेंसी के साथ साथ कोर्ट का भी हवाला दे व्यक्ति को डराया जाता है. कुछ इस तरह से बात की जाती है कि व्यक्ति डर जाता है और फिर किसी भी तरह से वो पैसे उन्हें उनके खाते में जमा करा देता है. साइबर अपराध का हेल्पलाइन नंबर इस पूरी प्रक्रिया के दौरान विडियो कॉल को साइबर अपराधी कट नहीं करने देते हैं और जबतक व्यक्ति को ये होश आता है कि वो ठगा गया है, तब तक वे पैसे कई खातों में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं, जिस कारण उन पैसों को फ्रिज नहीं किया जा पाता. बहरहाल, साइबर अपराधी डरा कर या कहे लालच के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं. जरूरी है कि उनके ट्रैप से जागरूक रहे. Tags: Jharkhand newsFIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 11:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed