सिंहभूम में किसका चलेगा जादू प्रथम भूमि में 2 महिला उम्मीदवारों की भिड़ंत

सिंहभूम में 1957 से अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए. इसमें से पांच बार कांग्रेस को जीत मिली. तीन बार बीजेपी और एक बार जेएमएम का कब्जा रहा. यहां से पहली बार 1984 में कांग्रेस को जीत मिली थी.

सिंहभूम में किसका चलेगा जादू प्रथम भूमि में 2 महिला उम्मीदवारों की भिड़ंत
सिंहभूम लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार गीता कोड़ा और जेएमएम उम्मीदवार जोबा मांझी पहली बार आमने-सामने हैं. सिंहभूम से सांसद रही गीता कोड़ा कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुई थीं. बीजेपी में आते ही उन्हें टिकट मिल गया. गीता कोड़ा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने अपनी ये परंपरागत सीट इस बार जेएमएम को थमा दी. जेएमएम ने पांच बार की विधायक और पूर्व मंत्री जोबा मांझी को पहली बार लोकसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया. अब सिंहभूम का रण दो दिग्गज महिला उम्मीदवारों के मुकाबले का गवाह बनने जा रहा है. कांग्रेस की परंपरागत सीट सिंहभूम में 1957 से अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए. इसमें से पांच बार कांग्रेस को जीत मिली. तीन बार बीजेपी और एक बार जेएमएम का कब्जा रहा. यहां से पहली बार 1984 में कांग्रेस को जीत मिली थी. उस समय बागुन सुंब्रुई पहली बार सांसद चुने गए. वो इस सीट से पांच बार सांसद रहे. उनका ये रिकॉर्ड आज तक सिंहभूम का कोई नेता तोड़ नहीं सका. 2019 के चुनाव में जब पूरे देश में प्रचंड मोदी लहर थी. तब भी कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की. तब झारखंड की इसी इकलौती सीट को जीत सकी थी. सिंहभूम का गणित सिंहभूम लोकसभा में छह विधानसभा सीटें आती हैं. ये हैं चाईबासा, सरायकेला, जगन्नाथपुर, मनोहपुर, मझगांव और चक्रधरपुर. इसमें से पांच सीट पर जेएमएम और एक पर कांग्रेस का कब्जा है. सरायकेला से खुद मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन विधायक हैं. जेएमएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं जोबा मांझी मनोहरपुर से पांचवीं बार विधायक हैं. सिंहभूम लोकसभा में हो जनजाति के करीब 62 प्रतिशत मतदाता हैं. वर्तमान बीजेपी उम्मीदवार गीता कोड़ा इसी समुदाय से आती हैं. 2019 में मोदी लहर के बावजूद जेएमएम और हो जनजाति के प्रचंड समर्थन की बदौलत कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में गीता कोड़ा को 69 फीसदी वोट मिले थे. तब उन्होंने बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ को करारी मात दे दी थी. पर 2024 में हालात बदल गए हैं. गीता कोड़ा पाला बदल कर बीजेपी की उम्मीदवार बन गई हैं. इस बार उन्हें हो जनजाति का तो सपोर्ट है. पर जेएमएम और कांग्रेस खिलाफ है. ये गीता कोड़ा के लिए परेशानी का सबब है. पर जेएमएम उम्मीदवार जोबा मांझी के लिए यही मजबूत कड़ी है. गीता कोड़ा का सफर गीता कोड़ा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं. पति के जेल जाने के बाद वो राजनीति में सक्रिय हुई थीं. साल 2009 में उन्होंने सियासत में पहला कदम रखा और जय भारत समानता पार्टी के बैनर तले विधानसभा का चुनाव लड़ा. उस समय वो 25 हजार वोटों से चुनाव जीत कर झारखंड की सबसे कम उम्र की विधायक बनी थीं. साल 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा. पर हार गईं. इसके चार साल बाद 2018 में वो कांग्रेस में शामिल हुईं. 2019 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और सिंहभूम से पहली बार सांसद बनीं. ऐन लोकसभा चुनाव से पहले वो कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में चली गईं और इसके छह दिन बाद ही उन्हें बीजेपी से टिकट मिल गया. पर जैसे ही उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए गांवों का रुख किया, कई जगहों पर विरोध शुरू हो गया. उन पर दल बदल कर ग्रामीणों का भरोसा तोड़ने का आरोप लगा. पर बीजेपी ने इस विरोध को जेएमएम प्रायोजित करार दिया है. जोबा मांझी का सियासी सफर जोबा मांझी के पति देवेंद्र मांझी सिंहभूम के दिग्गज आदिवासी नेता थे. 14 अक्टूबर 1994 के दिन उनकी हत्या कर दी गई थी. पति के मर्डर के बाद जोबा मांझी ने पॉलिटिक्स में कदम रखा और इतिहास रच दिया. उन्होंने 1995 में पहली बार जगन्नाथपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गईं. इसके बाद वो लगातार 2000, 2005, 2014 और 2019 में भी जीतती रहीं. पहली बार 1998 में वो अविभाजित बिहार में राबड़ी सरकार में मंत्री बनीं. झारखंड बनने पर बाबूलाल मरांडी की सरकार में भी मंत्री बनीं. 2009 में वो जेएमएम में शामिल हुईं और पूर्ववर्ती हेमंत सरकार में चौथी बार मंत्री बनीं. इस बार जेएमएम ने पहली बार उन्हें लोकसभा उम्मीदवार बनाया. सीएम चंपाई सोरेन ने लगाया जोर सियासी संकट के बीच झारखंड के सीएम बने चंपाई सोरेन के लिए सिंहभूम सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. ये उनका गृह क्षेत्र है और उम्मीदवार भी उनकी ही पार्टी की हैं. सीएम चंपाई सोरेन और जेएमएम उम्मीदवार जोबा मांझी दोनों संथाल आदिवासी समुदाय से आते हैं. इसलिए मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने इस सीट को जेएमएम के खाते में लाने के लिए दिन-रात एक कर दिया. हाल में उन्होंने कई बैठकें और कार्यकर्ता सम्मेलन भी किया है. कांग्रेस को भी गीता कोड़ा से हिसाब चुकता करने का मौका मिल गया. इसलिए कांग्रेस कार्यकर्ता भी जेएमएम के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं. सिंहभूम का महत्व सिंहभूम का इलाका अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से भी 20 करोड़ साल पुराना माना जाता है. आठ जाने-माने वैज्ञानिकों की सात साल की खोज में ये साबित हुआ है कि सिंहभूम की धरती ही दुनिया में सबसे पहले समुद्र से बाहर निकली थी. प्रतिष्ठित साइंस जर्नल प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में भी ये खोज प्रकाशित हुई थी. इससे पहले अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया को सबसे प्राचीन जमीनी हिस्सा माना जाता था. पर नई खोज में सिंहभूम की सरजमीं को प्रथम भूमि का दर्जा मिल गया है. . Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : May 1, 2024, 17:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed