नई दिल्ली. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी के खिलाफ चल रहे आपराधिक केस को खारिज कर दिया है. इस मामले में 29 मई 2024 को फैसला सुनाया गया. फैसला सुनाते हुए जस्टिस शमीम अहमद ने कहा कि सीजेएम (चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट) लखनऊ ने इस मामले में प्रेमजी को तलब करने और वारंट जारी करने में अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया था. बकौल कोर्ट, सीजेएम ने प्रेमजी की ओर पेश सबूतों, दस्तावेजों का भली भांति परीक्षण नहीं किया.
कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया प्रेमजी के खिलाफ कोई केस नहीं बनता है. यह फैसला प्रेमजी की ओर से दाखिल अर्जी पर दिया गया है. आपको बता दें कि यह मामला 2016 का है. तब लेबर इन्फोर्समेंट ऑफिसर ने लेबर कानूनों के उल्लंघन के कथित आरोप में प्रेमजी के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी. इस वाद पर कोर्ट ने 3 सितंबर 2016 को संज्ञान लेते हुए प्रेमजी को तलब करने का आदेश दिया था.
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2017 में हुआ था वारंट जारी
13 मई 2017 को कोर्ट ने प्रेमजी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था. इसके बाद प्रेमजी ने आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसी पर इलाहाबाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. 13 मई 2024 को यह मामला रिजर्व रख लिया गया था.
क्या था विवाद
अजीम प्रेमजी की कंपनी विप्रो ने एक सर्विस प्रोवाइडर कंपनी मेसर्स जी फॉर जी सिक्योर सॉल्यूशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से मैन पॉवर सप्लाई का समझौता किया था. इस समझौते की शर्तों के उल्लंघन को लेकर शिकायत दर्ज की गई थी. उनके खिलाफ समान पारिश्रमिक (वेतन) अधिनियम, 1976 के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी.
Tags: Business newsFIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 22:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed