क्या AAP को फंसाने की थी चाल जिसे तिहाड़ में बैठे केजरीवाल ने भांप लिया
क्या AAP को फंसाने की थी चाल जिसे तिहाड़ में बैठे केजरीवाल ने भांप लिया
हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन नहीं हो सका. अरविंद केजरीवाल ने समझ लिया कि कांग्रेस उन्हें जो सीटे दे रही है, वे बीजेपी का गढ़ रही है. आप 10 सीटें मांग रही थी और कांग्रेस 5 उसे देना चाह रही थी.
महाभारत की कहानी में आता है कि 5 गांव पर सहमति बन गई होती तो महायुद्ध नहीं होता. कांग्रेस और आम आदमी के बीच भी 5 सीटों की वजह से बात नहीं बनी. अब दोनों कुरुक्षेत्र वाले हरियाणा में आमने सामने होंगे. सोमवार की सुबह तक ऐसा लग रहा था कि इंडिया गठबंधन में शामिल ये दोनों दल हरियाणा में मिल कर चुनाव में उतरेंगे. तकरीबन हफ्ते भर से दोनों दलों के बीच गठबंधन के लिए सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही थी.
AAP ने सोमवार को सूची भी जारी कर दी
गठबंधन न होने की खबर भी आम आदमी पार्टी उम्मीदवारों की सूची के साथ ही आई. पार्टी ने सोमवार को अपने 20 सीटों की लिस्ट जारी कर दी. बताया जा रहा है कि अलग चुनाव लड़ने का फैसला अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ से ही किया. उन्हें कांग्रेस की चाल समझ में आ गई. जानकार सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी गठबंधन होने की स्थिति में 10 सीटें चाह रही थी. जबकि कांग्रेस महज 5 सीटें देने को तैयार थी.
आगे बात बढ़ने पर आप के कुछ नेता बीजेपी के विरोध में मोर्चे के लिए 5 पर भी मान गए. लेकिन कांग्रेस ने जो पांच सीटें देने का प्रस्ताव किया वे बीजेपी के गढ के तौर पर जानी जाती हैं. पिछले तीन से पांच चुनावों में इन सीटों से बीजेपी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं.
केजरीवाल ने लिया फैसला
अरविंद केजरीवाल को जब इन सीटों के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने साफ मना कर देने का संदेश दिया. जानकारों के मुताबिक इन सीटों पर बीजेपी से लड़ पाना आप उम्मीदवारों के लिए बहुत मुश्किल हो सकता था. लिहाजा पार्टी ने अकेले ही चुनाव में उतरने का फैसला किया.
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इधर कांग्रेस भी हरियाणा को अपनी लड़ाई के लिए मुफीद मानती है. पिछले चुनावों में उसके उम्मीदवारों का प्रदर्शन अच्छा रहा है. 90 सीटों वाली विधान सभा में इस समय सत्ताधारी बीजेपी के 40 और कांग्रेस के 31 विधायक हैं. राज्य की ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों ने बीजेपी को सीधी टक्कर दी थी. यही राज्य की 17 सीटों पर हार जीत का फैसला कुल पड़े वोटों के दस फीसदी से भी कम वोटों से हुआ. मतलब ये है कि इन सीटों पर बीजेपी ने बड़े मार्जिन से जीत नहीं हासिल की थी. इस लिहाज से भी कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं.
Tags: AAP Politics, Assembly elections, Congress, Haryana ElectionFIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 11:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed